ऊरा पंचायत में प्रदेश के बाहर के मजदूरों ने किया काम?

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रोजगार सहायक के खाते में डाली शौचालय निर्माण की राशि
निष्पक्ष एजेंसी से जांच के बाद भ्रष्टाचार का जिन्न होगा बाहर

(अमित दुबे-8818814739)
अनूपपुर। जिले के अनूपपुर जनपद पंचायत अंतर्गत कई अन्य गांवों में स्वच्छता अभियान के तहत बने शौचालय की स्थिति दयनीय हो गई है, ओडीएफ होने के बाद भी पंचायत के कई गांवों में बने शौचालय जर्जर हो चुके हैं। अनूपपुर जनपद के ऊरा पंचायत में स्थानीय ग्रामीण फिर से खुले में शौच के लिए जाने को बेबस हैं। शौचालय की खराब स्थिति को लेकर ओडीएफ सेलिब्रेशन के साथ ही जिले तथा जनपद में बैठे अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों, समाजसेवियों पर सवाल खड़े हो शुरू हो गये हैं। विभागीय अनियमितता के कारण शौचालय की खराब स्थिति के जिम्मेदार लोगों पर अब तक कार्रवाई शुरू नहीं हो सकी है। यही कारण है कि ओडीएफ जिले में शौचालयों की स्थिति जर्जर होती जा रही है।
बाहर से आये मजदूर
केंद्र सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे लोगों को अपने ही गांव में रोजगार मुहैया करवाने के लिए कई योजना बनाई, जिसके तहत किसी भी व्यक्ति को अपने ही गांव में रोजगार मिल सकता है, लेकिन अगर ऊरा पंचायत की बात की जाये तो यहां छत्तीसगढ़ सहित अन्य प्रदेशों से मजदूर बुलाकर काम लिया गया, विभागीय पोर्टल पंचायत दर्पण में अपलोड किये गये नंबरों पर यदि गौर किया जाये तो एक-दो को छोड़कर पोर्टल में अपलोड नंबर पूरी तरह से फर्जी हैं।
क्या झूठी जानकारी हो रही अपलोड
अगर पंचायत के नुमाईंदे यह कहते हैं कि पंचायत में स्थानीय ग्रामीणों ने काम किया है, तो आखिर पंचायत कर्ता-धर्ताओं ने पोर्टल पर फर्जी मोबाइल नंबरों का खेल क्यों खेला, इससे साफ जाहिर होता है कि पंचायत में पदस्थ सचिव अम्बिका प्रसाद शुक्ला द्वारा कहीं न कहीं शासन से आई हुई राशि का बंदर बांट किया है।
बिलो में पहुंचा 3 प्रतिशत कमीशन
ऊरा क्षेत्र में बने शौचालय या किसी भी प्रकार के निर्माण कार्य में कमीशन का खेल अब सतह पर आ चुका है, सूत्रों की माने तो पंचायत से लेकर जनपद में बैठे अधिकारियों और कर्मचारियों को हर बिल का काम का प्रतिशत कमीशन समय से मिलता रहा और उन्होंने क्षेत्र में हुए भ्रष्टाचार की ओर से आंखें ही मूंद ली। लोगों का कहना है कि अगर पंचायतों में हुए सामान सप्लाई और हुए निर्माण कार्य की गुणवक्ता सहित शौचालय को गिनती कर ली जाये तो पंचायत सहित जनपद में बैठे अधिकारियों की कलई खुलकर सामने आ सकती है।
बाबूराम को किया उपकृत
पंचायत के पोर्टल की माने तो पंचायत में पदस्थ रोजगार सहायक को भी सचिव द्वारा सीधे तौर पर उपकृत किया गया, बाबूराम केवट के खाते में दूसरे के यहां हुए शौचालय निर्माण की राशि डाली गई, लोगों का कहना है कि अगर पूरन के यहां शौचालय निर्माण हुआ था तो उसकी राशि रोजगार सहायक के खाते में क्यों डाली गई। जागरूकजनों ने ऊरा पंचायत में लगे बिलों की अगर जांच निष्पक्ष एजेंसी से कराने की मांग की है और लोगों का कहना है कि जांच हुई तो तो रोजगार सहायक और सचिव सहित सरपंच के ऊपर गाज गिरना तय है।

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