कृषि भूमि काट भू-माफिया खा रहे लड्डू

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पटवारी ने माना लड्डू कर रहा है अवैध प्लाटिंग

शासकीय नाले की हो रही पटाई, राजस्व विभाग मौन

शहडोल। संभागीय मुख्यालय से सटे फार्चुनर सिटी के पीछे शासकीय नाले को भू-माफिया पाटने में लगे हैं, एक ओर जहां कृषि भूमि खण्ड-खण्ड कर बेचने की तैयारी है, वहीं दूसरी ओर नाले को भी पाटने में भू-माफिया द्वारा कोई गुरेज नहीं किया जा रहा है, इससे न केवल सरकार को राजस्व के रूप में नुकसान पहुंचाया जा रहा है, बल्कि अनाधिकृत कॉलोनी में प्लाट खरीदने वालों को भी ठगा जा रहा है, लेकिन हलका पटवारी, तहसीलदार सहित राजस्व अमला मुख्यालय से सटे ग्राम पंचायतों में हो रही अवैध प्लाटिंग को रोकने में नाकारा साबित हो रही है, ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी ग्राम पंचायत को नहीं है, लेकिन ग्राम पंचायत के जिम्मेदारों को अपनी पहुंच दिखाकर उक्त अवैध कारोबारी मुख्यालय से महज 5-7 किलोमीटर दूर कृषि भूमि काटकर बेच रहे हैं।
रेरा के नियमों का नहीं हो रहा पालन
नगर पालिका क्षेत्र में रेरा के नियमों को पालन नहीं किया गया है न ही जमीन को डायवर्सन की प्रक्रिया से पूरा किया गया है, इसके अलावा ग्राम तथा नगर निवेश की अनुमति भी नहीं ली गई है, इससे आप समझ सकते हैं कि जमीन कितनी पाक-साफ है, फिर भी लोगों को धोखे में रखकर प्लाट की बिक्री की जा रही है, जबकि किसी भी कॉलोनी को विकसित करने से पहले रेरा में रजिस्ट्रेशन सबसे प्रमुख माना जाता है, चर्चा है कि लड्डू नामक कथित भू-माफिया ने रेरा में रजिस्ट्रेशन तो बहुत दूर संभवत: पंजीयन के लिए आवेदन तक करना जरूरी नहीं समझा है।

आंख बंद करें बैठे जिम्मेदार
शासकीय भू-खण्ड सहित शासकीय नालों के आस-पास कब्जा न हो इसकी जिम्मेदारी स्थानीय पटवारी की होती है, एक ओर जल संरक्षण के लिए प्रशासन पूरी ताकत झोंक रहा है, वहीं शहर के अंदर बहने वाले बरसाती नाले को भू-माफियाओं द्वारा पाटा जा रहा है, लेकिन जिम्मेदार आंख बंद कर संभवत: साझेदार बने हुए हैं, नगर पालिका क्षेत्र अंतर्गत आने वाले सौखी मोहल्ले में कृषि भू-खण्ड को काटकर दर्जनों की संख्या में प्लाट कर बेचे जा चुके हैं, लेकिन जिला मुख्यालय में बैठे ऊपर से लेकर नीचे तक के जिम्मेदार आंख बंद कर हुए हैं।
धड़ल्ले से अवैध प्लाटिंग
नगर व आसपास के गांव से लगे खेतों की बिक्री आवासीय प्लाट के रूप में बेधड़क हो रही है। इन खेतों को प्लाटिंग करने वाले लोग पहले कच्ची सड़क तैयार करते हैं। इसके बाद वहां अपने तरीके से प्लाटिंग करते हैं। कृषि योग्य भूमि को प्लाट के रूप में विकसित कर खरीदी-बिक्री के लिए नियमानुसार डायवर्शन करना पड़ता है। एक से अधिक प्लाट काटने के बाद नियमानुसार कालोनाइजर एक्ट के तहत सभी फार्मेलिटी पूरी करने के बाद उसकी खरीदी -बिक्री होनी चाहिए, लेकिन बिना पंजीयन के ही न केवल आवासीय कालोनी डेवलप हो रही हैं, बल्कि खेत-खलिहान की आवास के रूप में धड़ल्ले से अवैध प्लाटिंग भी हो रही है।
जिम्मेदार बने साझेदार
नगर में ऐसी कई कालोनियां हैं जिनके अवैध प्लाटिंग के मामले विभागों में लंबित है। एमपी़ रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथारिटी (रेरा) के नियमानुसार किसी भी कालोनाइजर को जमीन की प्लाटिंग करने से पहले रेरा में रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है। इसके अलावा प्लाट बेचने से पहले वहां जन सुविधाओं से जुड़ी चीजें नाली, सड़क, बिजली व पानी का इंतजाम, सीवर, खेल मैदान आदि की सुविधा उपलब्ध कराएगा। जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते आज भी नगर की कई कालोनियां मूलभूत सुविधा से वंचित हैं, लेकिन जिला मुख्यालय के वार्डाे में खुलेआम भू-माफिया लड्डू खा रहे हैं, लेकिन प्रशासनिक जिम्मेदार संभवत: मुखिया को धोखे में रख खुद साझेदार बन बैठे हैं।
कार्यवाही के हैं प्रावधान
रेरा के नियमों का पालन नहीं होने पर कार्रवाई का प्रावधान है। गड़बड़ी करने वालों पर जहां रेरा उसकी योजना की लागत का 10 प्रतिशत तक जुर्माना कर सकती है, वहीं किसी मामले में एफआइआर होने पर तीन साल की सजा का भी प्रावधान एक्ट में है। रेरा के अनुसार एक्ट की वजह से यह भी तय है कि जिनका पंजीयन रेरा में होगा, उन कालोनाइजर पर लोग भरोसा कर सकेंगे। नगर पालिका क्षेत्र अंतर्गत सौखी मोहल्ला और गोरतरा ग्राम पंचायत से लगे क्षेत्र में इन दिनों भू-माफियाओं की बाढ़ सी आई हुई है, पूरे मामले में स्थानीय पटवारी की भूमिका भी संदेह के दायरे में है। जागरूक लोगों ने अनुविभागीय अधिकारी सहित कलेक्टर वंदना वैद्य से मांग की है कि पूरे मामले में संज्ञान लेकर हो रही रजिस्ट्रियों पर रोक लगाई जाये।
इनका कहना है…
बगैर अनुमति की हुई प्लाटिंग अवैध है, अगर नाले के साथ छेड़छाड़ की जा रही है तो, मैं कल ही जाकर देखता हँू।
राजेन्द्र पटेल
हलका पटवारी

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