पवित्रता शुद्धता सात्विकता का जीवन जीया लोकमाता अहिल्यादेवी ने:मेघा पवार लोकमाता अहिल्या देवी की 300वीं जयंती के अवसर पर नाट्य मंच का हुआ वृहद आयोजन

पवित्रता शुद्धता सात्विकता का जीवन जीया लोकमाता अहिल्यादेवी ने:मेघा पवार
लोकमाता अहिल्या देवी की 300वीं जयंती के अवसर पर नाट्य मंच का हुआ वृहद आयोजन
कटनी।। देवी अहिल्या बाई ने कर्तव्य पथ पर रहते हुए अपना राजकाज संभाला । पुण्यश्लोका, देवी ,साध्वी,मातोश्री,गंगा जल निर्मल ऐसी विभिन्न उपाधियों से उन्हें विभूषित किया जाता है, प्रत्येक विशेषण उनके जीवन की पवित्रता, शुद्धता, सात्विकता का बोध कराता है। महिलाओं को उचित स्थान मिले, विधवा विवाह, सर्व धर्म समभाव, राजनैतिक चातुर्य ,कूटनीति में प्रवीण ,चतुरंगिनी सेना से पूर्ण अहिल्या देवी का चरित्र था।
देशभर के अनेक मंदिर उन्होंने बनवाए,घाटों का पुनरुद्धार कराया,अपना दुख दर्द हृदय में दबाते हुए स्थिर चित्त से वे प्रजाहित कार्य में लीन रही, उक्त आशय के उद्गार देवी अहिल्याबाई होल्कर जी की 300 वीं जन्म जयंती के अवसर पर भोपाल से उपस्थित हुई प्रांतीय संयोजिका और बाल कल्याण आयोग की सदस्य मेघा पवार ने मुख्य वक्ता की आसंदी से व्यक्त किया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि शासकीय कन्या महाविद्यालय की प्राचार्या श्रीमती चित्रा प्रभात ने कहा कि यदि किसी समाज को शसक्त करना है तो नारी का शिक्षित रहना आवश्यक है,आर्थिक रूप से देवी अहिल्या ने महेश्वर को अपनी राजधानी बनाया और पूरे देश भर में
धर्म परायणता के माध्यम से जागृति फैलाई ,समाज की कुरीतियों को दूर किया,काशी विश्वनाथ जैसे सैकड़ों मंदिरों का पुनरुद्धार करवाया। विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर सुनील बाजपेई ने कहा कि- उनके चरित्र को हम अपने आचरण में लाएं तभी उनकी जयंती सही मायने में सार्थक रहेगी। कार्यक्रम में अहिल्या देवी जी के ऊपर तीन नाट्यमंचल हुए जो उनके धर्म परायणता, कुशल प्रशासक और राजनीतिक चातुर्य के ऊपर थे। मंचासीन अन्य अतिथियों में डॉक्टर अमित साहू, कार्यक्रम संयोजक नीतू कनकने, कार्यक्रम सहसंयोजक मुकेश चंदेरिया रहे। कार्यक्रम का सफल संचालन उमा बहरे ने किया।बड़ी संख्या में प्रबुद्ध नागरिक जन ,मातृ शक्ति उपस्थित रहे।