केंद्रीय चिकित्सालय में जीवन रक्षक दवाइयों का रहता है अभाव 7 अरब 47 करोड़ के घाटे में चल रहा सोहागपुर क्षेत्र कर रहा करोड़ों रुपए के मेडिकल बिलों का भुगतान

चंद्रेश द्विवेदी
धनपुरी-सोहागपुर क्षेत्र अंतर्गत संचालित केंद्रीय चिकित्सालय में जीवन रक्षक दवाइयों का आए दिन अभाव बना रहता है मधुमेह ब्लड प्रेशर एवं हृदय रोग से संबंधित आवश्यक दवाइयां अस्पताल में उपलब्ध नहीं रहती है इसके अलावा केंद्रीय चिकित्सालय में त्वचा एवं दंत रोग संबंधित दवा भी कभी उपलब्ध नहीं रहती कहने को तो केंद्रीय चिकित्सालय में प्रतिमाह करोड़ों रुपए की दवा खरीदी जाती है लेकिन इसके बाद भी सुहागपुर क्षेत्र को प्रतिमाह करोड़ों रुपए के मेडिकल बिल भुगतान करने पड़ते हैं यदि केंद्रीय चिकित्सालय द्वारा उन दवाओं की खरीदी की जाने लगे जिन दवाओं का उसे मेडिकल बिल भुगतान करना पड़ता है तो सारी समस्या समाप्त हो जाएगी क्योंकि मरीजों को दवाइयों के लिए यहां वहां भटकना भी नहीं पड़ेगा और प्रबंधन को करोड़ों रुपए के मेडिकल बिल के भुगतान से भी राहत मिल जाएगी
7 अरब 47 करोड़ के घाटे में केंद्रीय चिकित्सालय का महत्वपूर्ण योगदान-सोहागपुर क्षेत्र के पूर्व महाप्रबंधक देवेंद्र कुमार चंद्राकर के कार्यकाल में सोहागपुर क्षेत्र रिकॉर्ड 7 अरब 47 करोड़ के घाटे में था इसके पहले भी सोहागपुर क्षेत्र लगभग साढ़े पांच अरब के घाटे में था केंद्रीय चिकित्सालय में जीवन रक्षक दवाइयों के अभाव के कारण केंद्रीय चिकित्सालय में पदस्थ चिकित्सकों के द्वारा कोयला श्रमिकों को बाहर से दवाई लिखने के लिए मजबूर होना पड़ता है श्रमिक दवा दुकानों में जाकर महंगी दवा खरीदता है उसका बिल बनवा कर प्रबंधन से भुगतान प्राप्त करता है प्रतिमाह प्रबंधन को करोड़ों रुपए मेडिकल बिल के रूप में भुगतान करना पड़ता है सोहागपुर क्षेत्र को यदि 7 अरब 47 करोड़ के रिकॉर्ड घाटे में नियंत्रण लाना है तो केंद्रीय चिकित्सालय में बाहर से खरीदी जाने वाली दवाओं को अस्पताल में ही उपलब्ध करवाना होगा यदि केंद्रीय चिकित्सालय में सभी आवश्यक जीवन रक्षक दवाइयां उपलब्ध होंगी तो चिकित्सकों को बाहर से दवाई लिखना नहीं पड़ेगा और प्रतिमाह करोड़ों रुपए के मेडिकल बिल भुगतान से भी मुक्ति मिल जाएगी
चिकित्सकों से मांगी जाए दवाओं की लिस्ट और केंद्रीय चिकित्सालय में मंगाई जाए वही दवा-सोहागपुर प्रबंधन को केंद्रीय चिकित्सालय में पदस्थ चिकित्सकों से बाहर से लिखी जाने वाली दवाइयों की लिस्ट बनवानी चाहिए और फिर इन्हीं दवाइयों को केंद्रीय चिकित्सालय में उपलब्ध करवाना चाहिए यदि बाहर के लिखी जाने वाली जीवन रक्षक दवाइयां कोयला श्रमिकों को केंद्रीय चिकित्सालय में ही मिल जाएंगी तो कोयला श्रमिकों को दवाओं के लिए यहां वहां भटकना नहीं पड़ेगा केंद्रीय चिकित्सालय में त्वचा रोग की दवा भी कभी नहीं मंगवाई जाती है जिसके कारण कोयला श्रमिकों को काफी परेशान होना पड़ता है त्वचा रोग के विशेषज्ञ चिकित्सकों से उनके द्वारा लिखे जाने वाली दवाइयों को भी केंद्रीय चिकित्सालय में प्राथमिकता के साथ उपलब्ध करवाने की मांग उठ रही है
दिन-ब-दिन गिरती जा रही केंद्रीय चिकित्सालय की साख-वर्तमान समय में केंद्रीय चिकित्सालय की साख दिन-ब-दिन गिरती जा रही है केंद्रीय चिकित्सालय के अधिकांश वार्ड पूरी तरह से खाली रहते हैं पूर्व में कई नामचीन विशेषज्ञ चिकित्सक केंद्रीय चिकित्सालय में पदस्थ रहते थे डॉक्टर ए पी मोहंती डॉक्टर मुर्मू डॉक्टर मणि शेखर डॉक्टर पात्रा डॉ आरसी जैन आदि की ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई थी जमुना कोतमा चिरमिरी हसदेव नरोजाबाद उमरिया पाली एवं आसपास के सभी क्षेत्र से लोग केंद्रीय चिकित्सालय आते थे और गंभीर से गंभीर बीमारियों के शिकार हो चुके मरीज यहां से ठीक होकर जाते थे लेकिन वर्तमान समय में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी के कारण अब यह चिकित्सालय सिर्फ मरीजों के रेफर करने का सेंटर बनता जा रहा है केंद्रीय चिकित्सालय में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी कई वर्षों से बनी हुई है इसके साथ ही जीवन रक्षक दवाइयों का हमेशा अभाव बना रहना भी प्रतिष्ठित केंद्रीय चिकित्सालय की साख पर बट्टा लगाता है
शुगर बीपी एवं हृदय रोग के मरीज हमेशा होते हैं परेशान-केंद्रीय चिकित्सालय में आए दिन शुगर बीपी एवं हृदय रोग से संबंधित जीवन रक्षक दवाइयां खत्म रहती है वर्षों तक अपनी मेहनत से कोयला उत्पादन करने वाला श्रमिक इन जीवन रक्षक दवाइयों के लिए अस्पताल के सैकड़ों चक्कर लगाने को मजबूर रहता है लेकिन उसकी इस समस्या का समाधान कोई नहीं करता है केंद्रीय चिकित्सालय के द्वारा प्रत्येक माह करोड़ों रुपए की दवाई खरीदी जाती है लेकिन यह दवाई किसके काम आती है यह सभी कोई जानता है वर्तमान समय में सोहागपुर क्षेत्र अरबों रुपए के घाटे में चल रहा है यदि प्रबंधन आवश्यक दवाइयों को केंद्रीय चिकित्सालय में उपलब्ध करवाएं तो मरीजों को अस्पताल में ही दवा मिल जाएगी और करोड़ों रुपए के मेडिकल बिल भुगतान से भी उसे मुक्ति मिल जाएगी जीवन रक्षक दवाइयां अस्पताल में मिलने से श्रमिकों को यहां वहां भटकना नहीं पड़ेगा कई बार केंद्रीय चिकित्सालय में जीवन रक्षक दवाई उपलब्ध ना होने से मरीजों की जान भी जा चुकी है।