भाजपा का प्लान-बी हो सकता है कांग्रेस से रमेश की दावेदारी

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कभी भाजपा से करते रहे दावेदारी अब कर रहे कांगे्रस से दावेदारी

विधानसभा अनूपपुर की तारीखो की घोषणा अभी नही हुई है, जहां भाजपा की ओर से बिसाहूलाल सिंह प्रत्याशी तय माने जा रहे है वही कांग्रेस के दावेदारो की लंबी फेहरिस्त है, कार्यकर्ताओं से हटकर जो कांग्रेस का प्राथमिक सदस्य भी नही है, कांग्रेस से दावेदारी कर के कार्यकर्ताओं को असमंजश में डालने का प्लान-बी हो सकता है भाजपा का।

अनूपपुर। चुनाव जब भी आते है, रमेश ङ्क्षसह का नाम सुर्खियों में आने लगता है, किंतु इस बार वे अपने परम्परागत भाजपा से दावेदारी न करते हुए कांग्रेस से उपचुनाव विधानसभा अनूपपुर में अपनी दावेदारी प्रस्तुत की है, रमेश ङ्क्षसह प्रशासन अधिकारी रहते हुए 2018 में अनूपपुर विधानसभा से भाजपा से अपनी दावेदारी किये थे, 2018 में अनूपपुर विधानसभा में कांग्रेस से एक नया युवा चेहरा विश्वनाथ ङ्क्षसह उभर कर जनता के बीच से आया रहा और बिसाहूलाल ङ्क्षसह जैसे कांग्रेस के कद्दावर नेता को कडी चुनौती दिया था, सूत्रों की माने तो भाजपा 2018 में अनूपपुर विधानसभा चुनाव से कांग्रेस की टिकट पर नजर गडाये हुए थी, यदि कांग्रेस 2018 में अनूपपुर विधानसभा से बिसाहूलाल ङ्क्षसह की जगह विश्वनाथ ङ्क्षसह जैसे नये युवा चेहरो को प्रत्याशी बनाती तो भाजपा की भी रणनीति अनूपपुर विधानसभा से नये प्रत्याशी रमेश ङ्क्षसह को बनाने की थी, इसी कारण भाजपा ने 2018 के विधानसभा चुनाव में अनूपपुर जिले की तीन विधानसभा सीटो में से पुष्पराजगढ एवं कोतमा की सीट के प्रत्याशी घोषित कर दिये थे, किंतु अनूपपुर की टिकट पर रोक लगा दी थी और जब कांग्रेस ने अपने पुराने कद्दावर चेहरे बिसाहूलाल ङ्क्षसह पर ही दाव लगाया तो भाजपा ने भी अपने परपंरागत चेहरे रामलाल पर दाव लगा दिया था, जिससे रमेश ङ्क्षसह की टिकट खटाई में पड गई थी।
संघ और भाजपा से करीबी रिश्ते
शहडोल में पदस्थ रहते हुए बतौर प्रशासनिक अधिकारी रमेश ङ्क्षसह के भाजपा और संघ से काफी करीबी रिश्ते रहे है, 2019 के लोकसभा चुनाव में रमेश ङ्क्षसह ने भाजपा से शहडोल लोकसभा सीट से दावेदारी की थी, जहां कांग्रेस तत्कालीन उमरिया कलेक्टर अमर ङ्क्षसह की पत्नी श्रीमती परमिला ङ्क्षसह पर दाव लगाई थी वही भाजपा उनके खिलाफ शहडोल लोकसभा सीट से भाजपा से दावेदारी कर रहे शहडोल में ही पदस्थ प्रशासनिक अधिकारी रमेश ङ्क्षसह पर दाव लगाना चाह रही थी, किंतु लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस से प्रत्याशी रही श्रीमती हिमांद्री सिंह की भाजपा के शीर्ष नेताओं के माध्यम से सीधे इन्ट्री हो जाने से रमेश ङ्क्षसह की दावेदारी फिर से खटाई में पड गई थी।
जन सेवा या सत्ता की लोलुपता
