सुरक्षा मानकों के बिना बिक रही खाद्य सामग्री

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                                                                                                    विभागीय अमला उदासीन, जनस्वास्थ्य से हो रहा खिलवाड़
शहडोल। प्रशासन का स्वच्छता अभियान केवल सड़कों तक सीमित होकर रह गया है। यह अभियान भी केवल प्रमुख सड़कों पर ही चलता दिखाई दे रहा है। बरसात के इस मौसम में जबकि खानपान के माध्यम से गंदगी का संक्रमण बढ़ने का खतरा काफी अधिक रहता है तब भी खानपान की सामग्रियों में सुरक्षा मानकों का पालन कराया जाना और जांच पड़ताल किया जाना कहीं दिखाई नहीं पड़ रहा है। खाद्य एवं औषधि विभाग तथा नगरपालिका दोनो ही अपने कर्तव्य से मुह मोड़कर चैन की बंशी बजा रहे हैं। जबकि दूकानदार और व्यापारी लोगों के स्वास्थ्य से खुलेआम खिलवाड़ कर रहे हैं। जगह-जगह होटलों व चाट के ठेलों में गंदगी पसरी हुई है कहीं भी सुरक्षा के मानकों का ध्यान नहीं रखा जा रहा है लेकिन विभाग कार्रवाई करना जरूरी नहीं समझ रहा है। गंदे पानी का उपयोग, खुले में रखी खाने पीने की सामग्रियां उस पर भिनभिनाती मक्खियां गंभीर रोगों को दावत दे रहीं हैं। होटलों व चाट के ठेलों में गंदे पानी का उपयोग किया जा रहा है। जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है। होटलों में पानी की टंकियां होती हैं जो महीनों से साफ नहीं की जाती हैं और उनमें काई की मोटी-मोटी परतें जमी रहती हैं उन्ही में पानी भर दिया जाता है और उसी पानी को होटल के कर्मचारी ग्राहक को परोस देते हैं। पानी देने वाले कर्मचारी के हाथ भी काफी मैले कुचैले रहते हैं। कुछ जगह तो कर्मचारियों के हाथों में फुंसिया व गलन भी देखी गईं। बताया गया कि दिन भर पानी में हाथ डूबने से त्वचा गल गई है। उसी हाथ का पानी ग्राहक पीता है। चाट वालों के डिब्बे तो ऐसे रहते हैं मानो उन्हे किसी कबाड़ से उठाकर उसमें पानी भर दिया गया हो। धूल गर्दें और काई की परत जमी रहती है और उसी का पानी ग्राहक पीता है। ऐसी कुछ सामान्य निगरानियां भी करना खाद्य एवं औषधि विभाग जरूरी नहीं समझता। सुरक्षा मानकों में सबसे अहम और सरल उपाय है खानपान की सामग्रियों को ढांक कर रखा जाना। लेकिन विभाग इस सामान्य सी प्रक्रिया की जांच पड़ताल करना भी जरूरी नहीं समझता है। होटलों में खुले में नाश्ते का सामान रखकर बेचा जा रहा है। जिसमें मक्खियां गंदगी लगाए भिनभिनाती रहतीं हैं। लोग उसी को खाकर बीमार पड़ जाते हैं। चाट फुल्की के ठेलों के आसपास गंदगी का अंबार लगा है। जूठन बिखरी है जबकि पूर्व में कलेक्टर ने एक मुआयने के दौरान यहां दूकानदारों को गंदगी के कारण जमकर फटकार लगाई थी और सफाई व्यवस्था के लिए कंटेनर वह भी कुछ डिस्टेंस पर रखने के निर्देश दिए थे। लेकिन पालन कहां हो रहा है? डेयरी व होटल संचालक मिठाइयों का जो कारोबार कर रहे हैं उनमें न केवल मिलावट है बल्कि शुद्धता का अभाव है। मावे की मिठाइयों में तो फफूंद भी देखने को मिल जाती है। मिठाइयों का स्वाद भी कुछ बिगड़ा सा रहता है। इनकी विधिवत जांच पड़ताल करना और नमूना लेकर जांच के लिए प्रयोगशाला भेजना जरूरी नहीं समझा जा रहा है। जगह जगह लोग नुकसानदायक खानपान के शिकार हो रहे हैं। लेकिन विभाग के लोग भारी भरकम वेतन लेकर मजे कर रहे हैं। उन्हे अपनी ड्यूटी का बोध नहीं है। विभाग केवल त्योहारों के समय ही जागता है। बाजार की सब्जी मण्डी में आज भी सड़ी गली सब्जियां बेची जा रही हैं। यही हालत ठेलों में बिकने वाले फलों की भी है। लेकिन इन विक्रेताओ पर नकेल कसने वाला कोई नहीं। पूर्व में एक बार नगरपालिका ने अभियान चला कर ऐसे बेकार फल व सब्जी जब्त कर उन्हे तत्काल नष्ट कराया गया था लेकिन अब कहीं कोई ऐसा जनहितकारी अभियान नहीं चलाया जाता है। नगरपालिका के अमले का पता नहीं रहता है। इसके अलावा सब्जीमण्डी में इन दिनो गंदगी का अ बार लगा हुआ है। बरसात के कारण मण्डी के अंदर सड़ांध सी उठती रहती है।

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