….तो क्या बारूद के ढेर पर है रिहायशी बस्ती

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शहर के अंदर धंधेबाजों ने घरों में जमा किये पटाखे

खतरे की बढ़ती जा रही ङ्क्षचता, जांच की उठ रही मांग

शहडोल। दिवाली का त्यौहार नजदीक है और पटाखा कारोबारियों ने दिवाली के त्यौहर को भुनाने के लिए अभी से पटाखों का स्टॉक करना शुरू कर दिया है, जबकि सरकार के सख्त आदेश हैं कि आबादी क्षेत्र में पटाखों का भंडारण की बिक्री नहीं होने दी जाए, लेकिन ये पटाखा कारोबारी अवैध रूप से आबादी क्षेत्र मे पटाखों का भंडार करके सैकड़ों लोगों की जिंदगी दाव पर लगा देते हैं। आतिशबाजी के लाइसेंस जारी करने में यह निर्देश होते है कि जहां पर इसका निर्माण हो वह आबादी से एक किमी दूर हो। आतिशबाजी पक्के मकान के स्थान पर एक कोठरी के भीतर एक फीट ऊंचे चबूतरे पर बनाई जाए। आयुध नियमों के मुताबिक आतिशबाजी का भंडारण आबादी क्षेत्र में नहीं होना चाहिए। जहां भंडारण हो वहां पर अग्निशमन वाहन पहुंचने के लिए रास्ता होना चाहिए।

सुरक्षा मानकों की अनदेखी

दीपावली में अब 17 दिन शेष है, दीपावली पर पटाखों की स्टॉल लगाकर या अवैध बिक्री कर मुनाफा कमाने वाले दुकानदारों ने पटाखों का भारी स्टॉक कर लिया है। किसी ने अपनी दुकान में पटाखे भर रखे है तो किसी ने घर में। खबर है कि बाजार में पटाखों की अवैध बिक्री की जा रही है, बिना नाम लिए दुकानदारों ने स्टॉक करने वालों के भी नाम बताये। शहर के अंदर ही लाखों रूपये का पटाखा रखा हुआ है, सोचनीय पहलू यह है कि बगैर लायसेंस के साथ ही बगैर सुरक्षा मानकों के इतनी तादात में शहर के अंदर बारूद रखा हुआ है, अगर थोड़ी सी चूक हुई तो, कितनी जिंदगी संकट में आ जायेगी, यह सहज ही समझा जा सकता है।

मुनाफे के चक्कर में खतर

दीपावली और दशहरा पर हर वर्ष लाखों के पटाखे चलाये जाते है। हर वर्ष स्टेडियम में लगने वाली स्टॉल में भी दर्जनों दुकानदार स्टॉल लगाकर पटाखे बेचते है। हर कोई जानता है कि सस्ते दामों पर पटाखे लेने के चलते स्टॉल लगाने वाले दुकानदार व गुपचुप तरीके से पटाखे बेचने वाले दो से एक महीने पहले ही पटाखों का स्टॉक कर लेते है, ताकि दीपावली पर अच्छा मुनाफा कमा सकें ।

जांच से हकीकत आयेगी सामने

दशहरा पर पटाखों की बिक्री से यह साफ भी हो गया है कि शहर में दुकानदारों के पास पटाखों का काफी स्टॉक है। चोरी-छीपे दुकानदारों ने खूब पटाखे बेचे। इन दुकानदारों ने शहर के रिहायशी क्षेत्रों में बने अपने मकानों में पटाखों का स्टॉक कर रखा था। प्रतिबंधित पटाखों की भी बिक्री की जा रही है। पटाखा व्यापारी ने बताया कि महीने पहले ही पटाखे मिलना शुरू हो जाते है। उस समय आधे से भी कम दाम में पटाखे मिल जाते है और उस समय ज्यादा चेकिंग नहीं होने के कारण आसानी से लाए भी जा सकते है। उसके बाद यहां कुछ रुपयों में दीपावली पर लाइसेंस मिल जाता है और ये सारे पटाखे बिक जाते है। लगभग दोगुने से भी ज्यादा का मुनाफा होता है। प्रतिबंधित पटाखों की बिक्री घर पर या स्टाल पर पीछे की तरह चोरी छिपे होती है। जागरूक लोगों ने पुलिस अधीक्षक से मांग की है कि बीते वर्षाे में कारोबार करने वालों के घरों एवं स्टाक की जांच की जाये।
इनका कहना है
अवैध पटाखें की सूचना मिलती है तो, जांच कर कार्यवाही की जायेगी।
रत्नाम्बर शुक्ला
कोतवाली प्रभारी, शहडोल

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