डीएम ने रोक के बावजूद वन भूमि पर तनवा दी बाऊंड्री

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लंबित मामले के बावजूद वन विभाग ताकता रहा मुंह

(Amit Dubey-8818814739)
उमरिया। वैसे तो शासकीय कर्मचारियों का आवास स्थाई नहीं होता, कभी भी तबादला होने पर उन्हें छोडऩा पड़ता है, 2 साल पहले तात्कालीन अधिकारियों ने जंगल की भूमि पर कलेक्टर का निवास निर्माण सहित कई एकड़ में कब्जा कर लिया था, जिसके बाद वन विभाग ने मौजूदा अधिकारियों के खिलाफ वन अपराध दर्ज किया था। उसके कुछ ही दिनों बाद तात्कालीन डीएफओ वासु कन्नौजिया का तबादला हो गया था, उन्होंने 10 साल की गूगल इमेज और रीवा राज दरबार के एग्रीमेंट और नक्शे के आधार पर निर्माण को गलत पाया था और मामला दर्ज करने के बाद वरिष्ठ अधिकारियों को प्रकरण भेजा था, लेकिन जिले में पदस्थापना के बाद से रेत के कारोबार और माफियाओं से सांठ-गांठ को लेकर सुर्खियों में रहे कलेक्टर स्वरोचिष सोमवंशी ने शासन स्तर पर लंबित प्रकरण होने के बावजूद वन भूमि पर बीते कुछ महीने पहले बाऊंड्रीवाल का निर्माण करा दिया, वहीं वन विभाग के अधिकारी मुंह ताकते रह गये।

6 माह पहले हुआ निर्माण
बताया गया है कि जिस वन भूमि पर विवाद था और शासन स्तर पर लंबित है, उस भूमि पर कलेक्टर के द्वारा बाऊंड्रीवाल का निर्माण कराया गया और गेट भी लगवा दिया गया, इतना ही नहीं यह पैसा किस मद से खर्च किया गया, इसका भी कोई हिसाब- किताब नहीं है, चर्चाओं का बाजार गर्म है कि रेत तो माफियाओं ने पहुंचा दी और जुगाड़ से बाऊंड्रीवाल बना दी गई, लेकिन जब जिले के मुखिया ही जंगल की जमीन पर कब्जा करेंगे, तो फिर दूसरों से आस क्या लगाई जा सकती है।
वृक्षों का कत्लेआम
जब मामला वर्षाे से शासन स्तर पर लंबित है तो, निर्माण कराया जाना पूर्णत: गलत है, इतना ही नहीं सूत्रों का यह भी कहना है कि निर्माण के लिए सागौन के पेड़ों की अवैध कटाई भी कराई गई, इसके अलावा बंगले के भीतर पिच का निर्माण भी कराया गया, जिसमें क्रिकेट की प्रैक्टिस और खेल भी होता है, खुलेआम वृक्षों का कत्लेआम अपने शौक को पूरा करने के लिए किया गया। वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी तामशबीन बनकर सबकुछ देखते रहे, मामला इतना गंभीर है कि अब इस मामले में जांच के बाद ही सच का पता चल सकेगा, आरोप जब खुद मुखिया पर लग रहे हैं तो, उन्हें सामने आकर जवाब देना चाहिए।
बोर्ड लगाने तक सीमित विभाग
वन विभाग ने हाल ही में उक्त स्थान के पास एक नया बोर्ड लगा दिया है, जिसमें उल्लेख किया गया है कि यह स्थान कक्ष क्रमांक 211 (नया 826) के अंतर्गत है, इसमें किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य कराना कानून का उल्लंघन है, वहीं वन विभाग के अधिकारियों को यह भी जानकारी है कि बाऊंड्री का निर्माण कराया गया है, लेकिन पुराने ही स्थान पर, शायद वह भूल गये कि प्रकरण दर्ज है और मामला लंबित है तो, उसमें वस्तुस्थिति ही बनाये रखने के ही नियम होते है, न कि उसके उल्लंघन के। जब तक निर्णय न आ जाये तो, किसी भी प्रकार का निर्माण नहीं हो सकता और उन्हें पेड़ों की कटाई की जानकारी भी नहीं है। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भारतीय वन सर्वेक्षण द्वारा वर्ष 2019 में जारी की गई केन्द्र की आईएसएफआर रिपोर्ट में जिले के फारेस्ट कवर एरिया 9.43 वर्ग किलोमीटर कम हुआ है।
साहब ने साधी चुप्पी
पवन पाठक से रिश्तों का खुलासा, रेत के कारोबार में हिस्सेदारी सहित अन्य विभागों में घोटाले, आदिम जाति कल्याण विभाग में भ्रष्टाचार, कोरोना महामारी के दौरान खुद जनता के बीच जाने के बजाय अलग रखते हुए मैदान छोडऩे का मामला हो, रेत के कारोबार में परिवार के लोगों की साझेदारी, रेत भण्डारणों में कार्यवाही के बाद नोटिस की आड़ में अवैध वसूली का खेल, पर जब भी कभी कलेक्टर स्वरोचिष सोमवंशी से उनका पक्ष जानने का इस मामले की तरह ही प्रयास किया गया तो, उन्होंने फोन आज भी रिसीव नहीं किया, जबकि उन्हें लग रहे आरोपों पर अपना पक्ष रखना चाहिए, ऐसा न करने के चलते वह अपने चक्कर में पूरी जमात को ही कटघरे में खड़ा कर रहे हैं।
इनका कहना है…
बाऊंड्रीवाल निर्माण कराया गया है, रही बात सैकड़ों पेड़ कटने की तो, यह जानकारी नहीं है, मामला अभी शासन स्तर पर लंबित है, हम इस मामले में अभी कुछ नहीं कह सकते।
आर.एस.शिखरवार
वन मण्डालाधिकारी उमरिया
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प्रकरण हमारे विभाग के द्वारा ही दर्ज कराया गया था, जो कि शासन स्तर पर लंबित है, बाऊंड्री का निर्माण पुराने ही स्थल पर कराया गया है, पेड़ कटने की जानकारी नहीं है, अगर ऐसा है तो, दिखवा लिया जायेगा, बाकी मामले को फाइल देखकर ही कुछ जानकारी दी जा सकती है, वैसे उक्त भूमि वन विभाग की है, तभी तो मामला दर्ज हुआ था।
आर.एन.वर्मा
प्रबंधक, वन विकास निगम उमरिया

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