ताराडांड पंचायत में चल रहा विजय का खेल

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सचिव की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल

अनूपपुर। एक ओर सरकार भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए कमर कसे हुए हैं और भ्रष्टाचार उन्मूलन के नए तरीके देकर ठोस कदम उठाकर कैशलेस व जीएसटी प्रणाली को बढ़ावा दे रही है। लेकिन इस प्रणाली को जिले में प्रशासनिक अधिकारी, सरपंच, सचिव, सब इंजीनियर ने अपनी कमाई का धंधा बना रखा है। खबर है कि जिले के जैतहरी जनपद के ताराड़ाड पंचायत में फर्जी बिलों के सहारे लाखों रुपए का लेन-देन किया गया है। सूत्रों का कहना है कि ताराड़ाड पंचायत में मेसर्स विजय कुमार शर्मा, सिविल कान्ट्रेक्टर एवं ट्रांसपोर्टर चचाई द्वारा बिल लगाएं, जिससे शासन के टैक्स की लाखों रुपए चोरी की गई। पंचायत में कागजी फर्म द्वारा रेत, गिट्टी, सीमेंट के नाम पर पंचायतों में लाखों के बिल लगा रखे है, जिसमें टैक्स की चोरी हुई है।
कंपोजीशन लाइसेंस वाले नहीं दे सकते हैं बिल
सरकार ने टैक्स चोरी रोकने के लिए देश में जीएसटी प्रणाली लागू की है। जिसके अनुसार कंपोजीशन लाइसेंस वाला जैसे रेत गिट्टी आदि के बिल नहीं दे सकते हैं। ये लाइसेंस धारक सिर्फ ट्रेडिंग ही कर सकते हैं। कंपोजीशन लाइसेंस में एक परसेंट टैक्स क्रय-विक्रय में देना पड़ता है और मजदूरी के बिल में सर्विस प्रोवाइडर के रूप में 18ः टैक्स है। यदि बिना जीएसटी नंबर के बिल या ळैज् नंबर डाल कर गलत बिल दिया हो तो ऐसे प्रत्येक बिल में दस हजार की पेनल्टी व 100 प्रतिषत जुर्माना का प्रावधान है। खबर है विजय शर्मा ने तो भ्रष्टाचार की सभी सीमा सरपंच सचिव और जनपद के आला अधिकारी से मिलकर तोड़ दी है। ढाई लाख रुपए के ऊपर के बिलों में 2 प्रतिषत टीडीएस काटना पंचायत को अनिवार्य है। लेकिन इस सप्लायर ने कई पंचायतों से बिल का भुगतान सरपंच-सचिव के साइन से अपने खाते में करवाया। टिन नंबर बंद हुए लंबा अर्सा गुजर गया फिर भी टिन नंबर के बिल लगाकर शासकीय नियम को ताक पर रख दिया। लोगों का कहना है कि अब देखना यह है कि शासन हजारों रुपए की टैक्स चोरी करने वाले के पर कड़ी कार्रवाई कर पैनल्टी वसूल करता है या नहीं। और ऐसे में जनपद में बैठे हुए शासकीय योजना की राशि को डकारने वाले माफियाओं के खिलाफ क्या कार्रवाई करता है।

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