शक्ति प्रदर्शन से भागी भाजपा, जंग से पहले डाले हथियार

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शक्ति प्रदर्शन से भागी भाजपा, जंग से पहले डाले हथियार
तुम भी खुश, हम भी खुश की परिपाटी पर नपा शहडोल
भाजपा के पास 22 तो कांग्रेस के पास 17 मौजूद

उर्मिला ने कहा एक साथ है 39 पार्षद

 

(शुभम तिवारी)

शहडोल। दो माह पहले भाजपा और कांग्रेस के गठबंधन का पत्र कलेक्टर कार्यालय पहुंचा था, जिसमें कांग्रेस के पार्षदों के साथ ताल मिलाते हुए, भाजपा पार्षदों ने अपने ही पार्टी के खिलाफ बिगुल फूंका था, चाल, चरित्र और चेहरा का ढोल पिटने वाली भाजपा और उसके पार्षदों का चेहरा इन दो माहों में लगातार बदलता रहा, 25 अक्टूबर को जहां कांग्रेस के साथ मिलकर भाजपा के पार्षदों ने अपनी पार्टी के खिलाफ बिगुल फूंककर अध्यक्ष की कुर्सी को हिलाया, लेकिन उनका चरित्र अगले माह ऐसा बदला कि पूरी कांग्रेस और शहर की जनता ही अवाक रह गई, भाजपा के पार्षदों ने कांग्रेस को आगे करके पीछे के दरबाजे से बाहर दौड़ लगा दी, इस बार फिर उनका चेहरा और चरित्र कांग्रेस व बागी से हटकर भाजपा के साथ नजर आया और लाया गया अविश्वास प्रस्ताव धराशायी हो गया, लेकिन भाजपा के तथाकथित पार्षद दोबारा अपने खेमे के साथ फिर नहीं रह सके, आज उपाध्यक्ष को लेकर अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान होना है, नपा से जुड़े सूत्रों का दावा है कि तथाकथित भाजपा पार्षदों का चेहरे और चरित्र ने एक बार फिर गुलाटी मार दी है और वह कांग्रेस के उपाध्यक्ष के साथ खड़े नजर आ रहे हैं।
भाजपा की चुप्पी, कांग्रेस का ढोल
इस संदर्भ में जब भाजपा के नेताओं और पार्षदों से संपर्क साधने का प्रयास किया गया तो इस मामले में वे बचते नजर आये, किसी ने फोन ही रिसीव नहीं किया, तो किसी ने जानकारी न होने की बात कही, किसी ने खुद को बाहर होना बताया, दूसरी तरफ कांग्रेस ने रविवार की शाम से ही यह ढोल पीटना शुरू कर दिया कि भाजपा ने हथियार डाल दिये हैं, भाजपा ने नेताओं का बिना नाम लिये हुए ही यह जानकारी आम की गई कि अविश्वास प्रस्ताव नहीं होगा।
निकल गई संगठन की हवा
नगर पालिका अध्यक्ष के अविश्वास प्रस्ताव से पहले भाजपा का संगठन और पूर्व मंत्री ने शहडोल में पूरी ताकत झोक दी थी, लेकिन उपाध्यक्ष के मामले में भाजपा का पूरा संगठन पूरे दांव लगाकर बचता नजर आ रहा है, संगठन का हर व्यक्ति रूठे हुए पार्षदों को मनाकर जैसे-तैसे भाजपा की कुर्सी बचाकर एक बार भाजपा मैदानी जंग जीत गई, लेकिन उपाध्यक्ष के चुनाव से पहले भाजपा के पार्षदों द्वारा संभवत: पाला बदल दिया और संगठन ने भी हवा के रूख को भांपते हुए अपने हथियार डाल दिये हैं। अब तो स्थिति यह बन रही है कि न तेरी, न मेरी, तू भी जीता, हम भी जीते।
ये है गिनती का आंकड़ा
शहर की नगर पालिका में कुल 39 पार्षद वार्डों से चयनित होकर नगरपालिका पहुंचे है, जिसमें कांग्रेस के पास वर्तमान में उपाध्यक्ष की कुर्सी बचाने के लिये 17 पार्षद मौजूद है, उधर भाजपा के पास 22 पार्षदों की अपनी टीम है और इन्हीं के सहारे वो कुलदीप निगम की जहाज को टाईटेनिक जहाज बनाकर जनता के सामने प्रस्तुत करना चाह रहे थे, लेकिन इस जहाज में छेद नहीं हुआ, अलबत्ता भाजपा को ही पीछे हटना पड़ रहा है। यह पहला अवसर होगा जब भाजपा ने मैदान छोडऩे का मन बनाया है।
चाहिए तो 27 पर गिनती अधूरी
भाजपा को यह अविश्वास प्रस्ताव पास करवाने के लिये 27 पार्षदों की आवश्यकता है, लेकिन जोड़-तोड़ में माहिर रही भाजपा लगता यह है कि अध्यक्ष के अविश्वास प्रस्ताव के समय से सग्गा-मित्ती के खेल पर आगे बढ़ चुकी है, उधर उर्मिला कटारे की कुर्सी बची, इधर भाजपा के पार्षद कुलदीप की कुर्सी बचाने में जुट गये है, क्योंकि भाजपा के पास कुल 22 पार्षद और 27 पार्षदों की गिनती चाहिए, ऐसे में यह अविश्वास प्रस्ताव धरा का धरा रह जायेगा।
भाजपा ने बनाया भागने का रास्ता
भाजपा अपने ही जाल में उलझकर रह गई और उसे पांच पार्षद नहीं मिल पाये, अब भाजपा के पास एक ही रास्ता है, अपनी उलझी हुई इज्जत को बचाने का बचा हुआ है, जिसमें वो उपाध्यक्ष कुलदीप निगम के साथ मिलकर इस अविश्वास प्रस्ताव को ही न होने दें, ऐसे में दोनों ही पार्टियों की इज्जत सुरक्षित रह जायेगी और न तेरी न मेरी वाली राजनीति को पूर्ण विराम भी लग जायेगा, शायद यह पहला अवसर होगा, जब भाजपा और कांग्रेस के पार्षदों ने मिलकर एक संयुक्त सम्मेलन को अंजाम देने की कोशिश की है। बहरहाल यह भी कहा जा सकता है कि अपने को खतरे में देखकर या पार्टी की डूबती लुटिया को देखकर भाजपा ने खुद ही भागने का रास्ता बना लिया।
ऐसा हो चुका है
सरकारी दस्तावेजों को अगर मानें तो 25 अक्टूबर को भाजपा-कांग्रेस के पार्षद एकत्र होकर उर्मिला कटारे के अविश्वास प्रस्ताव को लेकर कलेक्टर के पास पहुंचे थे और सामूहिक रूप से हस्ताक्षर कर कलेक्टर को दस्तावेज सौंपा था, मात्र तीन पार्षदों के हस्ताक्षर उस दस्तावेज में नहीं हो पाये थे लेकिन जैसे ही खाली कुर्सी, भरी कुर्सी की गिनती शुरू हुई, उसके पहले कुलदीप निगम के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का बिगुल बजा था और उसी समय से कांग्रेस को अपनी कुर्सी बचाने के लिये शीतलहर जैसा एहसास हुआ था, इसी के चलते उर्मिला कटारे को वरदान मिला था, लेकिन यहां तो कुलदीप के चक्रब्यूह ने भाजपा को पहले ही पवेलियन लौट दिया।

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