आदिवासी अंचल में क्रेशर संचालकों का धमाका कहां से आ रहा बारूद, खनिज विभाग कि मौन स्वीकृति
Ajay Namdev-7610528622
जिले मेंं लोग पत्थर खदान और स्टोन क्रेशर संचालन से खासा परेशान हैं, दरअसल जिले के पुष्पराजगढ़ में इन दिनों खदानों में बेतरतीब ब्लास्टिंग और क्रेशर प्लांट से उड़ रही धूल से ग्रामीणों का सांस लेना दूभर हो गया है। क्षेत्र में होने वाली ब्लास्टिंग से जहां कृषि पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है, वहीं जल स्तर भी लगातार नीचे खसकता जा रहा है।
अनूपपुर। मैकलाचंल पर्वत श्रेणियां जुड़ी-बूटी एवं प्राकृतिक संपदा से लबरेज है, लेकिन उसके बाद भी क्षेत्र के पहाड़ों में बड़े-बड़े होल कर पहाड़ों को जमींदोज किया जा रहा है। जिला खनिज विभाग को मामले जानकारी होने के बाद भी लीपापोती का क्रम जारी है। ग्रामीण कई बार अवैध ब्लास्टिंग को बंद कराने की मांग कर चुके है, लेकिन जब कोई मामला तूल पकड़ता है तभी कुछ दिनों के लिए पहाड़ों पर सन्नाटा पसर जाता है। दिन गुजरने के साथ फिर से धमाके की गूंज पहाड़ों पर गूंजने लगती है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को ठेंगा
एक तरफ पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने स्टोन क्रेशर और खदान संचालकों से पर्यावरण स्वीकृति लेना अनिवार्य कर दिया है। वहीं दूसरी ओर वन परिक्षेत्र में अवैध रूप से पत्थरों का उत्खनन किया जा रहा है। दिलचस्प बात तो यह है कि जंगल में ब्लास्टिंग पत्थर की धड़ल्ले से खुदाई करने में जुटे हुए हैं। स्टोन क्रेशर संचालक वन और पर्यावरण संरक्षण को ठेंगा दिखाते हुए खनिज विभाग की नाक के नीचे यह सब करने में जुटे हुए हैं।
बिगड़ा पहाड़ वन क्षेत्र का स्वरूप
स्टोन क्रेशर संचालक वन परिक्षेत्र में क्रेशर लगा कर वनों के मूल स्वरूप को बिगाडऩे में आमदा है। उनकी जहां मर्जी होती है वहां अवैध रूप से मुरुम, पत्थर की खुदाई शुरू कर देते हैं। जानकारों की माने तो बड़ीतुम्मी, सरई, हवेली, परसेल, हर्राटोला, दुधमनिया, पटना, दोनिया, पोनी सहित अन्य कई स्थानों पर क्रेशर संचालकों द्वारा पहाड़ सहित जंगल ही साफ कर दिया गया है या जमीन को खाई नूमा बना दिया गया है। यहां नियमों को ताक पर रखते हुए पहाड़ी के हर हिस्से में जमकर अवैध खुदाई की जा रही है। इससे वन संपदा सहित पहाड़ का मूल स्वरूप ही बिगड़ गया है। इसके अलावा भी जिले में कई जगह स्टोन क्रेशर संचालक नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए अवैध उत्खनन करने में जुटे हुए हैं।
यह कहते कायदे
नियम अनुसार वन सीमा से 250 मीटर की परिधि के अंदर कोई कंपनी या व्यक्ति किसी प्रकार का उत्खनन, ब्लास्टिंग, माल डंपिंग आदि नहीं कर सकता। इसके अलावा हाइवे से भी 250 मीटर की दूर पर उत्खनन करने का प्रावधान है, लेकिन जिले के दर्जनों स्टोन क्रेशर ऐसे है जो वन सीमा और हाईवे के किनारे संचालित हो रहे हैं, जहां पत्थर खोदने के लिए ब्लॉस्टिंग भी की जाती है।
अभी भी जारी है धमाके
मध्यप्रदेश खनन अधिनियम के अनुसार समतल क्षेत्र में 6 मीटर और पहाड़ी क्षेत्र में 8 मीटर से अधिक खनन की अनुमति सिया अथवा डिया द्वारा नहीं दी जाती है, इसी प्रकार भू-जल स्तर और समुद्र तल से अधिक गहराई तक खनन की अनुमति नहीं दी जा सकती। जानकारों की माने तो अनुमति नहीं होने के बाद भी पुष्पराजगढ़ क्षेत्र में वैध और अवैध खदान संचालक नियमों को ताक पर रखे हुए हैं और समतल जमीन को खाई नुमा बनाने के बाद भी इनके द्वारा आज भी खदानों के तल में विस्फोटक लगाकर धमाके किये जा रहे हैं।