#MP के इस MLA ने कभी अपनी ही सरकार को अवैध खनन के मामले में था घेरा # आज बैकफुट पर हैं खड़े

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अवैध उत्खनन के खिलाफ ढीले पड़े

विधायक के तेवर

पूरे विधानसभा क्षेत्र से आ रही अवैध

उत्खनन-परिवहन की शिकायतें

3 वर्ष पूर्व ब्यौहारी विधायक चुने जाते ही शरद कोल ने शहडोल से लेकर भोपाल तक अवैध उत्खनन को लेकर झण्डा उठाया था, लेकिन समय के साथ-साथ शायद मैनेजमेंट के फेर में विधायक के तेवर ढीले पड़ गये, जबकि रेत, पत्थर सहित अन्य खनिज संपदा का अवैध उत्खनन पूर्व से भी कहीं तेजी से हो रहा है।

शहडोल। बीते विधानसभा चुनावों के उपरांत प्रदेश भर में चुनकर आये विधायकों में संभवत: सबसे कम उम्र के विधायक रहे शरद कोल ने इन तीन वर्षाे में कभी अवैध उत्खनन तो कभी कांग्रेस के प्रति निष्ठा दिखाकर खूब सुर्खिया बटोरी, लेकिन बीते कुछ माहों से अवैध उत्खनन को लेकर विधायक के सुर मंद से पड़ गये हैं। जिले को खनिज माफिया से मुक्त कराने के लिए सड़क पर उतरकर आंदोलन करने का बिगुल फूंकने वाले तथाकथित नेता बीते कुछ माहों से सुस्त पड़े नजर आ रहे हैं।

Shahdol News:अवैध रेत खनन को लेकर अपनी ही सरकार में लाचार हुए बीजेपी विधायक http://nbt.in/I_ZRUZ/a36mx

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विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक शिकायतें

हालाकि जिले में तीन विधानसभा क्षेत्र हैं, लेकिन अवैध उत्खनन व परिवहन के मामलों को देखा जाये तो, ब्यौहारी विधानसभा वर्षाे से जयसिंहनगर व जैतपुर से इस मामले में सबसे आगे रही है, पूर्व के वर्षाे में यहां का रेत का वैध व अवैध दोनों कारोबार तत्कालीन भाजपा नेता वीरेश सिंह रिंकू के खास सिपहसालार संजय सिंह के इर्द-गिर्द घूमता था, विधानसभा चुनावों में शरद कोल इसी मुद्दे को लेकर सुर्खियों में भी रहे हैं और उन्हें इस विरोध का फायदा चुनावों में भी मिला, रेत ही नहीं बल्कि ब्यौहारी क्षेत्र में पत्थर व मुरूम आदि का अवैध उत्खनन और अवैध क्रेशर जैतपुर और जयसिंहनगर की तुलना में कहीं अधिक है। ऐसा नहीं है कि शरद कोल के विरोध के बयान मात्र से अवैध उत्खनन खत्म हो गया हो, माना तो यह जा रहा है कि समय के साथ-साथ एक-एक कर सभी कारोबारियों से जैसे-जैसे मैनेजमेंट होता गया, वैसे-वैसे विधायक ने अपने सुर बदल दिये।

भोपाल तक किया था शंखनाद

शरद कोल ने विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामा था और तथाकथित तत्कालीन भाजपाई रेत के कारोबारियों को नीचा दिखाने के लिए ही संभवत: भाजपा संगठन ने शरद कोल को तरजीह दी और शरद कोल ने इसे पूरी तरह से ब्यौहारी से लेकर भोपाल तक भुनाया भी, खनिज के अवैध उत्खनन को रोकने के लिए उन्होंने कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री कमल नाथ तक से अवैध उत्खनन को रोकने के लिए मांग की थी और इस मामले में सुर्खिया बटोरने के दौरान ही नेताजी कांग्रेस के संपर्क में आये थे, जिस तरह उन्होंने भाजपा में रहने के दौरान कांग्रेस के पक्ष में राग अलापे थे और बाद में सत्ता परिवर्तन के दौरान उनके सुर भाजपा-भाजपा गाने लगे, ठीक उसी तरह अवैध उत्खनन के मामले में भी नेताजी के सुर अब पूरे जिले में कहीं सुनाई नहीं दे रहे हैं।

सड़को का भी नहीं करवा पाये जीर्णाेद्वार

रेत उत्खनन के मामले की तरह ही विधायक ने बीते माहों में जयसिंहनगर से रीवा जाने वाली ब्यौहारी मुख्य मार्ग की सड़क को लेकर गैती और फावड़ा हाथ में उठाया था, तत् समय विधायक रेत व राखड़ से ओव्हर लोड वाहनों को सड़क की दुर्दशा का कारण बताया था, इस लंबे अंतराल के दौरान न तो सड़कों की मरम्मत हो सकी और न ही ओव्हर लोड रेत और राखड़ के वाहनों की ही आवाजाही बंद हुई, लगातार इस तरह के कई मामलों में विधायक का खुलकर सामने आना और फिर बैकफुट पर चले जाना,चर्चा का विषय बना हुआ है, स्थानीय सांसद से लगातार राजनैतिक विरोध के चर्चे भी आजकल सुनाई देने लगे हैं, यदि ऐसा दो साल और चलता रहा तो, भाजपा संगठन को किसी नये चेहरे को तलाशना उसकी मजबूरी हो जायेगी।

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