राधे-राधे….7 मजदूर,70 की वसूली-मुसाफ़िरी और CCTV

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उमरिया। राधे राधे करते-करते लोग बावरे हो रहे हैं, फिल्मी दुनिया का यह गाना इन दोनों मुख्यालय में बिल्कुल सटीक बैठ रहा है, राधे राधे की धुन के बीच कार्यवाही ऐसी होती है कि पहले तो लगता है कि उम्र कैद की सजा हो जाएगी……लेकिन बाद में साहब राहत भी दे देते हैं….. यह अलग बात है कि सब का जुर्माना इतना ज्यादा होता है कि पहले सजा के डर से जो लोग राधे-राधे करते हैं, बाद में साहब का नाम लेकर राधे-राधे करते नजर आते हैं ।

कहीं से भी दो, लेकिन साहब को मनचाही रकम तो चाहिए ही होती है, मुख्यालय में ही कोतवाली प्रभारी के अलावा एसडीओपी से लेकर एसपी और एसपी जैसे तमाम आला अधिकारी मौजूद है।

लेकिन राधे-राधे के भय और वसूली से कोई भी मुसीबत के मारों को नहीं बचा पा रहा है,

मंगलवार का दिन आने ही वाला था, सुबह का उजाला भी नहीं हुआ था, स्टेट बैंक के पास राधे-राधे करते हुए जब गाड़ी घूम रही थी, इसी दौरान सात मजदूर जिनके सर पर छत भी नहीं थी, थोड़ी सी छांव लेकर बाहर लेटे हुए थे, बस सब को इन्हीं में जुगाड़ नजर आ गया और वह राधे-राधे चिल्लाते रहे, लेकिन उन्हें कोतवाली ले जाया गया, मुसाफिर क्यों नहीं दर्ज कराई….??? आधार कार्ड कहां है …??? समग्र आईडी कहां है…..???? जहां से आए हो वहां के थानेदार से गांव के सरपंच से बात कराओ, इन दिनों भारी जांच चल रही है कहीं आतंकवादी या उग्रवादी तो नहीं हो ….???

ऐसे तमाम सवालों के घेरे में जब सात मजदूर आए तो उनके मुंह से सिर्फ राधे-राधे निकल रहा था ….किसी तरह आने वाले दिनों के लिए जमा की गई पूंजी किसी ने एटीएम कार्ड से तो किसी के किसी परिचित से कुछ घंटे में ही राशि खट्टी कराई गई।

यह पूरा वाक्या परिसर के कमरे में भी कैद होता रहा, सीसीटीवी से नजर बचाने के लिए प्रयास किए गए, कुछ ना कुछ तो कैमरे में कैद हो ही गया, जो कब वायरल हो जाए, यह कहा नहीं जा सकता, कई घंटे की मशक्कत के बाद जब लोग बाहर निकले तब भी हुए राधे ही राधे चिल्ला रहे थे।

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