50 बैगा परिवारों पर वन विभाग का कहर

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गोंडवाना स्टूडेंटस यूनियन इंडिया ने कमिश्नर कार्यालय पहुंचकर दी शिकायत

(अमित दुबे+8818814739)
शहडोल। गोंडवाना स्टूडेंटस यूनियन इंडिया ने कमिश्नर कार्यालय पहुंच मुख्यमंत्री ने नाम शिकायत पत्र सौंपते हुए मांग की है कि वन विभाग द्वारा ग्राम वेदी तहसील पुष्पराजगढ़, जिला अनूपपुर में बैगा जनजाति समुदाय के 50 परिवार के पुस्तैनी कब्जे की दखल की भूमि पर खड़ी धान की फसल नष्ट कर भूमि से बेदखल करने वाले वन विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की जाये, साथ ही उक्त संरक्षित बैगा जनजाति परिवारों को उनके उक्त भूमि का पट्टा दिया जाये।
पट्टा देने से किया वंचित
शिकायतकर्ता ने मुख्यमंत्री को सौंपे गये शिकायत पत्र में उल्लेख किया है कि संकटग्रस्त बैगा जनजाति के 50 परिवार अपनी पुस्तैनी कब्जे की दखल भूमि पर विगत कई पीढिय़ों से खेती-बाड़ी कर एवं मकान बनाकर काबिज है, वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत उक्त पुस्तैनी दखल भूमि के पट्टे देने के लिए केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा अनेको बार वन विभाग को निर्देश दिया जा चुका है, बावजूद इसके वन विभाग के संबंधित अधिकारियों द्वारा संरक्षित बैगा जनजाति को नजर अंदाज कर पट्टा देने से वंचित किया गया है।
खड़ी फसल करवाई नष्ट
बैगा आदिवासियों द्वारा बताया गया कि 21 जुलाई को वन विभाग कार्यालय पुष्पराजगढ़ के अधिकारियों द्वारा पट्टा देने के लिए रिश्वत की मांग की गई, रिश्वत की रकम नहीं होने पर 22 जुलाई को वन विभाग द्वारा बीट गार्ड, डिप्टी रेंजर एवं रेंजर तथा वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी पूरे दलबल के साथ संरक्षित बैगा जनजातियों के पुस्तैनी कब्जे दखल भूमि पर लगी धान की फसल को मवेसियों द्वारा चराकर नष्ट कर दिया गया, तथा वृक्षारोपण करने के लिए गड्ढे खुदवा दिये गये।
डरे हुए परिवार
गोंडवाना स्टूडेंटस यूनियन इंडिया के जिलाध्यक्ष अभिषेक सिंह धुर्वे ने शिकायत में उल्लेख किया है कि वन विभाग के अधिकारियों द्वारा बैगाओं को धमकी देते हुए कहा गया कि आज के बाद अपनी भूमि पर दोबारा आए तो, जेल भिजवा देंगे तथा तुम्हारे ऊपर इतने मुकदमे चलायेंगे की तुम जीवन भर चक्कर काटते रहोगे, इस तरह की धमकी वन विभाग के मुखिया द्वारा दी गई, जिससे 50 परिवारों के लोग काफी आहत एवं डरे हुए हैं।
कार्यवाही की हुई मांग
शिकायतकर्ता ने मांग की है कि उक्त मामले में वन विभाग के दोषी अधिकारियों की जांच कराकर कड़ी कार्यवाही की जाये, जिससे भवष्यि में पुन: ऐसी घटनाएं न हो सके एवं संरक्षित बैगा जनजाति के 50 परिवारों को उनकी कब्जे की दखल भूमि का पट्टा देने एवं धान के फसल के नुकसान का मुआवजा दिया जाये।

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