…उपसरपंच की फर्म के पंचायत में लग रहे बिल,कागजों में संचालित फर्म पर नहीं हो रही कार्यवाही

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शहडोल। गांवों के सर्वांगीण विकास के लिए पंचायती राज का गठन किया गया है, ताकि समस्या को गांव के लोग आपस मे मिलकर सुलझा सके और गांवों की छोटी, मोटी समस्या को पंचायत के सरपंच-सचिव, ग्रामवासी मिलकर दूर कर सकें। इसके लिए ग्राम पंचायत में मूलभूत चौदहवें-पंद्रहवें वित्त व पंचायत को टैक्स वसूली की योजनाओं से पंचायत की खाते में राशि आती है, जिससे पंचायत की आवश्यकता अनुसार खर्च किया जाता है, लेकिन जनपद पंचायत जयसिंहनगर की ग्राम पंचायत गिरूईखुर्द  में शासन का पैसा विकास के बजाय अनाप-शनाप बिल लगाकर किया गया है, जो सरकार व जनता के पैसे को सरपंच, सचिव व उपसरपंच की मिलीभगत दर्शाता है।
खुद का किया विकास 
राम नाम की लूट है, लूट सको तो लूट की तर्ज पर ग्राम पंचायत गिरूईखुर्द में विकास कार्य के लिए आये पैसे का बंदरबांट कर हाजमोला की गोली खा कर हजम कर लिया है, चर्चा है कि पंचायत के उपसरपंच ने ग्राम पंचायत में भ्रष्टाचार का खुला खेल-खेला है, नतीजन पंचायत के पास खुद का पानी टैंकर होने के बावजूद उपसरपंच की फर्म मेसर्स धीरज ट्रेडर्स को भुगतान किया गया है। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार द्वारा ग्राम पंचायतों का चेक पावर समाप्त करने के उपरांत पंचायतों में फर्जी वेंडरों की संख्या अपने आप में सवाल खड़े कर रही है, पंचायती राज व्यवस्था में विकास के नाम पर ग्राम पंचायत के सचिव, सरपंच एवं उपसरपंच ने खुद का खुलकर विकास किया है।
जिला उपाध्यक्ष का ओढ़ा चोला
ग्राम पंचायत गिरूईखुर्द का विकास बीते वर्षाे में कितना हुआ और उपसरपंच के संपत्ति में कितना विकास हुआ, यह किसी से छुपा नहीं है, उपसरपंच के पिता सत्ताधारी दल में जिला उपाध्यक्ष हैं, इसका फायदा उपसरपंच ने खूब उठाया, एक तरफ खुद को पाक-साफ बताने वाले नेताजी भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चा खोलने के बाते करते हैं और सरकार का नफा-नुकसान गिनाते हैं, लेकिन खुद के पुत्र द्वारा खुद की पंचायत में भ्रष्टाचार का खुला खेल-खेल रहा है, उस पर शायद नेताजी की नजर नहीं पड़ रही है या यूं कहें कि नेताजी भी इस हमाम में बराबर के हिस्सेदार हैं।
….तो क्या कागजों में संचालित फर्म !
जीएसटी लागू होने से पहले दावे किए जा रहे थे कि, पंचायतों के यह फर्जीवाड़े जीएसटी लागू होने के बाद खत्म हो जाएंगे, लेकिन यह सिर्फ भ्रम साबित हुआ। जीएसटी के बाद यह फर्जीवाड़े बंद नहीं हुए बल्कि सुरक्षात्मक ठगी हो गई है। ग्राम पंचायत गिरूईखुर्द में धीरज ट्रेडर्स नामक फर्म के बिल धड़ल्ले से लग रहे हैं, इनमें कहीं जीएसटी कटौती का उल्लेख नहीं है, बीते वर्षाे में पंचायत में रेत के भी बिल लगाये गये हैं, अगर जनपद के जिम्मेदारों द्वारा जितने भी खनिज की सप्लाई की गई है, उसकी रॉयल्टी मांग ली जाये तो, नेता-नेता और पुत्र-पुत्र अलग हो जायेगा। वहीं दूसरी ओर ऐसा लगता है कि नेताजी को बगैर बताये धीरज पैलेस रीवा रोड जयसिंहनगर में दुकान का संचालन किया जा रहा है, हालाकि स्थानीय लोगों की माने तो, उक्त स्थल पर कोई फर्म मौजूद ही नहीं है, कुल मिलाकर धीरज ट्रेडर्स कागजों में संचालित हो रही है। जागरूकजनों ने नवागत जिला पंचायत के मुखिया से मांग की है कि गिरूईखुर्द में हो रहे भ्रष्टाचार की जांच कराकर  फर्म संचालक सहित जिम्मेदार पंचायत के कर्मचारियों पर उचित कार्यवाही करें।
तिवारी जी की पॉवर पॉलटिक्स
सत्ता में आने के साथ ही सत्ताधारी दल के नेताओं की अधिकारियों पर पॉवर पॉलटिक्स शुरू हो जाती है। इसी पॉवर पॉलटिक्स के चलते  सरकार की योजनाओं पर ग्रहण लग रहा है, जिले के जयसिंहनगर जनपद की ग्राम पंचायतों में ऑफ रिकार्ड सत्ताधारी दल के नेताओं द्वारा ठेकेदारी की जा रही है, निर्माण कार्य में जमकर अनियमितता के साथ ही नियम विरूद्ध कार्य कराने के बाद एकजुट होकर अधिकारियों पर दबाव बनाकर अपना काम निकलवाया जाता है।  जनपद पंचायत जयसिंहनगर की ग्राम पंचायत गिरूईखुर्द में सत्ताधारी दल के नेता सतिका तिवारी के पुत्र उपसरपंच हैं, जिन्होंने खुद की फर्म के नाम पर जमकर भुगतान लिए हैं, लेकिन सत्ताधारी दल का दबाव होने के चलते इन पर नकेल नहीं कसी जा रही है।

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