प्रधानमंत्री आवास योजना में धांधली

गरीब की पक्की छत के लिए ग्रहण पंचायत के जिम्मेदार
अपात्रों को लाभ पहुंचाने सचिव पर लगे आरोप
शहडोल। जिले में ही नहीं संभाग के दोनों जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ पात्र लोगों को नहीं मिल पा रहा है। पात्र लोगों की फाइल में तरह-तरह की कमियां बता कर बार-बार लौटा दिया जाता है, जबकि अपात्रों का चयन कर फाइल को आगे बढ़ा दिया जाता है। सरकार का हर गरीब को पक्की छत उपलब्ध कराने का सपना है। इसके लिए प्रधानमंत्री आवास योजना चलाई जा रही है। इस योजना के तहत बीपीएल कार्ड धारक जिनकी वार्षिक आय 55000, गरीबी रेखा वाले की आय 300000 से कम होनी चाहिए। साथ ही सरकारी कर्मचारी ना हो, उसके पास कार ट्रैक्टर एसी आदि ना हो, इनकम टैक्स के दायरे से बाहर हो, तभी लाभार्थी का चयन हो सकता है, लेकिन जनपद की कई ग्राम पंचायतों में अपात्रों को लाभ पहुंचाया गया है।
अपात्रों को बांट दिए प्रधानमंत्री आवास
जनपद पंचायत बुढार के ग्राम पंचायत धनोरा में जमकर लापरवाही बरती जा रही है इस लापरवाही में कमीशन के खेल ने अपात्रों को भी पात्र बना दिया है, वही कई वर्षो से पात्र हितग्राहियों द्वारा आवेदन करते -करते थकहार कर अब इसकी शिकायत जनपद से लेकर जिला पंचायत और अब कलेक्टर तक पहुंचा दी है। आरोप है कि यहां तैनात उपयंत्री सहित ग्राम पंचायत के सचिव, सरपंच ने सांठ-गांठ कर अपात्रों को योजनाओं का लाभ पहुंचाया है, लोगों का कहना है लाभार्थियों कि यदि बारीकी से जांच की जाए तो चयन करने वालों की गर्दन नप जाएगी।
पात्र को सूची से हटाया
बुढ़ार जनपद की ज्यादातर ग्राम पंचायतों के सरपंच सचिव सांठगांठ कर सीसी सड़क, नाली निर्माण, बाउंड्री, लघु तालाब, मीनाक्षी तालाब सहित अन्य विकास के कार्यों में जमकर धांधली की है, ग्राम पंचायत धनौरा में निवासरत पात्र हितग्राहियों के नाम बिना भौतिक सत्यापन के किए हुए ग्राम के प्रभारी सचिव बालमुकुंद शुक्ला द्वारा प्रधानमंत्री आवास प्लस की सूची से नाम हटाकर अपात्र हितग्राहियों से पैसा लेकर उनका नाम सूची में डाल दिया गया है, वहीं पात्र हितग्राहियों को इस सूची से हटा दिया गया है।
लामबंद हुए ग्रामीण
गरीबी रेखा की श्रेणी के नीचे जीवन यापन करने वाले ग्रामीण जो कि प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए पात्रता रखते हैं, प्रभारी सचिव बालमुकुंद शुक्ला के खिलाफ लामबंद हो गए हैं, जोकि पूर्व में भी फर्जी बिल के नाम पर वेंडरों से सांठ-गांठ कर लाखों का वारा नारा कर चुके हैं, लेकिन जिम्मेदारों को इन फर्जी बिल के सत्यापन की फुर्सत ही नहीं, जिसकी वजह से बालमुकुंद जैसे दर्जनों लोग आज भी पंचायत के लिए कलंक साबित हो रहे हैं।