अमरकंटक – बुढ़ार – उमरिया के बाद सतना में गूँज रहे TBCL के पद्म सिंघानियां के कारनामे

सतना जिले में बन रही फर्जी ऋण पुस्तिका और नकली डिजिटल साइन खसरे
फर्जी भू-स्वामी ने 96 लाख रुपये में बेच दी फैक्ट्री की जमीन
सतना के पंजीयन कार्यालय से हो गई मैहर की रजिस्ट्री
दो थानों में सूचना के बाद भी आज तक नहीं हुई FIR
सतना. जमीनों के फर्जीवाड़े में सतना जिला पहले से ही काफी बदनाम रहा है अब एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें एक व्यक्ति ने अपने नाम पर फर्जी ऋण पुस्तिका और डिजिटली साइन फर्जी खसरा तैयार कर एक फैक्ट्री की जमीन को 96 लाख रुपये में दूसरे को बेच दिया। हद तो यह हो गई कि इस मामले में पंजीयन कार्यालय से भी दूसरे के नाम रजिस्ट्री हो गई। हालांकि जब मामला फैक्ट्री के संज्ञान में आया तो उसकी आपत्ति के बाद जमीन का नामांतरण नहीं हो सका। मैहर तहसील के इस जमीन फर्जीवाड़े के सामने आने के बाद मैहर तहसीलदार ने मैहर थाने में और जिला पंजीयन कार्यालय ने सिटी कोतवाली थाने में इसकी सूचना दी। लेकिन अभी तक इस मामले में एफआईआर नहीं हो सकी है और इतना बड़ा फर्जीवाड़ा करने वाले आराम से घूम रहे हैं।
सतना जिले में बन रही फर्जी ऋण पुस्तिका और फर्जी डिजिटली साइन खसरे
इस तरह बनाए गई है फर्जी ऋण पुस्तिका और नकली खसरे
यह है मैहर का मामला
तहसील के ग्राम लखवार की आराजी नंबर 65/2, 65/4 कुल रकवा 0.700 हैक्टेयर जमीन केजेएस सीमेंट के नाम पर है। यह जमीन केजेएस ने जरिये अवार्ड शासन से प्राप्त की है और आज भी राजस्व अभिलेखों में इन जमीनों का स्वामित्व केजेएस के नाम पर है। लेकिन शिवेन्द्र सिंह पिता रामपाल पटेल निवासी कृष्णनगर बस्ती सतना रोड अमरपाटन ने अपने नाम से फर्जी ऋण पुस्तिका और फर्जी खसरा तैयार करवा लिया। इन कूट रचित दस्तावेजों के जरिये उसने इन जमीनों को शहडोल के बुढ़ार निवासी TBCL के मालिक पद्म कुमार सिंघानिया पिता शरबान कुमार सिंघानिया को बेच दिया। जिस वक्त यह जमीन बेची गई उस वक्त भी शासकीय अभिलेखों में जमीन केजेएस के नाम पर थी।
सतना में हुई मैहर की रजिस्ट्री
मैहर तहसील स्थित इस जमीन की रजिस्ट्री मैहर रजिस्ट्रार कार्यालय में न कराई जाकर सतना जिला पंजीयन कार्यालय में कराई गई। जिला पंजीयन कार्यालय में 22 नवंबर 2021 को 96,60,000 रुपये में इस जमीन की रजिस्ट्री पद्म सिंघानिया के नाम पर कर दी गई। सवाल यह है कि इतना बड़ा सौदा होने के दौरान जिला पंजीयन कार्यालय ने मूल दस्तावेजों के संबंध में जानकारी लेना उचित नहीं समझा। इतना ही नहीं इस कार्यालय ने इस मामले पर भी विचार करना उचित नहीं समझा कि मैहर में पंजीयन कार्यालय होने के बाद भी सतना में क्यों रजिस्ट्री कराई जा रही है? सबसे बड़ा मामला यह है कि आजकल तो खसरे ऑन लाइन आसानी से देखे जा सकते हैं तो फिर रजिस्ट्रार कार्यालय ने ऐसा क्यों नहीं किया? लिहाजा इस जमीन विक्रय के मामले में रजिस्ट्रार कार्यालय की भूमिका संदिग्ध है।
कहां से बनी ऋण पुस्तिका
शीवेन्द्र सिंह ने इन दोनों आराजियों की ऋण पुस्तिका भी अपने नाम पर बनवाई है। सवाल यह है कि ऋण पुस्तिका खुले बाजार में मिलने वाला अभिलेख नहीं है। यह जिला भू-अभिलेख कार्यालय से नंबर वार संबंधित तहसीलों को दी जाती है। जहां से नंबरवार पटवारियों को जारी होती है। ऐसे में भू-अधिकार एवं ऋण पुस्तिका क्रमांक L -ST शीवेन्द्र के नाम पर कैसे बनी? और यह ऋण पुस्तिका किस हल्का पटवारी को दी गई थी? यह अपने आप में बड़ा सवाल है, लेकिन इसकी भी जांच शुरू नहीं हो सकी है। इतना ही नहीं जिस तरीके से ऋण पुस्तिका में जानकारी लिखी गई और पटवारी तथा तहसीलदार के हस्ताक्षर हैं उससे स्पष्ट हो रहा है किसी राजस्व से जुड़े आदमी ने ही यह सब तैयार किया है। हालांकि इसमें हस्ताक्षर भी फर्जी बताए जा रहे हैं। लेकिन अगर यह सरकार द्वारा जारी होने वाली ऋण पुस्तिका नहीं है तो फिर और गंभीर मामला है कि ऋण पुस्तिका फिर कहां से खुले बाजार को उपलब्ध हो रही है जिसके जरिये फर्जीवाड़े को अंजाम दिया जा रहा है।
फर्जी खसरा भी तैयार हो गया
शीवेन्द्र के नाम पर फर्जी खसरा भी बन चुका है। इसमें असली खसरे की तरह ही बकायदे पूरी जानकारी उपलब्ध है और उसमें डिजिटल साइन भी बने हुए हैं। यह भी अपने आप में बड़ा सवाल है कि इस तरह का ऑनलाइन डिजिटल साइन खसरा कैसे तैयार हो रहा है?
टैम्परिंग तो नहीं
इस मामले में जब उप पंजीयक से बात की गई तो उन्होंने बताया कि रजिस्ट्री कार्यालय में कई बार ऑन लाइन खसरे सर्वर में नहीं दिखते हैं। साथ ही यह भी कहा कि यहां कोई खसरा किसी के नाम दिखता है तो कुछ दिन बाद किसी के नाम दिखने लगता है। इस तरह से उदाहरण उन्होंने चित्रकूट के दिये। आशंका जताई कि खसरों में टैम्परिंग से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। हालांकि इस मामले में भू-लेख कार्यालय ने स्पष्ट इंकार किया। कहा कि अगर खसरे में कोई भी बदलाव होता है तो उसकी पूरी जानकारी पोर्टल पर दर्ज हो जाती है।
एफआईआर आज तक नहीं
यह फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद तहसीलदार मैहर ने मैहर थाने को सूचना देकर एफआईआर दर्ज करने कहा है इसी तरह से जिला पंजीयन कार्यालय से भी सिटी कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज करने की सूचना दी गई है लेकिन किसी भी थाने में पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की है। इतने बड़े फर्जीवाड़े का आरोपी राशि लेकर अभी गायब बताया जा रहा है।
(…….लगातार)