पटले की पदस्थापना के बाद दो शासकीय कर्मचारियों की हत्या,अवैध खनन के दर्जनों बड़े मामले आए सामने

नियुक्ति के साथ ही विराट धरा के लिए आफत बने पटले
कर्मचारियों का रोना, लेकिन लिस्ट बनाकर वसूली बराबर
पटवारी के बाद एएसआई की हत्या का जिम्मेदार कौन
भोपाल। शनिवार और रविवार की दरमियानी रात शहडोल जिले में खनिज विभाग के संरक्षण में चल रहे पनप रहे खनिज माफिया ने एक बार फिर शासकीय कर्मी की जान ले ली, पहले की तरह एक बार फिर आचार संहिता का फायदा खनिज अधिकारी को मिला,वे खुद को किनारे करके पूरी जिम्मेदारी पुलिस और राजस्व अधिकारियों पर डालते नजर आए।
शनिवार और रविवार की दरमियानी रात शहडोल जिले के ब्योहारी थाना अंतर्गत ग्राम नौढिया में खनिज माफिया ने एएसआई की हत्या कर दी,इससे ठीक 5 दिन पहले 19 फरवरी को खनिज माफिया के द्वारा ही शहडोल खनिज कार्यालय में पदस्थ निरीक्षक और अन्य से मारपीट की गई और उनसे अवैध रेत से लदा वाहन छुड़ा लिया गया, इस मामले में खनिज अधिकारी की चुप्पी सामने आई और अपने मातहत अधिकारियों की रक्षा करने की जगह वह मामले को टालते नजर आए थे, बीती रात हुई घटना के करीब 5 माह पहले इसी स्थान पर 25 नवंबर को पटवारी प्रसन्न सिंह की रेत माफिया ने ट्रैक्टर से कुचलकर हत्या कर दी थी,ठीक उसी तर्ज पर दूसरी बार जिले में खनन माफिया का आतंक सामने आया है, और पहले की तरह इस बार भी आदर्श आचार संहिता लगी हुई है जिस कारण प्रदेश के मुख्यमंत्री और अन्य प्रशासनिक अधिकारी चुनाव की व्यवस्थाओं में व्यस्त है, इसका पूरा फायदा खनिज विभाग के स्थानीय अधिकारी उठा रहे हैं, रविवार की सुबह जब यह मामला सामने आया तो बीते वर्ष नवंबर में हुई घटना की तर्ज पर खनिज अधिकारी देवेंद्र पटले एक बार फिर पीछे की पंक्ति में खड़े होकर खुद को किनारे और दोष मुक्त मानते हुए पुलिस और राजस्व अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराते नजर आए, यही नहीं बैकडोर से उन्होंने यह हवा भी फैलाई की हत्या का कारण माफिया और पुलिस विभाग की जुगलबंदी है जबकि जिले ही नहीं बल्कि प्रदेश भर में खनिज संपदा की देखरेख और उससे राजस्व वसूल कर शासन के खाते में जमा करने का काम खनिज अमले को ही दिया गया है और इसके एवज में उन्हें मोटा वेतन भी दिया जाता है, रविवार के दिन भर यह पूरा मामला सुर्खियों में रहा, लेकिन खनिज निरीक्षक देवेंद्र पटले कहीं भी सामने नहीं थे,बल्कि प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी और स्थानीय नेता ही कार्यवाही और मीडिया तथा अन्य चर्चाओं के बीच थे।
बीते वर्ष विधानसभा चुनाव से ठीक पहले नवंबर माह के अंतिम सप्ताह में अवैध रेत के खनन में जुटे माफिया ने पटवारी हत्याकांड को अंजाम दिया था, पटवारी प्रसन्न सिंह बघेल की हत्या के बाद यह मामला पूरे प्रदेश में सुर्खियों में था, लेकिन इसके बाद भी भोपाल में बैठे सरकार के जिम्मेदारों ने खनिज अधिकारी या फिर खनिज महकमें में इस घटना के लिए किसी को भी इसके लिए जिम्मेदार नहीं माना, यही वजह रही की नवंबर 2023 से शुरू हुआ जिले में अवैध खनन का काम जिले के लिए नासूर बन चुका है, बीते सप्ताह भी इस तरह का एक और मामला सामने आया था जिसमें अवैध खनन में लगे माफिया ने शहडोल खनिज विभाग के निरीक्षक पर हमला किया था, नवंबर से लेकर मई माह तक दर्जन भर से अधिक घटनाएं सामने आई है, जिसमें अवैध खनन को लेकर मारपीट और हत्या के प्रयास भी शामिल है, इस दौरान खनिज विभाग ने कितनी कार्यवाहियां की यह भी अपने आप में अजब है, शहडोल में एक बार फिर उसी खनिज निरीक्षक की तैनाती के दौरान शासकीय कर्मचारी की हत्या हो गई और पूर्व की तरह इस बार भी खनिज विभाग खुद को किनारे हुए किए हुए हैं और पूरा का पूरा दारोमदार स्थानीय राजस्व अधिकारियों और पुलिस पर टिका हुआ है।