मुक्तिधाम में पार्थिव देह का एक की बेटी तो दूसरी की बहिन ने किया अंत्येष्टि संस्कार, दी मुखाग्नि
मुक्तिधाम में पार्थिव देह का एक की बेटी तो दूसरी की बहिन ने किया अंत्येष्टि संस्कार, दी मुखाग्नि
कटनी ॥ बेटा ही कुल का दीपक होता है और बेटे के बिना चिता को मुखाग्नि कौन देगा. यह बातें अब बीते जमाने की होती जा रही हैं. जिस पिता का हाथ पकड़कर चलना सीखा। लाड प्यार से पाला, बड़ा किया। उसी पिता की को जब दो बेटियों ने मुखाग्नि देकर विदा किया तो लोगों की आंखें नम हो गईं। जिस पिता ने उन्हें लड़कों की तरह पूरी तालीम दिलवाई। उस पिता का कर्ज उतारने के लिए लाड़ली बेटियों ने पिता के शव को श्मशान घाट जाकर मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार भी किया वही एक बहन ने भाई को मुखाग्नि देकर गमगीन माहौल के बीच पुरुष प्रधान समाज के सामने बेटियों ने एक उदाहरण पेश कर बता दिया कि लड़के-लड़की समान होते हैं। सावरकर वार्ड संतनगर निवासी जगदीश गोयनका की बीमारी के कारण निधन हो गया। उनकी तीन बेटियां थी, जिसमें एक बेटी अमरावती, दूसरी बेटी स्लीमनाबाद में तीसरी छोटी बेटी मुस्कान घर में है। जिसके बाद उनका अंतिम संस्कार मुक्ति धाम में उनकी बेटियों ने किया। इसके अलावा दुर्गा चौक खिरहनी निवासी अभिषेक त्रिपाठी की मौत भी जहरीले पदार्थ के सेवन करने से हो गई। उसके घर में भी उसके माता-पिता के अलावा उसकी छोटी बहन थी। अभिषेक त्रिपाठी का भी अंतिम संस्कार उसकी छोटी बहन मोना त्रिपाठी ने किया। इस दृश्य को जिसने भी देखा उसकी आंखों से आंसू नहीं रुक सके। मुक्तिधाम में दो मुखाग्नि दे कर पुरानी रूढ़ियों और परंपराएं को तोड़कर दोनों बेटियों ने अपने पिता और भाई की चिता को न केवल मुखाग्नि दी, बल्कि अंतिम संस्कार की हर वो रस्में निभाई. जिसकी कल्पना कभी एक पुत्र से की जाती रही है। मुक्तिधाम में मौजूद सभी लोगों ने नम आंखों से श्रद्धांजलि दी और लोगों ने बेटियों के जज्बे को सलाम किया।