तीन माह की बालिका को गर्म सलाखों से दागा, निशान इतने की गिन पाना भी संभव नहीं, मौत

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बच्चों के साथ क्रूरता के दो मामले फिर आए सामने, एक की मौत, दूसरे बच्चे की हालत गंभीर

शहडोल। आदिवासी अंचल में दगना के मामले ठंड बढऩे के साथ फिर सामने आने लगे हैं। पटासी निवासी रागनी बैगा पिता रामजी बैगा उम्र 3 माह की जिला चिकित्सालय में इलाज के दौरान मौत हो गई। बच्ची की मौत का कारण चिकित्सकों ने निमोनिया बताया है। रागनी के पेट में भी कई निशान थे। यह निशान भी दागने के ही हैं। बच्ची के पेट में ऐसी कोई जगह नहीं थी जहां दागने के निशान न हो। इतने निशान हैं, कि गिन पाना भी संभव नहीं है। बताया गया कि बालिका को सांस लेने में तकलीफ थी लेकिन गांव में इलाज नहीं मिला। बाद में परिजनों ने दगवा दिया था।

डेढ़ माह के शिशु को पेट फूलने पर दाई ने दागा
बंधवा निवासी राजन बैगा पिता हर्षलाल बैगा उम्र 1 माह 15 दिन के पेट में कई जगह दागने के निशान है। बच्चे को जिला चिकित्सालय के पीआईसीयू में भर्ती कराया गया है। हर्षलाल बैगा की पत्नी रामबाई बैगा अपने डेढ़ माह के बच्चे राजन को लेकर अपने मायके बकेली गई हुई थी। वहां बच्चे का स्वास्थ्य खराब हो गया। पसली चलने व पेट में सूजन आने की वजह से बच्चे का इलाज कराने की वजाय रामबाई की मां गांव की ही दाई को बुला लाई। दाई ने गर्म चूडिय़ों से बच्चे के पेट में 12 से अधिक बार दागा है। इसके बाद बच्चे की तबियत में सुधार न होने पर जिला चिकित्सालय शहडोल में भर्ती कराया गया है।

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