धान खरीदी प्रक्रिया मेें हो रहा किसानों का शोषण

केन्द्र प्रभारी कर रहे मनमानी, अफसर उदासीन बने
शहडोल। खरीदी केन्द्र में धान का उपार्जन किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए शासन ने शुरू किया था। नागरिक आपूर्ति निगम हर साल यहां अरबों रुपए की खरीदी की जाती है लेकिन अव्यवस्थाएं दिनोदिन बढ़ती ही जा रहीं हैं। यहां शासकीय प्रावधानों का पालन करने की जरूरत नहीं समझी जाती है। खरीदी केन्द्रों के अधिकांश प्रभारी 15-15 वर्षों से कार्यरत हैं इन्हे हटाया नहीं जा रहा है। इन्होने अपनी जड़ें जमा कर शासकीय प्रावधानों को प्रभावित किया है। यहां गुणवत्ता परीक्षण करने के लिए आउट सोर्स कंपनी के 39 सर्वेयर पदस्थ किए गए हैं। लेकिन उनकी जांच पड़ताल और रिपोर्ट की कोई पूछ परख नहीं।
छन्ना नहीं लगा रहे
्र्शासन का प्रावधान है कि किसानों से साफ और गुणवत्तापूर्ण सूखी धान खरीदी जाए। इसके लिए केन्द्रो मेें छन्ना लगाया जाए। हर केन्द्र में छन्ना और पंखे की व्यवस्था की जाए। पूर्व में ऐसी व्यवस्था होती भी थी लेकिन इस बार कहीं व्यवस्था दिखाई नहीं पड़ती। किसानों की धान वारदानों में पलटा कर रख ली जाती है। धान की स्थिति कैसी है, उसमें कितना कचरा है उसकी गुणवत्ता कितनी है इसकी जांच पड़ताल करने की आवश्यकता नहीं समझी जाती है। केन्द्रों की न तो मॉनीटरिंग हेा रही है न अधिकारी मौका मुआयना कर रहे हैं।
तौल मेें भी कर रहे गड़बड़ी
खरीदी केेन्द्रो में शासन के निर्धारित प्रावधान के अनुरूप तौल नहीं की जा रही है। यहां भी खरीदी केन्द्रों के प्रभारियों की मनमानी चल रही है। 40 किलो 650 ग्राम शासन की गाइड लाईन है जबकि यहां किसानों से 41 किलो ग्राम लिया जा रहा है। इस संबंध में कई किसानों ने बताया कि यहां साफतौर पर कह दिया जाता है कि अगर 41 किलोग्राम भर्ती करानी है तेा ही तौल करेंगे। नहीं तो अपनी धान ले जाओ। किसान अपना शोषण करवाने को विवश रहता है।
ऐसी भी अव्यवस्थांए व्याप्त हैं
8 जनवरी को सिंहपुर धान खरीदी केन्द्र का निरीक्षक द्वारा औचक निरीक्षण किया गया था। निरीक्षण के दौरान सफाई व कोडिंग की व्यवस्था नहीं पाई गई। साथ ही किसानों की बोरी से सीधे धान शासकीय बारदानों में पलटी करते पाया गया। जबकि इस कार्य के लिए शासन ने वर्कर व तुलावटी रखने के लिए निर्देश दिए हैं जिनके लिए राशि जारी की जा रही है। जाहिर है कि वर्करों व तुलावटियों का पैसा खरीदी केन्द्रो का अमला डकार जाता है। गोहपारू के पलसऊ में भी यही स्थिति देखी गई, शिकायत यह भी है कि किसानों को परेशान करने के लिए उन्हे जबर्जस्ती खड़ा रखा जाता है जब शाम होने लगती है तो पैसे ले कर उसकी धान ली जाती है। जिला प्रबंधक को लिखित सूचना अनुसार अवगत कराया गया। जेएसओ गोहपारू श्रीमती दीप्ति सिंह द्वारा दूरभाष पर समिति द्वारा शिकायत किये जाने और अवैध पैसे की मांग की शिकायत की गई है।
सहमे से हैं सर्वेयर
खरीदी केन्द्रो में गुणवत्ता की परख करने आए आउट सोर्स सर्वेयर खरीदी केन्द्र प्रभारियों की हेकड़ी और नादिरशाही से सहमे से रहते हैं। इनके हर निर्णय व रिपोर्ट पर केन्द्र प्रभारी आपत्ति जताते हैं और इन्हे धमकाते हैं। प्रशासनिक अमले के सामने सर्वेयरों की ही भ्रामक शिकायतें कर दी जातीं हैं। सर्वेयर अपनी स्वतंत्र राय नहीं रख पाते हैं। खरीदी केन्द्र कुल मिलाकर किसानों का हर तरह से शोषण करने पर आमादा रहते हैं।