…जब ख्यातिप्राप्त शिशु रोग विशेषज्ञ ने किया जुर्माना देने से इंकार!

शहडोल। गुरूवार की दोपहर करीब 3 बजे नायब तहसीलदार अभ्यानंद शर्मा, एसडीएम व अन्य शासकीयकर्मी मुख्यालय की प्रमुख सड़कों पर कोरोना गाइड लाईन का पालन कराने निकले, इसी दौरान चरक सिटी सेंटर के समीप ख्यातिप्राप्त शिशु रोग विशेषज्ञ से प्रशासनिक अधिकारियों की कहा-सुनी हो गई। प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो प्रशासनिक अधिकारी मॉस्क न लगाकर निकल रहे लोगों पर जुर्माना लगा रहे थे, फुटपाथ से लेकर खुली चंद दुकानों के निरीक्षण के दौरान सड़क पर ही डॉ. राजेन्द्र सिंह क्लीनिक के सामने प्रशासनिक अधिकारियों की मुलाकात हो गई और मॉस्क न लगाने को लेकर कथित शिशु रोग विशेषज्ञ और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच कहा-सुनी हो गई।
मौके पर पहुंची पुलिस
प्रशासनिक टीम के साथ वर्दीधारी भी थे, लेकिन शिशु रोग विशेषज्ञ ने पहले तो कायदे तोड़े और बाद में जुर्माना देने से इंकार कर दिया। थोड़ी देर में अन्य पुलिसकर्मी और अधिकारी भी मौके पर पहुंचे, शहडोल से लेकर राजधानी तक के फोन खन-खना उठे। आरोप तो यह भी थे कि क्लीनिक के बाहर दर्जनों की संख्या में इलाज के लिए बैठी महिलाएं और उनके बच्चों को कोरोना गाइड लाईन के हिसाब से नहीं बैठाया गया था, जो इन सबको संक्रमण की ओर धकेल सकता था।
जुर्माने से टला मामला
महज 200 रूपये के, मॉस्क न लगाने के जुर्माने को लेकर ख्यातिप्राप्त शिशु रोग विशेषज्ञ और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच हुई कहा-सुनी के दर्जनों प्रत्यक्षदर्शी बने, अंतत: 200 रूपये के जुर्माने के बाद मामला शांत हुआ। सवाल यह उठता है कि जब जिम्मेदार और समाज की प्रथम पंक्ति के लोग प्रशासनिक व्यवस्था में अपना सहयोग नहीं देंगे तो, अनपढ़ और असमाजिक लोगों से प्रशासन कैसे उम्मीद करे।