4 सालों में भी शिवराज का सपना नही साकार करा पाये नौकरशाह

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कब्जाधारियों के आगे बेबस शहडोल का प्रशासन
बस स्टैण्ड के लिए आया 1 करोड़ का बजट कहीं हो न जाये रद्द
चार वर्ष पहले शिवराज ने की थी बस स्टैण्ड के कायाकल्प की घोषणा
स्थानीय निकाय सहित एसडीएम, कलेक्टर सभी अब तक रहे मौन

जििले के जयसिंहनगर विकासखण्ड मुख्यालय स्थित बस स्टैण्ड का कायाकल्प अब सपना बनकर रह गया है। स्थानीय निकाय और कलेक्टर, मुख्यमंत्री के सपने को 4 वर्षाे में भी पूरा नहीं कर पाये, कायाकल्प के लिए आई राशि आवंटित भू-खण्ड को अतिक्रमण से मुक्त न कराये जाने के कारण लैप्स होने की कगार पर है।

(संतोष टंडन /शंभु यादव)

शहडोल। 4 वर्ष पहले 19 सितम्बर 2016 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जयसिंहनगर आगमन के दौरान यहां आयोजित कार्यक्रम में बस स्टैण्ड के कायाकल्प की घोषणा की थी। बस स्टैण्ड को नोटीफाईड करने की यह घोषणा और मुख्यमंत्री का यह सपना बीते 4 वर्षाे के दौरान जिले के नौकरशाह और जनप्रतिनिधि मिलकर भी पूरा नहीं कर पाये, ऐसा नहीं है कि इसमें मुख्यमंत्री व प्रदेश सरकार ने अपनी तरफ से कोई कमी रखी हो, बल्कि जिस 1.10 एकड़ के नजूल के भू-खण्ड पर बस स्टैण्ड सहित दर्जनों दुकानें बनने की घोषणा मुख्यमंत्री ने की थी, उस सपने व घोषणा को साकार करने के लिए स्थानीय नगरपरिषद को बजट भी आवंटित कर दिया, लेकिन दर्जनों अतिक्रमणकारियों को कौन हटाये, बिल्ली के गले में घंटी बांधने का साहस न तो, स्थानीय निकाय और न ही एसडीएम व अब तक के कोई कलेक्टर ही जुटा पाये।

अब तक हुई यह कवायत
परिषद के पास मुख्य रूप से आय साधन होने के साथ-साथ सार्वजनिक रूप से लोगों की आवाजाही के लिए बस स्टैंड का निर्माण होना अति आवश्यक है, लेकिन यहां पर 1.10 एकड़ की भूमि पर अवैध रूप से अतिक्रमण कर विकास की गति को पूरी तरीके से रोक दिया गया है। ज्ञात हो कि बस स्टैंड बनने के लिए मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा 2016 में बस स्टैंड के भूमि को स्वीकृत करते हुए एक करोड़ रूपयों की सौगात दी गई थी, लेकिन अतिक्रमण के कारण आज तक बस स्टैंड का निर्माण नहीं हो पाया है, लगभग 40 डिसमिल की भूमि बची हुई है, जिस पर बस स्टैंड का काम नहीं हो सकता जो मॉडल रूप दिया गया है वह उतने जमीन में नहीं बन सकता, पहले पान के ठेले में शुरुआत करते हुए अब धीरे-धीरे एक मंजिला, फिर दो मंजिला, उसके बाद तीसरे मंजिला का अवैध निर्माण अतिक्रमण करने वालों के द्वारा किया जा रहा है।

