मध्य प्रदेश में सालभर में 48 तेंदुए की मौत

0

भोपाल। मध्य प्रदेश बाघ के बाद तेंदुओं की भी संख्या सर्वाधिक है, पर यहां दोनों वन्यजीवों की मौत के आंकड़े भी सबसे ज्यादा हैं। मध्य प्रदेश में पिछले एक साल में 48 तेंदुओं की मौत हुई है। इसमें दुखद यह है कि 17 तेंदुओं का शिकार हुआ है। उन्हें जहर देकर या करंट और फंदा लगाकर मारा गया है। इनमें से ज्यादातर मामलों में वन विभाग के हाथ तेंदुओं के सड़े-गले शव ही लगे हैं। हालांकि आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। तेंदुओं की गिनती के पिछले महीने जारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 3421 तेंदुए हैं और यह संख्या देश में सर्वाधिक है। तेंदुओं की संख्या के मामले में मध्य प्रदेश हमेशा से अव्वल रहा है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने वर्ष 2014 में पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर तेंदुओं की गिनती शुरू की। पहली बार में प्रदेश में 1517 तेंदुए पाए गए थे, जो देश में सर्वाधिक थे। दूसरी बार की गिनती दिसंबर 2017 से मार्च 2018 के बीच बाघ आकलन के दौरान हुई है। इस गणना में प्रदेश में 3421 तेंदुए पाए गए हैं। खुशी की बात यह है कि महज चार साल में प्रदेश में 1904 तेंदुए बढ़ गए। तेंदुओं की आबादी ने 16 उन जिलों में भी आमद दर्ज करा दी, जिनमें कई दशक से तेंदुए नहीं देखे गए थे, पर दुखद पहलू उनकी अनदेखी है। बाघ की मौत पर जिस तरह की सख्ती की जाती है, वास्तव में तेंदुओं के मामले में ऐसी सख्ती और सतर्कता नहीं दिखाई दे रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed