पुलिस अधीक्षक और पाली प्रभारी ने की गंभीर मारपीट!

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( अनिल तिवारी+91-7000362359)
शहडोल। उमरिया जिले के पुलिस अधीक्षक सचिन शर्मा के खिलाफ घुनघुटी के संदीप दुबे नामक युवक ने मारपीट की शिकायत पुलिस महानिरीक्षक को दी है, युवक ने बुधवार की दोपहर पुलिस महानिरीक्षक एस.पी. सिंह के यहां पहुंच कर आरोप लगाये कि सचिन शर्मा द्वारा 5-6 पुलिस अधिकारियों एवं कर्मचारियों से मारपीट करवाई गई, जिससे युवक का दायां पैर टूट गया एवं शरीर में गंभीर चोटे भी आई, युवक ने शिकायत पत्र देते हुए पुलिस महानिरीक्षक से पुलिस अधीक्षक के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की मांग की है।

यह है पीडि़त की शिकायत
पीडि़त ने पुलिस महानिरीक्षक को लिखे पत्र में उल्लेख किया कि घुनघुटी निवासी शीला दुबे का मृत शरीर संदिग्ध परिस्थिति में जंगल में पाया गया था, जिनकी मृत्यु को पुलिस हत्या मानकर उक्त दिनांक से विवेचना कर रही है। इस विवेचना के क्रम में मेरी मां, मेरे भाई, मेरे पिता, बहन एवं मुझसे लगातार एक वर्ष से ऊपर लगातार पूछताछ मारपीट एवं भय दिखाकर करती चली आ रही है। 16 सितम्बर को लगभग 12 बजे दिन 6-7 वाहन में पुलिस सवार होकर मुझ प्रार्थी के घर पुलिस अधीक्षक सचिन शर्मा, एसडीओपी अरविन्द तिवारी एवं टीआई पाली के सहित अन्य पुलिस वाले आकर मुझे बलपूर्वक उमरिया ले जाया गया। जहां रात-दिन रस्सी से बांधकर लगातार पुलिस अधीक्षक बैठकर वहां उपस्थित पुलिस वालों को थर्ड डिग्री देने का निर्देश देकर मुझे बुरी तरह से पिटवाए। इस मारपीट से मेरा दायां पैर टूट गया है। मेरे पैर के दोनों घुटनों के पीछे एक के बाद एक कई चोटे एवं मेरे पैर के तलवा में सैकड़ों डण्डे एवं पाईप से मारा गया है। मारपीट करने वाले पुलिस वालों में से एक पुलिस वाले को नाम से जानता हंू। पुलिस अधीक्षक को नाम से जानता हंू, मारपीट जब मेरे साथ हो रही थी, उस समय टीआई पाली नहीं थे, पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर मेरे साथ मारपीट कर के दायां पैरा तोड़ा गया गया एवं अन्य हिस्सों में गंभीर चोंटे पहुंचाई गई है, जिससे मैं चलने फिरने में असमर्थ हो गया हंू। 09 सितम्बर को पुलिस के छोडऩे के पश्चात जिला चिकित्सालय शहडोल में दवाई करवाने आया, जहां इलाज करने से यह कह कर मना कर दिया गया कि यह मामला पुलिस केश का है, जब तक पुलिस के साथ नहीं आओगे तब तक जिला चिकित्सालय में तुम्हारा इलाज नहीं होगा। इस परिस्थितियों पर मैं मेवाड़ हॉस्पिटल शहडोल में जाकर अपना इलाज करवाया, पुलिस के डर एवं काननू की जानकारी न होने के कारण दो दिन विलम्ब शिकायत दी, पीडि़त ने उक्त पुलिस अधिकारियों के विरूद्ध अत्याचार एवं मारपीट कर पैर तोडऩे की वजह से आपराधिक प्रकरण एवं वैधानिक कार्यवाही की जाये।
यह है शिकायतकर्ता का इतिहास
पुलिस अधीक्षक पर गंभीर आरोप लगाने वाले युवक 15 से 16 महीने बाद अपने गांव घुनघुटी कुछ सप्ताह पहले ही लौटा था, यही नहीं युवक के संदर्भ में ग्रामीणों ने बताया कि लगभग डेढ़ वर्ष पहले युवक की बड़ी मां की हत्या हुई थी, जिसमें खुद युवक और उसकी मां तथा बहन जांच के कटघरे में थे, पुलिस इस मामले की विवेचना कर युवक तक पहुंचने ही वाली थी, इसी दौरान ही वह फरार हो गया, यही नहीं लगभग 3 वर्ष पहले घुनघुटी में केवट जाति की महिला की आग से जलने से मौत हुई थी, उस समय भी पुलिस की विवेचना में कथित युवक के मृतिका से करीबी संबंध और हत्या में उसके शामिल होने के साक्ष्य संभवत: पुलिस को मिले थे, लेकिन वह मामला फाईलों में ही कैद हो गया, इधर एक बार फिर महिला की संदिग्ध मौत के बाद जब युवक पुलिस की रडार में आया तो यहां से भाग कर बड़ौदा चला गया, इस मामले की जांच जारी ही है।

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