कमाई की नो लिमिट, क्या इसीलिए नहीं पट रही थी  एसडीओपी और थाने के अन्य अधिकारियों से

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शहडोल। जिले के बुढार थाने में इन दोनों नो लिमिट की तर्ज पर जांच अभियान चल रहा है हालांकि नो लिमिट सिर्फ वाहनों की जांच और उन्हें डरा धमकाकर थाने तक लाने और जमाने की आड़ में वसूली तक ही सीमित है इसके लिए कार्य की नो लिमिट नहीं तय की गई है पुरानी पेंडेंसी की बात करें या फिर यहां पहुंचने वाले शिकायतों के निराकरण की इन सब को नो लिमिट के दायरे से बाहर रखा गया है पूरा का पूरा ध्यान नो लिमिट वसूली अभियान में लगाया गया है या पहला मौका होगा जब थाना प्रभारी के द्वारा ना सिर्फ थाना क्षेत्र अंतर्गत के सभी माल वाहक वाहनों की सूची के बाद अब थाना क्षेत्र से गुजरने वाले वाहनों की सूची तैयार कराई जा रही है बल्कि यह अकेला थाना है जहां महीना 30 दिन का नहीं बल्कि प्रभारी के इच्छा पर कभी 18 या फिर कभी 25 दिन का हो जाता है और फिर अगले महीने की किस्त की वसूली शुरू हो जाती है बड़े अधिकारियों के नाम पर यहां वसूली की नो लिमिट तय कर दी गई है सबसे खास आरक्षक आशीष और कुछ अन्य को इसकी कमान दी गई है छोटे से छोटे मामले में शुरुआत 25000 से हो रही है और यह सब इतना खुलकर हो रहा है कि सब कुछ सिस्टम में आ चुका हो दिन भर थाना क्षेत्र से गुजरने वाले वाहनों को  आरक्षक और हंड्रेड डायल वहां में बैठे पुलिसकर्मी घूरते रहते हैं नंबर ट्रेस किए जाते हैं कि यह नंबर सूची में है या फिर सूची से बाहर का नंबर है वैसे भी बुढार थाना क्षेत्र ब्यौहारी और देवलोंद के बाद अवैध खनिज के उत्खनन का सबसे बड़ा गढ़ माना जाता है यहां से सोन नदी के कई घाट रेत के अवैध उत्खनन के लिए मशहूर है बटली घाट कई बार विवादों में भी आ चुका है वहीं थाना क्षेत्र में  हड़हा, जरवाही घाट और इसके आगे के कई ऐसे घाट है जहां सोन नदी से पूरे समय रहता निकलती है पकरिया और हड़हा ऐसे क्षेत्रों में आते हैं जहां पत्थरों और मुरुम का अवैध उत्खनन बड़े पैमाने पर होता है खासकर यहां रिलायंस आने के बाद जैसे इस क्षेत्र के खनिज माफिया को संजीवनी मिल गई हो इस संजीवनी से खनिज माफिया के साथ थाने के वर्दीधारी भी अछूते नहीं रहे लेकिन बीते कुछ सप्ताह से थाना प्रभारी के वसूली की बड़ी भूख ने आम जनता को त्रस्त कर दिया है कोई भी वाहन चालक और उसका मालिक जब राष्ट्रीय राजमार्ग और बुढार थाना क्षेत्र से जुड़े सीमाओं से गुजरता है तो उसकी नजर सड़क से ज्यादा सड़क के किनारे खड़े  वर्दीधारी पर रहती है कि कहीं उसे रोक कर बेवजह थाने न बुलाया जाए 25 से 30000 से वसूली शुरू होती है और 5000 से नीचे तो वसूली जाती ही नहीं है पुलिस की छवि को लगातार इतना दागदार किया जा रहा है कि यदि थाना प्रभारी का तबादला भी हो जाए तो छवि को पिछले तर्ज पर साफ लाने में ही कई महीना लग जाएंगे इस संदर्भ में क्षेत्र के जनप्रतिनिधि शीघ्र ही पुलिस अधीक्षक कुमार प्रतीक और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक डीसी सागर के साथ ही मध्य प्रदेश के  के नए मुख्यमंत्री को भी पत्र के साथ कुछ साक्ष्य और ऑडियो और वीडियो के क्लिप भेज कर बड़ी कार्यवाही की मांग करने वाले हैं जिससे ट्रांसपोर्ट नगरी का नाम दूषित होने से बच सके।

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