समयावधि बीतने पर भी अधूरी पड़ी जलजीवन मिशन योजना

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                                                                                                 घटिया दर्जे का हो रहा काम, दर्जनों पंचायतों में काम शुरू नहीं

शहडोल। जिले में सन् 2017-18 से संचालित जल जीवन मिशन योजना पांच वर्षों से भी अधिक समय से चल रही है। लेकिन जल जीवन मिशन योजना आज भी अधूरी पड़ी है। जबकि इसका समय दो साल पहले ही बीत चुका है। समय बीतने के बाद भी इस मिशन की प्रगति अत्यंत धीमी और निराशाजनक है। जिले की सभी 391 पंचायतों में इसका काम होना है, अभी तक दो सौ पंचायतों में भी काम ढंग से नहीं हो पाया है। शेष पंचायतों में तो मिशन अभी तक पहुंचा ही नहीं है। जिला प्रशासन न तो मॉनीटरिंग करता है और न संबंधित विभाग अनुशासन कायम रखते हुए शासन की मंशा के अनुरूप कार्य करा पा रहा है। वह भी ठेकेदारों की हां में ही हां मिलाता रहता है। ज्ञातव्य है कि इसी तरह की लेटलतीफी और लापरवाही के कारण उमरिया जिले में कई ठेकेदार ब्लैक लिस्टेड कर दिए गए थे। लेकिन यहां कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
टंकी बनी पर सप्लाई नहीं
जिन पंचायतों में काम हुआ वहां पानी की टंकी तो बनी पर अभी तक बोरिंग नहीं हुई, कहीं कहीं पर सप्लाई के लिए पाइपें नहीं बिछायी गईं हैं। नियमत: घर घर पानी की सप्लाई देनी है, लेकिन पाइपें डाली जाएगी तभी सप्लाई हो सकेगी। ग्रामीण बताते हैं कि टंकी बनने के बाद से यहां कोई नहीं आया। कुछ समय पहले यह बताया जा रहा था कि पाइपे बिछेगी और सबको पानी मिलेगा लेकिन कब मिलेगा यह पता नहीं। एक पंचायत में जानकारी मिली कि पहले टंकी का ट्रायल किया जाएगा फिर पानी की सप्लाई हेागी, लगभग डेढ़ वर्षों से टंकी बनकर तैयार है अभी तक सप्लाई नहीं मिली।
गुणवत्तापूर्ण नहीं पाइप लाइन
शासन ने निर्देशित किया था कि निर्धारित गहराई में यहां गुणवत्तापूर्ण पाइप लाइनें बिछायी जाएं लेकिन जो पाइपें बिछायी गईं हैं वे थोड़ा गड्ढा खोदकर बिछा दी गईं हैं वे भी गुणवत्तापूर्ण नहीं है। घटिया पाइपें सडक़ पर कितने दिन चल पाएंगी यह सहज ही समझा जा सकता है। ठेकेदार मनमानी कर रहे हैं लेकिन अधिकारी देखने की जरूरत नहीं समझ रहे हैं। जल जीवन मिशन का लाभ अधिक समय तक ग्रामीणों को मिलने वाला नहीं है।
टंकी निर्माण में भी लापरवाही
बताया गया कि अधिकांश टंकियों के निर्माण में तकनीक का समुचित रूप से पालन नहीं किया गया है। साथ ही मटेरियल में भी कटौती की गई है। इससे टंकियों की उम्र का भी कोई भरोसा नहीं है। अमला निर्माणाधीन ढांचे का मुआयना करने कभी नहंी आया। टंकियों से लेकर ग्रामीणों के घरों तक पाइपे कब बिछायी जाएंगी कब काम पूरा होगा कब लोगों को पेटभर स्वच्छ पानी प्राप्त हो सकेगा यह कहना कठिन है। न तो ठेकेदार आते हैं न प्रशासन के कर्मचारी आते हैं। बोरिंग चालू करने के लिए अभी तक आपरेटरों की नियुक्ति भी नहीं की गई है। मिशन की समयावधि पूर्ण हो जाने के बाद भी काम पिछड़ा हुआ है। इसमें गति कैसे लाई जाएगी इसकी समीक्षा प्रशासन को करनी पड़ेगी।

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