माइनिंग छोड़ रहमान बना कोल ट्रांसपोर्टरों का रहनुमा,रोड सेल की तर्ज पर रेलवे सायडिंग में हो रही कोयले की छटाई 

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शहडोल। साउथ ईस्टर्न कोल फिल्ड्स लिमिटेड के सोहागपुर एरिया में इनदिनों कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है, माइनिंग के विशेषज्ञ को कोल सायडिंग में कोयले की लोडिंग-अनलोडिंग की जिम्मेदारी सम्हालते देखा जा सकता है, एरिया अंतर्गत बुढ़ार उपक्षेत्र की बुढ़ार रेलवे कोल सायडिंग से निजी और शासकीय उपक्रमों में कोयले की आपूर्ति रेलवे के रैकों के माध्यम से दशकों से की जा रही है, बीते कुछ वर्षाे से रोड सेल में आई गिरावट के बाद रेलवे सायडिंगों से कोयले की निकासी काफी बढ़ गई है, बुढ़ार रेलवे सायडिंग से भी निजी और शासकीय उपक्रमों में कोयला भेजा जाता है, लेकिन निजी उपक्रमों से उपकृत होकर कोल प्रबंधन के तथाकथित कर्मचारियों ने रोड सेल की तर्ज पर यहां भी खेल शुरू कर दिया है, आलम यह है कि जुगाड़ के  हमाम में अधिक से अधिक मलाई खाने की प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई है, इसमें रहमान अय्यैर नामक माइनिंग सरदार ने फिलहाल सबको पछाड़ दिया है। यही वजह है कि आये दिन यहां विवाद की स्थिति बनती है और कोयले के साथ भ्रष्टाचार की गर्द अब चौक-चौराहों तक भी पहुंचने लगी है।

खुद के बाद दो को जुगाड़ की जिम्मेदारी

कोल प्रबंधन से जुड़े सूत्र बताते हैं कि रेलवे सायडिंग में सिफ्ट इंचार्ज और लोडिंग इंचार्ज ही केवल सायडिंग में अधिकृत तौर पर रह सकते हैं, इसके अलावा विभागीय लिखित अनुमति या जारी आईकार्ड से कोई अन्य प्रवेश कर सकता है। कोयले की ग्रेड के लिए तकनीकि निरीक्षक और रैक लोड करने के लिए लोडिंग इंजार्च के अलावा वाहन चालक ही प्रवेश पा सकते हैं, सायडिंग के अंदर प्रवेश कर रहे भारी वाहनों के परिचालकों तक को अंदर प्रवेश वर्जित है। मूलत: किसी भी कोल परिक्षेत्र में माइनिंग सरदार भूमिगत या खुली खदान की व्यवस्थाओं के लिए नियुक्त होते हैं, कोयले की लोडिंग-अनलोडिंग साइड में माइनिंग सरदार की भूमिका अपने आप में हास्यास्पद है। बुढ़ार सायडिंग में रहमान अय्यैर खुद जुगाड़ से डटे ही है, वहीं संतोष सिंह और अनिल द्विवेदी नामक दो व्यक्तियों को कोयला छाटने के लिए निगरानी की तौर पर ऑफ रिकार्ड नियुक्त किया गया है। जिनका परिश्रमिक निजी रैक ठेकेदारों के द्वारा दी गई खैरात से पूरा किया जाता है।

कोयले की ग्रेड में खेला

सामान्यत: सोहागपुर एरिया से उत्खनित कोयले को 4 ग्रेडों में विभाजित किया गया है, जो अलग-अलग माइंसों से ट्रको के माध्यम से आने के बाद सायडिंग क्षेत्र में अलग-अलग रखा जाता है, जैसे जी-6 का कोयला शारदा-रामपुर , जी-7 का खैरहा तथा जी 08 का राजेन्द्रा-अमलाई एवं जी-9 का कोयला बंगवार और दामिनी माईंस से यहां पहुंचता है। रेलवे के रैकों में भी अलग-अलग स्थानों के लिए अलग-अलग ग्रेड का कोयला अलग-अलग दामों के हिसाब से भेजा जाता है, लेकिन रहमान अय्यैर के द्वारा संतोष सिंह और अनिल द्विवेदी को यहां अनाधिकृत तौर पर नियुक्त कर डोजर के माध्यम से कोयला छटवाया जाता है और निजी उपक्रम से सांठ-गांठ कर उसे अच्छी ग्रेड के  कोयले के लिए न सिर्फ इंतजार किया जाता है, बल्कि यार्ड में उपलब्ध कोयले को छांटकर भी दिया जा रहा है। इस कार्य के कारण कोयला लोडिंग में देरी होती है और अन्य उपक्रमों के रैक निर्धारित 5 घंटे से अधिक खड़े रह जाते हैं और रेलवे के द्वारा लाखों का डैमरेज संबंधित फर्मों से वसूला जाता है। रहमान अय्यैर निजी और शासकीय उपक्रमों से इस सायडिंग से दी जाने वाली सुविधाओं के नाम पर ऑफ रिकार्ड ठेका लिया जाता है, मनमाफिक कार्य न होने पर डैमरेज और रैक से कोयले की कमी का खेल-खेला जाता है।

दिखावे के कैमरे और कांटा घर 

रेलवे सायडिंग में अन्य व्यक्तियों का प्रवेश निषेध रहे और कोयले की ग्रेड से छेड़छाड़ को रोका जा सके, इसके लिए सीसीटीवी कैमरे लगाये गये हैं, इन कैमरों में अनाधिकृत तौर पर प्रवेश करने वाले रहमान अय्यैर के गुर्गाे की करतूते हर दिन कैद होती है, वहीं कोयले की छटाई करने के खेल पर तीसरी नजर रहने के बावजूद इन कैमरों को शायद रतौंधी लग चुकी है। वहीं यह भी बताया गया कि रहमान अय्यैर के द्वारा चहेते निजी उपक्रमों को मांग से अधिक कोयला लोड कर भेजा रहा है, वहीं इसकी कटौती शासकीय उपक्रमों से की जाती है। इसके लिए रैक लोड होने के बाद उसमें कोयले की कमी या बढ़ोत्तरी कांटे के दौरान सामने आती है, जिसे पूरा करने के लिए रैक कांटाघर से वापस सायडिंग पहुंचता है, जहां दोबारा शासकीय उपक्रमों में जाने वाले रैक से कोयले की निकासी तो जुगाड़ वाले निजी रैकों में कोयले की अतिरिक्त लोडिंग कर दी जाती है, यहां से निकलने के बाद दोबारा रैक के कांटा होने की व्यवस्था यहां नहीं है।

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