मिलावट खोरों को बख्सा क्यों जा रहा
जागरूकता अभियान के नाम पर जांच के बाद भी दोषी प्रतिष्ठान
संचालकों को दिया जा रहा अवसर
शहडोल। शासन द्वारा मिलावट मुक्ति अभियान के नाम पर 19 नवम्बर से जागरूकता के लिए चलित प्रयोगशाला वाहन शहडोल संभाग में प्रारंभ किया गया है। लगभग डेढ़ हफ्ते के इस अभियान पर यदि नजर डाली जाये तो, समझ में यही आता है कि संबंधित जिम्मेदार विभाग दूषित खाद्य सामग्री बेचने वालों एवं मिलावटखोरों को लगातार क्लीन चिट दे रहा है। कहने के लिए तो, अब तक इस अभियान के अंतर्गत शहडोल जिले में 176 प्रतिष्ठानों की जांच की गई, इसी तरह उमरिया जिले में 120 और अनूपपुर जिले में 75 प्रतिष्ठानों में खाद्य सामग्रियों की जांच की गई, परन्तु एक भी प्रतिष्ठान के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई है। दोषी तो पाये गये हैं परन्तु उन्हें अवसर देकर छूट दे दी गई या फिर समझाईश देकर पुन: गलती न करने की हिदायत दी गई है।
सिंथेटिक खोवा एवं मिलावटी दूध
सूत्रों की माने तो शहडोल संभाग में सिंथेटिक खोवा एवं मिलावटी दूध की बिक्री धड़ल्ले से मिठाई की दुकानों और डेरियों में अर्से से की जा रही है। परन्तु संबंधित जिम्मेदार विभाग के आलाअफसर चांदी के चंद सिक्कों की खनन के सामने बौने नजर आते हैं। दीपावली एवं होली जैसे कुछ त्यौहारों के आगे-पीछे दिखावटी कार्यवाही करने का नाटक विभाग द्वारा तो किया जाता है, परन्तु कभी यह दिखाई नहीं देता कि किसी मिलावटखोर के विरूद्ध कोई सख्त कार्यवाही की गई हो, या फिर उसे सजा दिलाई गई हो। सच्चाई तो यह है कि हर दुकान से इन सरकारी हुक्कमरानों का महीना बंधा हुआ है, सरकारी तनख्वाह लेकर इनकी ड्यिुटी सिर्फ मिलावटखोरों से वसूली करके अपनी तिजोरियां भरने तक सीमित रह गई है।
दूषित खाद्य सामग्रियों की बिक्री
जिला प्रशासन की नाक के नीचे चौपाटी में दूषित खाद्य सामग्रियों की बिक्री सरेआम की जाती है, परन्तु जिम्मेदार विभाग प्राय: कुंभकर्णीय निंद्रा में सोया रहता है। इस चौपाटी में खुली खाद्य सामग्रियां बेची जाती हैं, जिनमें वाहनों की आवाजाही से उड़ती धूल एवं धुआं खाद्य सामग्रियों में एक परत जम जाती है, इसका सेवन करने से नागरिकों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। फिर भी विभाग कहता है कि हम सुधार का अवसर दे रहे हैं।
नियमों की बलि चढ़ा कर हो रही नानवेज की बिक्री
शहर में सैकड़ों प्रतिष्ठान ऐसे हैं, जिसमें सरकारी नियमों की बलि चढ़ाकर मांसाहार भोजन की बिक्री धड़ल्ले से की जा रही है, फिर भी विभाग सो रहा है। नियमानुसार बकरे या मुर्गे की जांच के पहले इन्हें काटकर बेचा नहीं जाना चाहिए, नियम कहता है कि किसी पशु चिकित्सक से या नगर निकाय से स्वस्थ्य होने का प्रमाण पत्र लेने के बाद ही किसी बकरे या मुर्गे के मांस को बेचा जाना चाहिए, परन्तु जिम्मेदार विभाग आमनागरिकों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करते हुए मांसाहार का व्यवसाय करने वाले लोगों को खुली छूट क्यों दे रखा है, यह एक बड़ा सवाल है।
इनका कहना है…
यह जागरूकता अभियान है, फिलहाल हम व्यापारियों को अवसर दे रहे हैं और सुधार सूचना पत्र की नोटिस देकर हिदायत दी जा रही है कि मिलावट एवं दूषित खाद्य सामग्री यदि आगे भी बेची गई तो, कानूनी कार्यवाही की जायेगी।
बृजेश विश्वकर्मा
खाद्य सेफ्टी ऑफिसर
शहडोल