तेज गति से दौड़ रहे संरक्षित क्षेत्रों में वाहन

0

नकेल कसने में फेल बीटीआर प्रबंधन

नियम विरुद्ध फोटोग्राफी के साथ लग रहा सैलानी वाहनों का जमावड़ा 

ताला। प्राकृतिक सौंदर्य और सर्वाधिक बाघों के घनत्व लिए बांधवगढ़ पार्क प्रबंधन की लापरवाही और उदासीनता की भेंट चढ़ते नजर आ रहा है। संरक्षित क्षेत्रों में नियम विरुद्ध वाहनों की तेज गति से लेकर, वाहन चालकों द्वारा लिए जा रहे फोटोग्राफी और वन्यप्राणियों के पास तय दूरी की धज्जियां उड़ाते हुए जमावड़े की जानकरी होने के बाद प्रबंधन लगाम लगा सकने में नाकाम साबित हो रहा है। खबर है कि प्रबंधन को इसकी भली भांति जानकारी होने के बाद भी नियम और कायदों की धज्जियां उड़ाई जा रही है, लेकिन पार्क प्रबंधन और पर्यटक प्रभारी मूकदर्शक बने हुए हैं।
गति बनी दुर्घटना का करण
संरक्षित क्षेत्रों में सैलानियों के नाम पर सफ़ारी वाहन चालकों द्वारा नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है, जिससे पार्क प्रबंधन की भूमिका भी संदिग्धता बयार बहा रही है। पूर्व में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की खितौली जोन क्रमांक 3 में पर्यटक वाहन स्पीड नियंत्रण न होने के कारण अपना नियंत्रण खो दिया था, जिसमें कई पर्यटक घायल भी हो गए थे, लेकिन प्रबंधन इसे लेकर जिम्मेदार नहीं दिखाई दे रहे हैं।
जारी है नियम कायदों की अनदेखी
बाघों के गढ़ में पर्यटन संचालन कर रहे लोग खुलेआम राजपत्र की धज्जियां उड़ा रहे है, फिर भी नियम और कायदों को कागज में खेलने वाले रहीम की करामात उन पर बनी हुई है, मामले की जानकरी होने के बाद भी प्रबंधन किसी प्रकार की रणनीति नहीं बना पा रहा है और न ही सफ़ारी वाहन संचालकों को हिदायतें दे रहा है, जबकि इस तरह की अनदेखी वन्यप्राणियों के अस्तित्व और उनके मूवमेंट वाले क्षेत्रों को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं, जिससे तेज वाहनों की गति और बाघों के दीदार के लिए दिशा निर्देशानुसार निर्धारित दूरी की खिल्ली उड़ाते हुए एक साथ घेरा बनाकर जिप्सी वाहनों से भी बाघ सहित अन्य वन्यप्राणी पर खलल पड़ता है, जिससे वे क्षेत्र छोडऩे के लिए भी मजबूर हो उठते हैं।
फोन से कनेक्ट होकर मचाते अफरा-तफरी
पार्क सैलानी के ड्राइवर अपने साथ मोबाइल फोन अंदर ले जाते हैं, जहां कहीं पर भी एक जगह बाघ दिखा तो, एक चालक के द्वारा दूसरे वाहन चालकों को मोबाइल फोन के माध्यम से उक्त स्थान की सूचना दे दी जाती है, सूचना मिलते ही सैलानियों को वाहन चालक द्वारा वाहन की गति 45-50 से पार कर बाघ दिखाने दूसरे स्थल पहुंच जाते हैं। ऐसे में कई पर्यटकों ने भी इस तरह के कृत्य से रोष जाहिर करते हुए कहा है कि अगर ऐसा होता रहा तो बांधवगढ़ में किसी दिन सैलानियों के साथ कोई ना कोई भयावह घटना घट सकती है, जिसे लेकर प्रबंधन को कोई ठोस कदम उठाने चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed