बायो मेडिकल वेस्ट: परिसर में लगा दी जिम्मेदारों ने आग

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खुद ही खुदा बनकर जिम्मेदार ने अपनी जांच कर, बांटी

विज्ञप्ति

मामला कुशाभाऊ ठाकरे अस्पताल शहडोल का

शहडोल। राजनैतिक कृपा और बैक डोर से कुशाभाऊ ठाकरे अस्पताल के सिविल सर्जन बने दंत चिकित्सक जी.एस. परिहार पदभार सम्हालने के बाद से ही विवादों में रहे हैं, मामला चाहे उनकी कनिष्ठता को किनारे कर सिविल सर्जन बनाये जाने का हो या फिर रोगी कल्याण समिति या फिर रेडक्रास सोसायटी में पूर्व कलेक्टर की पदस्थापना के दौरान करोड़ों के बजट के बंदर बांट का हो, राजनैतिक कृपा उन्हें हर बार उन परेशानियों से उबार ही देती है। बीते दिनों अस्पताल से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट को राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के नियमों के अनुरूप डिस्पोज न करके उन्हें अस्पताल भवन के पीछे, परिसर के अंदर फेंके जाने का मामला सामने आया था। इस मामले में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड या फिर कलेक्टर के निर्देशन में कोई टीम यहां जांच के लिए पहुंचती, इससे पहले ही इस खतरनाक अवशिष्ट को आग के हवाले कर दिया गया।
बायो मेडिकल वेस्ट को लगाई आग
रविवार की दोपहर जिला चिकित्सालय के पीछे पड़े बायोमेडिकल वेस्ट के ढेर में प्रबंधन के जिम्मेदारों द्वारा आग लगवा दी गई। कुछ ही देर में वहां सिरिंज, प्लास्टिक की बोतल, कैथ, कॉटन आदि कचरा जलने लगा। धीरे-धीरे वहां आस-पास पड़ा सारा मेडिकल वेस्ट जल गया, लेकिन अस्पताल के स्टाफ या अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं हुई। सारा कूड़ा जलने के बाद आग खुद ही बुझ गई।

मरीजो सहित स्थानीयजनों के लिए खतरा
बायो मेडिकल वेस्ट को आग के हवाले करना बहुत ही गंभीर मामला है, राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण तथा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने ऐसे खतरनाक अवशिष्ट के निदान के लिए पूरी प्रक्रिया बनाई हुई है, यही नहीं अस्पताल से निकलने वाले ऐसे अवशिष्ट को यहां से ले जाने और निदान करने तक के लिए लाखों का बजट भी आवंटित किया गया है, इन सबसे परे अपनी कमियों को छुपाने के लिए उसे आग के हवाले कर देना और इससे उठने वाले दुर्गंध व जहरीले धुएं की परवाह न करना, पद के प्रति लापरवाही को दर्शाता है।
प्रकाशन के अगले घंटे खुद लिखते हैं जांच रिपोर्ट
सोमवार को जिला चिकित्सालय के आईसीयू वार्ड में फैली अव्यवस्था के संबंध में खबर का प्रकाशन किया गया था, आईसीयू सहित एनआरसी की छतें निर्माण के समय किये गये भ्रष्टाचार की कहानी बयां कर रही थी, इस संदर्भ में सिविल सर्जन डॉ. जी.एस. परिहार ने सोमवार को कार्यालय खुलने के अगले घंटे में ही इस पूरे मामले में अपने ऊपर लगे आरोपों की जांच कर ली और जनसंपर्क को मोहरा बनाकर पे्रस विज्ञप्ति सोशल मीडिया में वॉयरल कर दी, हालाकि श्री परिहार रेडक्रास सोसायटी और रोगी कल्याण समिति में उनके कार्यकाल के दौरान आये फंड और उसके व्यय के संदर्भ में तथाकथित प्रेस नोट में कुछ भी उल्लेख नहीं कर पाये, बहरहाल आज भी तथाकथित चिकित्सक और तथाकथित सरकारी खबरनवीस से इस मामले में खण्डन की उम्मीद तो की ही जा सकती है।

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