मध्यप्रदेश : शिवराज कैबिनेट का विस्तार कल, सिंधिया समर्थक ये नेता बन सकते हैं मंत्री
भोपाल । मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रिमंडल के विस्तार की अटकलों पर विराम लगा दिया है. शिवराज कैबिनेट का विस्तार गुरुवार को किया जाएगा. हालांकि, शिवराज को अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करने में 100 दिन से ज्यादा लग गए, जिसके बाद अब जाकर अब कैबिनेट के नामों पर मुहर लगी है. इसके बावजूद शिवराज के सामने काफी चुनौतियां हैं कि कैबिनेट में ‘किसे छोड़ें और किसे लें’.
शिवराज सिंह 2005 से 2013 तक तीन बार मुख्यमंत्री रहे. इन कार्यकाल में बीजेपी बड़े जनादेश के साथ थी और शिवराज के लिए कोई खतरा नहीं था, लेकिन इस बार नंबर गेम की बॉर्डर पर है. यही वजह है कि शिवराज को अपने कैबिनेट विस्तार के लिए इतने पापड़ बेलने पड़े हैं. मध्य प्रदेश में बीजेपी की हालत एक अनार और सौ बीमार वाली है.
मध्य प्रदेश में मंत्री पद के 40 से 45 बीजेपी नेता दावेदार माने जा रहे हैं जबकि मुख्यमंत्री सहित 35 मंत्री ही बनाए जा सकते हैं. फिलहाल शिवराज समेत कुल छह सदस्य अभी कैबिनेट में हैं. इस तरह से 29 मंत्री अब बनाए जा सकते हैं. ऐसे में एक बात तो साफ है कि शिवराज कैबिनेट में ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों का दबदबा होगा, क्योंकि उन्हीं के चलते सत्ता पर काबिज होने का मौका मिला है. ऐसे में उन्हें पार्टी नजरअंदाज नहीं करेगी, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि बीजेपी अपने किन वरिष्ठ नेताओं को मंत्री बनाने का काम करेगी.
दरअसल, बीजेपी में तीन से लेकर सात-आठ बार तक जीतने वाले विधायकों की लंबी फेहरिस्त है. इनमें गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह, गौरीशंकर बिसेन, विजय शाह, यशोधरा राजे सिंधिया, अरविंद सिंह भदौरिया, विश्वास सारंग, संजय पाठक, राजेंद्र शुक्ला, हरिशंकर खटीक, अजय विश्नोई और रामपाल सिंह जैसे बीजेपी नेता यह मानकर चल रहे हैं कि उन्हें मंत्रिमंडल में जगह मिलना तय है. हालांकि, सिंधिया के समर्थकों के आने के बीजेपी के कई दिग्गजों की राह मुश्किल हो गई है, क्योंकि उन्हीं के इलाके से ये भी नेता आते हैं. खासकर बुंदेलखंड और चंबल इलाके में शिवराज के लिए सबसे बड़ी चुनौती है.
बीजेपी के विधायक गोपाल भार्गव तो कमलनाथ सरकार के दौरान प्रतिपक्ष के नेता थे. मध्य प्रदेश में उमा भारती की सरकार से लेकर बाबू लाल गौर और शिवराज सिंह चौहान की सभी सरकारों में गोपाल भार्गव मंत्रिमंडल में शामिल रहे थे. वहीं, शिवराज सिंह की पिछली सरकार में गृह और परिवहन जैसे भारी भरकम मंत्रालय की जिम्मेजदारी संभालने वाले भूपेंद्र सिंह भी मंत्री पद के प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं. बीजेपी के ये दोनों दिग्गज बुंदेलखंड क्षेत्र से हैं जबकि इस क्षेत्र से पहले ही सिंधिया खेमे से गोविंद सिंह राजपूत को मंत्री बनाया जा चुका है. ऐसे में शिवराज के लिए यह एक बड़ी चुनौती बन गई है.
गौरीशंकर बिसेन मध्य प्रदेश में बीजेपी के दिग्गज नेता माने जाते हैं. लोकसभा सदस्य से लेकर कई बार विधायक चुने जा चुके हैं. प्रदेश में 2008 से लेकर 2013 तक शिवराज कैबिनेट में वरिष्ठ मंत्री रहे. सिंधिया की बुआ यशोधरा राजे सिंधिया चार बार की विधायक हैं. शिवराज की पिछली सरकार में मंत्री भी रही हैं. वहीं, कुंवर विजय शाह 1993 से लगातार विधायक हैं और 2008 से लेकर 2018 तक शिवराज सरकार में मंत्री रहे हैं.
ऐसे ही मध्य प्रदेश में राजेंद्र शुक्ला बीजेपी के दिग्गज नेता और ब्राह्मण चेहरा माने जाते हैं. वो उमा भारती की सरकार से लेकर अभी तक बीजेपी की सभी सरकारों में मंत्री रहे हैं. बीजेपी के इन दिग्गज नेताओं के इलाके से ही सिंधिया समर्थक नेता भी मंत्री बनने के प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं. ऐसे में शिवराज के लिए क्षेत्रीय और जातीय संतुलन बनाने के साथ-साथ पार्टी के दिग्गज नेताओं को एडजस्ट करना एक बड़ी चुनौती
शिवराज कैबिनेट में सिंधिया का दबदबा
वहीं, शिवराज कैबिनेट में सिंधिया समर्थकों का पूरी तरह से दबदबा होगा. करीब 9 से 10 समर्थक मंत्री बनने के दावेदार हैं. शिवराज सिंह चौहान ने दो सिंधिया के समर्थक गोविंद सिंह राजपूत और तुलसीराम सिलावट पहले ही मंत्री बना दिया है बाकी 7 से 8 विधायक मंत्री और बनाए जाएंगे. सिंधिया के करीबियों में प्रद्युम्न सिंह तोमर, इमरती देवी, महेंद्र सिसोदिया, प्रभुराम चौधरी, राज्यवर्द्धन सिंह दत्तीगांव, एदल सिंह कंसाना, बिसाहू लाल सिंह और हरदीप सिंह डंग मंत्री बनने की उम्मीद लगाए हुए हैं.