–खनिज का अमला पहले विधानसभा, फिर लोकसभा और इसके साथ रेत ठेकेदारों की चाटूकारिता में व्यस्त है, सडक़ निर्माण के लिए जिन्हें मुरूम उत्खनन की अनुमति दी गई है, वे खुद क्रेशर संचालकों की तरह हाजरी लगा देते हैं, ऐसे में तपती दोपहरी में साहब वातानुकूलित कक्ष से बाहर आखिर क्यों जायें। गोहपारू के मलमाथर में सडक़ निर्माण के लिए मुरूम की अनुमति का दुरूपयोग एजेंसी और सचिव अपने कारोबार के लिए खुलकर कर रहे हैं।
शहडोल। गौण खनिज संपदा से परिपूर्ण जिले में रेत के ठेकेदारों ने सुनहरी रेत को जब से सोने के सिक्को में बदल दिया है, खनिज विभाग और अन्य अधिकारी सिर्फ बैठकर पगुराने में ही व्यस्त है, उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि जिले में मुरूम की एक भी वैध खदान न होने के बाद भी आखिर पंचायतों में मुरूम कौन सप्लाई कर रहा है और पंचायत तथा ग्रामीण विकास विभाग उन बिलों के भुगतान भी कर रहा है। क्रेशर संचालक और अन्य शासकीय ठेकेदार पुरानी तर्ज पर अपनी हाजरी लगा देते हैं, ऐसी स्थिति में रेत ठेकेदारों के साथ सप्ताह-दस दिन में छापेमारी कर ली और नौकरी पूरी हो गई। वन विभाग ने गोहपारू क्षेत्र के ग्राम मलमाथर में मुरूम का अवैध उत्खनन करते हुए जब जेसीबी जब्त की तो, इस पूरे गड़बड़झाले में खनिज के राजस्व से वेतन पा रहे कर्मचारी ‘‘बाड़ी ही खेत खा रही’’, कहावत को चरितार्थ करते नजर आये। बहरहाल चुनावों की धमाचौकड़ी में मामला खनिज कार्यालय की जगह पंचायत के सचिव व निर्माण एजेंसी के ठेकेदार व वन विभाग के बीच लटका हुआ है।
किसने दे दी मुरूम सप्लाई की छूट
शहर सहित पूरे जिले में गौण खनिजों की हो रही अवैध उत्खनन और परिवहन कर माफिया शासन को लाखों के राजस्व का नुकसान पहुंचा रहें हैं। सब कुछ जानकर भी जिम्मेदार अधिकारी आंख मूंद कर बैठे हुए हैं। अधिकारियों की लापरवाही का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि गोहपारू जनपद के ग्राम मलमाथर खसरा क्रमांक 406/1 रकवा 2.997 हेक्टेयर क्षेत्र में भण्डारित खनिज मिट्टी परिवहन का आदेश 02 माह के लिए प्रदान की गई थी, कार्य में विलम्ब होने के चलते मिट्टी/मुरूम के परिवहन के लिए समय सीमा को 2 माह से बढ़ाकर 6 माह प्रदान कर दिया गया, लेकिन उक्त मुरूम उत्खनन की अनुमति मे. धु्रव कंस्ट्रक्शन प्रो. अखिलेश पांडेय पिता स्व. पशुराम पाडेण्य निवासी बिरला नगर ग्वालियर को मलमाथर तक रोड निर्माण में उपयोग किये जाने की दी गई है, खबर है कि ठेकेदार द्वारा उक्त क्षेत्र से मुरूम की अवैध सप्लाई की छूट दे दी है।
खनिज अधिकारी,ठेकेदार या पंचायत दोषी
ग्राम पंचायत खांड में जिस मुरूम से सडक़ का निर्माण हो रहा था, वन विभाग की कार्यवाही के बाद यह तो स्पष्ट हो गया कि जेसीबी न सिर्फ अवैध उत्खनन में संंलिप्त थी, बल्कि यह कार्य लंबे समय से चोरी छुपे चल रहा था, पंचायत द्वारा मुरूम का उपयोग करने के बाद जेसीबी के मालिक ग्राम पंचायत सरना के सचिव चन्द्रशेखकर सिंह के पुत्र की फर्म के नाम पर पूर्व की तरह भुगतान कर दिये जाते, इस मामले में खांड पंचायत भी सीधे तौर पर शामिल है, जिस निर्माण कार्य के लिए मेसर्स धु्रव कंस्ट्रक्शन के अखिलेश पाण्डेय को बीती 14 मार्च को अन्य सडक़ के पटरी फिलिंग हेतु मुरूम उत्खनन की अनुमति दी थी, इसी अनुमति के आड़ में खांड के सचिव, सरपंच, सरना के तथा कथित सचिव के साथ मिलकर काठ की हंडी चढ़ा रहे थे। पूरे मामले से खनिज विभाग ने दूरी बनाई हुई थी, लेकिन वन अमले की कार्यवाही से चल रहा गोरखधंधा सामने तो आया गया, लेकिन दोनों सचिव या ठेकेदार किसको दोषी बनाया जाता है।
इनका कहना है…
हमारी टीम ने जेसीबी और ट्रैक्टर पकड़ा था, मामला राजस्व का था, इसलिए हमने माईनिंग को पत्र भेज दिया है। भाग्यशाली सिंह रेंजर वन परिक्षेत्र खन्नौधी
****** अभी मामला हमारी जानकारी में नहीं है, जब पत्र आयेगा, तो दिखवायेंगे। देवेन्द्र पटले प्रभारी खनिज अधिकारी शहडोल