करोड़ों खाकर चले गये एसडीओ, उपयंत्री की फूल रही सांसे

अगल-बगल के पत्थर बीनकर निर्माण में लगाया
25 किलोमीटर दूर से लाने का वसूला परिवहन खर्च
शहडोल। नदी पुर्नजीवन के कार्य में जमकर ठेकेदारी व मशीनों का उपयोग किया गया है, इन कार्याे में मनरेगा की गाइड लाईन का कहीं भी पालन नहीं किया गया है, स्टीमेट का दरकिनार कर फर्जी तरीके से बिल बाउचर बनाकर करोड़ों की राशि का बंदरबांट किया गया है। बरमनिया, नवटोला, कनवाही समेत मात्र आधा दर्जन ग्रामों में नदी पुर्नजीवन के तहत कराये गये निर्माण कार्याे की जांच कराई जाये, तो करोड़ों का भ्रष्टाचार सामने आयेगा। यहां जंगल के अगल-बगल का बोल्डर बिनवाकर निर्माण कार्य में लगवाया गया है और उसका बिल 25 किलोमीटर दूर से परिवहन कर बताया गया है, इससे बड़ा भ्रष्टाचार क्या हो सकता है, आस-पास के लोग व पंचायत के असंतुष्ट पदाधिकारी अब एसडीओ व उपयंत्री द्वारा निर्माण में की गई अनियमितता की परत-दर-परत राज खोल रहे हैं।
उपयंत्री ने लांघी निर्माण की मर्यादा
गोहपारू जनपद अतर्गत नदी पुर्नजीवन योजना में स्वीकृत निर्माण की सभी सीमाए उपयंत्री दिनेश सारीवान ने लांघ डाली है और अब स्थांतरित एसडीओ को दोषी ठहरा रहें है। तकनीकी जानकारो ने बताया है कि नदी पुर्नजीवन में रिज टू व्हैलीÓ के सिद्धांत में सर्वप्रथम मृदा संरक्षण के कार्य सम्पादित कराये जाते हैं, जिनमें लूज बोल्डर स्ट्रक्चर, गली प्लग इत्यादि हैं। उक्त कार्यो को सम्पादित कराये जाने के पश्चात् ही बड़े कार्य सम्पादित कराये जाते हैं जिनमें बड़े तालाब एवं स्टॉपडैम सम्मलित हैं, जबकि संबंधित पंचायतों में मृदा संरक्षण करने से पूर्व ही जल संरक्षण के कार्य सम्पादित कराये जा रहे हैं जो कि तकनीकी रूप से अनुचित है। संबंधित पंचायतों में जो जल संरक्षण के कार्य कराये गये हैं जैसे कि बड़े तालाब जिनमें अपस्ट्रीम एवं डाउन स्ट्रीम के स्लोप का ध्यान नहीं रखा गया है, जानकारी के अनुसार पड़ल निर्माण में काली मिट्टी का उपयोग भी नहीं किया गया है। स्टापडैम के कार्यो में बिना डिजाईन के सम्पादन किया गया है न ही कैचमेन्ट, एफलक्स एवं सिल्ट फैक्टर का ध्यान रखा गया। एफलक्स का ध्यान न रखे जाने के कारण स्टापडैम का गेट बन्द होने के बाद नाले के संरचना के बगल से बह निकलने का भय है। सिल्ट फैक्टर का ध्यान न रखे जाने के कारण अत्यधिक गाद जमने का भी डर है। हाल ही के निर्मित स्टापडैमों में दरारे आ गई हैं जिससे प्रतीत होता है कि संरचना में टेम्प्रेचर रेनफोर्समेन्ट भी नहीं दिया गया है।
अधिकारियों की अब तक नहीं पड़ी नजर
अनियमितता में जनपद पंचायत गोहपारू सबसे आगे हैं, यहां करोड़ो के खेत तालाब, कंटूर टैंक, स्टापडैम, चेक डैम, पुलिया, रपटा व ग्रेवल सड़क का कार्य नदी पुर्नजीवन व मनरेगा मद से हो रहा है, वह ठेका व मशीनो से हुआ है। जिसका ग्रामीणों की शिकायतों का आडियो, विडियो, फोटोग्राफ व मजदूरो का बयान है। हर कार्यो में फर्जी मस्टररोल व फर्जी विल व्हाउचर की भरमार है, किसी भी पंचायत में कोई भी कार्य शासन की निर्धारित गाइड लाइन व स्टीमेंट के अनुसार नहीं हो रहा है। इसके बाद भी जवाबदार अधिकारी व निरीक्षण करने वाली तकनीकी टीम मौन साधना में है।
घटिया निर्माण बने गवाह
हांडी का एक चावल देखकर हांडी के पूरे चावलों का अनुमान लगाया जा सकता है इसी तरह पंचायतों में हो रहे किसी एक कार्य को देखकर भी अधिकांश कार्यों की गुणवत्ता का एहसास किया जा सकता है। गोहपारू जनपद के अधीन यहां अभी हाल ही में एक रपटा बनाया गया है जिसका अभी भी कुछ काम बकाया है। यह रपटा खेत में बनाया गया है यहां कोई नाला नहीं है आगे जाने के लिए कोई सड़क भी नहीं है, यहां पर कोई बोर्ड नही लगा है। किस नाले में बना है यह भी पता लगाना मुश्किल है। इस रपटे की लागत राशि क्या है, किस मद से बनाया जा रहा है, कुछ भी पता नहीं है। इतना ही नही कौन विभाग बना रहा है गांव वालो को नही मालूम। सवाल उठता है कि इस प्रकार के शासकीय कार्यो में शासन की राशि तो खर्च हो रही है, फिर भी पंचायतो के रहने वालो को कोई लाभ नहीं मिल रहा है। अनुमानत: 14 से 15 लाख रूपए की लागत से इस नाले में बन रहे रपटे में राशि स्वीकृत होगी। जिसमें ग्रामीणों का कहना है कि इसमें मुश्किल से दो लाख रुपए भी खर्च नहीं हुए है, इस रपटे को देखकर पंचायतों में हो रहे निर्माण का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है।
मुख्य बिन्दु
* मृदा संरक्षण के पहले करा लिया जल संरक्षण
* तालाबो में अपस्ट्रीम एवं डाउन स्ट्रीम के स्लोप का नहीं रखा ध्यान
* स्टीमेट दरकिनार कर उपयंत्री ने तकनीकी गाइड लाईन की बहाया उल्टी गंगा
* फ्री के पत्थर का वसूली कीमत, भाड़ा भी वसूला
इनका कहना है…
अभी इस बात की जानकारी हमें नहीं है, जबकि हम पिछले अप्रैल माह में यहां पदभार सम्हाल चुके हैं। हम इस मामले को शीघ्र दिखवाते हैं।
निदेशक शर्मा
एडिशन कार्यपालन यंत्री
जिला पंचायत शहडोल