रमेश ङ्क्षसह बतौर प्रशासनिक अधिकारी पदस्थ रहते हुए भी जन सेवा कर सकते है, क्योकि जनसेवा का माध्यम प्रशासनिक अधिकारी से बेहतर और कुछ नही होता, राजनेता भी सीधा जनसेवा नही कर सकते क्योकि उनका माध्यम प्रशासनिक अधिकारी ही होता है, रमेश ङ्क्षसह के कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस से चुनाव लडने की दावेदारी सत्ता सुख की लोलुपता को प्रदर्शित करता है। अपने लगभग 14 वर्ष के शासकीय सेवा के दरमियान अप्रत्यक्ष रूप से कई व्यवसायिक प्रतिष्ठान भी बना चुके है और भाजपा के 15 वर्षो के शासन में वे मनचाहे स्थानों पर अपनी पदस्थापना भी संघ के भाजपा के रिश्ते के दम पर कराते रहे है, वे जब-जब चुनाव में दावेदारी किये है, तब-तब मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार रही है, चाहे वह 2018 हो या फिर 2019 या 2020 का उपचुनाव।
निलंबन के बाद शहडोल की पदस्थापना
मध्यप्रदेश में मार्च 2020 में कांग्रेस की सरकार को गिराकर शिवराज ङ्क्षसह चौहान के बाद मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद डिंडौरी में पदस्थापना के दौरान भाजपा के एक बडे नेता से रमेश ङ्क्षसह का विवाद हो जाने के कारण रमेश ङ्क्षसह का निलंबन हो गया था, निलंबन के बाद रमेश ङ्क्षसह की बहाली और अनूपपुर जिले के पडोसी जिले शहडोल में पदस्थापना होना और पदस्थापना होने के साथ ही कई महत्वपूर्ण विभागों का दायित्व उन्हे मिलना, भाजपा और संघ में उनकी पकड को दर्शाता है। साथ ही सूत्रों की माने तो बहाली और पदस्थापना के पूर्व रमेश ङ्क्षसह और बिसाहूलाल की एक गोपनीय बैठक हुई और उस बैठक के बाद रमेश ङ्क्षसह की बहाली और शहडोल पदस्थापना हुई है जो भाजपा का प्लान-बी होने की संभावना है।
भाजपा सरकार का संरक्षण!
शहडोल में पदस्थ रहते हुए अनूपपुर विधानसभा उपचुनाव में बडे ही दम खम से वे अपनी दावेदारी प्रस्तुत कर रहे है। सूत्रों की माने तो अनूपपुर विधानसभा के प्रभारी एनपी प्रजापति के तीन दिन के दौरे के कार्यक्रम में होटल विलासा बुढार में कांग्रेस के अन्य दावेदारों के साथ हुई मीटिंग में भी उपस्थित थे, अनूपपुर विधानसभा क्षेत्र में संजय पाठक से करीबी रिश्ते रखने वाले नेताओं की टीम रमेश ङ्क्षसह की दावेदारी की प्रतिनिधित्व कर रही है और एनपी प्रजापति के दौरे के दरमियान रमेश ङ्क्षसह के गाडिया का काफिला जो पडोसी जिले और राज्य तक से पहुंची थी, जिसे अनूपपुर शहर में घुमाया गया था, सोशल मीडिया में एवं समाचार पत्रों में निरंतर रमेश ङ्क्षसह की दावेदारी प्रस्तुत हो रही है तथा रमेश सिंह शहडोल में पदस्थ रहते हुए अनूपपुर विधानसभा में निरंतर जनसंपर्क भी कर रहे है, जो सिविल सेवा शर्तो का खुला उल्लंघन है एवं कदाचरण की श्रेणी में आता है, के बावजूद जो कमिश्नर कार्यालय के नाम के नीचे पदस्थ है, उसके बाद भी कोई नोटिस तक नही हो रही है, इससे यह प्रमाणित होता है कि रमेश ङ्क्षसह भाजपा के प्लान-बी के तहत् अनूपपुर विधानसभा उपचुनाव में दावेदारी प्रस्तुत कराई जा रही है।
कांग्रेस का भाजपा एवं बिसाहूलाल कांग्रेस से होना है सामना
जहां उपचुनाव में कांग्रेस को 40 वर्षो तक नेतृत्व करने वाले बिसाहूलाल सिंह ने मध्यप्रदेश के कांगे्रस की सरकार को गिराने में अहम भूमिका अदा कर, भाजपा का दामन थामकर भाजपा से प्रत्याशी होना उनका तय है और कांग्रेस में कई नेताओं से आज भी उनके करीबी रिश्ते है, इस प्रकार कांग्रेस को भाजपा के साथ-साथ बिसाहूलाल कांग्रेस से भी लडना है, अब भविष्य में देखना होगा कि कांग्रेस की रणनीति क्या होती है और भाजपा की रणनीति क्या होती है।

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