पंचायत काल का हवाला
नगर परिषद कार्यालय के ठीक सामने बस स्टैण्ड के आराजी खसरा क्रमांक 662/1 कुल रकवा 1.13 हेक्टेयर का अंश भाग 1.10 एकड़ भू-खण्ड पर दर्जनों कब्जेधारी काबिज हैं, वर्तमान और पूर्ववर्ती सरकारों ने प्रदेश के महानगरों में बड़ी-बड़ी अतिक्रमण की कार्यवाहियां की, लेकिन 2009 में नजूल की इस भूमि पर हुए अतिक्रमण और कब्जाधारियों की मनमानी रोकने और कार्यवाही करने के लिए सूची भी बनी, लेकिन कार्यवाही करने का हौसला शायद जिले के नौकरशाह नहीं जुटा पाये। कब्जेधारियों के संदर्भ में नगर परिषद द्वारा जारी नोटीफिकेशन में इस बात का स्पष्ट उल्लेख किया गया कि कुछ व्यक्तियों को पंचायत काल के दौरान पान की गुमटी या छोटी दुकान खोलने की अनुमति दी गई थी, लेकिन अब न तो भवनों की स्थिति आवंटित किये गये, भू-खण्ड जैसी रही है और लंबे अर्से से इन लोगों ने पंचायत द्वारा निर्धारित किराया भी नहीं दिया है।

तन गई बहुमंजिला इमारते
कब्जेधारियों में भाजपा सहित अन्य दलों के रसूखदार और पूंजीपति शामिल हैं। नगर परिषद द्वारा इन सभी अतिक्रमणकारियों की सूची वरिष्ठ कार्यालयों को भेजी जा चुकी हैं, लेकिन ब्लाक अनुभाग व जिले में बैठे प्रशासनिक मुखिया के द्वारा इस संदर्भ में कोई ठोस निर्णय न लिये जाने के कारण लगातार अवैध निर्माण व कब्जे का रकवा बढ़ता जा रहा है। शासकीय दस्तावेजों के अनुसार शिव प्रसाद गुप्ता को 12 बाई15 का रकावा आवंटित किया गया था, वर्तमान में इन्होंने 26 बाई 80 पर दो मंजिला मकान बनाया हुआ है, इसी तरह श्रीमती रामलली केशरवानी को 10 बाई 16 का भू-खण्ड आंवटित था, 2015 की स्थिति में इन्होंने 14 बाई 26 पर दो मंजिला पक्का मकान का निर्माण पूर्ण कर लिया था, इसी तरह रामनरेश सोनी, रामनाराण सोनी, रमाकांत सोनी, सुरेश प्रसाद सोनी, संतोष शर्मा,सत्यनारायण द्विवेदी, गुलजार खान सहित अन्य दर्जनों के नाम अवैध कब्जाधारियों की सूची में शामिल है, जिनके ऊपर वर्षाे का किराया भी बाकी है।

35 वर्षों से रुका नगर का विकास
नगर को अतिक्रमणमुक्त कराने के लिए न तो नगर परिषद द्वारा दिए हुए आवेदन पर राजस्व विभाग कोई अभियान चला रही है, और न ही प्रशासन इस ओर कोई ध्यान दे रहा है। दुकानदार दुकानों का सामान सड़कों पर रख लेते हैं, जिससे लोगों को आने-जाने में काफी परेशानी होती है, वहीं दूसरी तरफ शासकीय जमीनों पर भी फिर से अतिक्रमण किया जाने लगा है, यहां कुछ समय पूर्व छोटे-छोटे दुकान जो कि ठेलों में रखे हुए थे आज वहां पक्के भवन बनते जा रहे हैं, यह सब जनप्रतिनिधियों के संरक्षण में होता जान पड़ रहा है। करोड़ों की बस स्टैंड की बेशकीमती शासकीय जमीन पर पक्के निर्माण किए जा रहे हैं, लेकिन कोई रोकने-टोकने वाला नहीं है। वहीं नगर पंचायत का कहना है कि हमने अपनी तरफ से प्रशासन को कई बार चिटी लिखकर इस और अवगत कराया है लेकिन आज तक कोई भी कार्यवाही अतिक्रमण करने वालों के ऊपर नहीं हो रही है, जिससे इनके हौसले बुलंद है।

इनका कहना है…
अभी मैं अवकाश पर हूं, जैसे ही जयसिंहनगर पहचुंगा, एसडीएम प्रशासनिक अधिकारी से चर्चा कर नजूल के भू-खण्ड को अतिक्रमण से मुक्त कराने की पहल की जायेगी।
जयदेव दिपंंकर
मुख्य नगर पालिका अधिकारी
जयसिंहनगर

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