एक बात- जिन हांथों मैं जखम वो कैसे पकड़ेंगे कलम- आदर्श
Ajay Namdev- 7610528622
अनूपपुर। ज़िले के नागरिक आदर्श दुबे ने बताया कि आज बसन्त पंचमी है, आज ही वो दिन है जब बच्चे के हांथों में कलम, पेंसिल, चाक बत्ती आदि पहली बार पकड़ाई जाती है। उन हांथों में जो जख्मी है…… पत्थर की खदानों में…….। वो हाँथ जो तोड़ते है पत्ते, वो हाँथ जो बीनते है कचरा उनके हांथो के जख्म कलम को दूर कर देते हैं उनसे। उन हांथों में जो बोझ उठा रहे हैं….सभ्य समाज के द्वारा फैलाई गई गन्दगी का…….सायद उनके जीने का सहारा भी वही है। जी हां में बात कर रहा हूँ कचरा बीनने वाले बच्चों का……। उन हांथों में……… जो भीख के लिए हमारे सामने फेलवाए जाते हैं और “हम” चल हट, आगे जा या फिर एक का सिक्का रख अपने आप को गौरवान्वित महशूस करते हैं।
उन हांथों में कलम कहाँ से हो जो महुआ फूल बिन मादक पदार्थो का निर्माण कर रहे है और उनके परिजन उन्ही के सामने सेवन कर रहे हो ,भविष्य का निर्माण यैसे परिवेश में कैसे हो संभव उन हांथों में जिन्हें छीनने की कला सिखाई जाती है अपने सपनो को उन हांथों में जिन्हें वक्त बे वक्त जीते जी मरते देखा है । उनको आज कलम कहाँ नसीब।