कमाल है! संभागीय मुख्यालय में अवैध प्लाटिंग

प्रशासन के नाक के नीचे हो रहा रेरा का उल्लंघन
इमारतों की अनुमति को लेकर नहीं होती कोई छानबीन
(प्रकाश जायसवाल) – 9425472245
शहडोल। संभागीय मुख्यालय में खेतों की बिक्री आवासीय प्लाट के रूप में बेधड़क हो रही है। इन खेतों को प्लाटिंग करने वाले लोग पहले सड़क तैयार करते हैं, इसके बाद वहां अपने तरीके से प्लाटिंग करते है। कृषि योग्य भूमि को प्लाट के रूप में विकसित कर खरीदी बिक्री के लिए नियमानुसार डायवर्सन करना पड़ता है। एक से अधिक प्लाट काटने के बाद नियमानुसार कॉलोनाइजर एक्ट के तहत सभी फॉर्मेलिटी पूरी करने के बाद उसकी खरीदी बिक्री होनी चाहिए, लेकिन बिना पंजीयन के ही न केवल आवासीय कॉलोनी डेवलप हो रहे हैं, बल्कि खेत खलिहान का आवास के रूप में धड़ल्ले से अवैध प्लाटिंग भी हो रही है।
फंस सकते हैं खरीददार
शहर में ऐसी कई कॉलोनियां हैं, जिनके अवैध प्लाटिंग के मामले विभागों में लंबित है। रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) के नियमानुसार किसी भी बिल्डर को जमीन की प्लाटिंग करने से पहले रेरा में रजिस्टेशन कराना अनिवार्य है। इसके अलावा प्लाट बेचने से पहले बिल्डर वहां जन सुविधाओं से जुड़ी चीजें पानी नाली, सड़क, बिजली का इंतजाम, सीवर, खेल मैदान आदि की सुविधा उपलब्ध करायेगा मगर संभागीय मुख्यालय में अवैध प्लाटिंग का खेल जोरों पर चल रहा है। यहां रोजाना अवैध प्लाटिंग कर खरीददारों को बेचा जा रहा है। यहां प्लाट खरीदने वाले को अंधेरे में रखकर प्लाटिंग की जा रही है। इसके चलते आने वाले समय में यह प्लाट लेने वाले खरीददार परेशानियों में फंस सकते हैं।
तीन साल की सजा
पाण्डव नगर स्थित डाईट कार्यालय एवं खण्ड शिक्षा अधिकारी के कार्यालय से सटे क्षेत्र में सोहागपुर के कमाल नाम व्यक्ति द्वारा प्लाट काटकर बेचा जा रहा है, उक्त व्यक्ति द्वारा भूमि 700 से 800 रूपये वर्ग फिट दाम पर बेची जा रही है, जबकि नियमों का पालन न होने पर कार्रवाई का प्रावधान है। गड़बड़ी करने वालों पर जहां रेरा उसकी योजना की लागत का दस प्रतिशत तक जुर्माना कर सकती है। वहीं किसी मामले में एफआइआर होने पर तीन साल की सजा का भी प्रावधान एक्ट में है। रेरा के अनुसार एक्ट की वजह से यह भी तय है कि जिनका पंजीयन रेरा में होगा, उन बिल्डरों पर लोग भरोसा कर सकेंगे।
अवैध प्लाटिंग पर कोई ठोस कदम नहीं
जमीन दलालों के वायदे और झूठे कागाजत के फेर में फंसकर जमीन व मकान खरीदने वाले लोगों को बाद में खामियाजा भुगतना पड़ता है। खबर है कि सैकड़ों लोग डायवर्सन व एनओसी के लिए महीनों से कलेक्टोरेट व नगरपालिका दफ्तर के चक्कर काट रहे हैं। भूमाफियाओं के झांसे में आए लोगों को बुनियादी सुविधाओं के लिए भी तरसना पड़ रहा है। इसके बावजूद जिला प्रशासन जिले में तेजी से बढ़ रहे अवैध प्लाटिंग के कारोबार को रोकने कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है। प्रशासन ने भूमाफियाओं के खिलाफ एक भी कार्रवाई नहीं की है। यही वजह है कि कृषि भूमि पर तैयार हो रही इमारतों की अनुमति को लेकर कोई छानबीन नहीं की जा रही है।
कॉलोनी बनाने के लिए ये है नियम
नियमानुसार निजी भूमि पर कॉलोनी का निर्माण कराने से पहले लाइसेंस लेना पड़ता है। कॉलोनाइजर को संबंधित नगर पालिका से डायवर्सन के लिए एनओसी लेनी होगी। कॉलोनाइजर को ट्रांसफार्मर, पानी, सड़क का निर्माण कराना होगा। पार्क के लिए भूमि आरक्षित रखनी होगी। टाउन एण्ड कंट्री प्लानिंग से भी कॉलोनी निर्माण के लिए अनुमति लेनी होगी। एक एकड़ से कम क्षेत्र में कॉलोनी बनाई जा रही है तो पालिका में वर्तमान रेट का 15 प्रतिशत आश्रय शुल्क जमा करना पड़ता है, अगर एक एकड़ से ज्यादा जमीन है तो एयर डिस्टेंस दो किमी के भीतर ईडब्ल्यूएस बनाने के लिए जमीन छोडनी पड़ती है।