धान उठाव के मामले में टूटे कायदे,धान उठाने वाले परिवहन कर्ताओं से मनमानी बड़ी महंगी
ट्रांसपोर्ट व मिलरों ने किया शासन की नीति का विरोध

समय पर नहीं हो सकेगा किसानों का भुगतान
उपार्जन केन्द्रों से 72 घंटे के भीतर धान का उठाव कर गोदाम या मिलिंग के लिए भेजा जाता है। लेकिन इस बार खरीदी के 12 दिनों के बाद भी धान का उठाव न होने पर किसानों के भुगतान में भी समस्या हो सकती है। जानकारों की मानें तो उपार्जन केन्द्रों से धान उठाव करना अनिवार्य किया गया है। समय पर धान का उठाव न होने से उपार्जन केन्द्रों में समस्या हो सकती है। उठाव के बाद ही स्वीकृत पत्र तैयार होता है। स्वीकृत पत्र बनने के सात दिनों के भीतर किसानों को भुगतान किया जाता है। समय पर धान उठाव न होने के कारण किसानों का भुगतान लेट लतीफ हो सकता है।जिले में इस बार धान खरीदी का लक्ष्य 18 लाख मैट्रिक टन निर्धारित किया गया है। 1 दिसम्बर से 19 जनवरी तक उपार्जन केन्द्रों में धान की खरीदी की जाएगी। धान विक्रय के लिए जिले के 30078 किसानों ने पंजीयन कराया है। बीते 12 दिनों में 716 किसानों से 4682 मैट्रिक टन धान की खरीदी की जा चुकी है। लेकिन अभी तक किसानों को भुगतान प्राप्त नहीं हुआ है।