टेंट संचालक की चांदी, तो नाबालिग कर रहे काम, कारवाही न होने से संचालक लूट रहे वाहवाही

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Ajay Namdev- 7610528622

अनूपपुर। सरकार द्वारा बाल अधिकारों और बाल संरक्षण के लिये निरंतर प्रयास किया जा रहा है। परन्तु शासन द्वारा किये प्रयास कही न कहीं अछूते रह जाते हैं जो शासन की योजना की नाकामियों को दिखातें है। जिसका उदाहरण हमे होटलों, कोयलो खदानो या गिट्टी के खानों, ठेलों, दुकानों और टेन्ट हाउसों में काम करने वाले नाबालिग दिख ही जाते हैं जो सरकार की नाकामियों को दर्शातें है। इन दिनों जिले भर के टेंट संचालक के द्वारा नाबालिग से कार्य कराया जा रहा है जिसकी शिकायत मौखिक रूप से दी भी जाती है, लेकिन कार्यवाही न होने से टेंट संचालक के हौसले बुलंद है और वह नोट कमाने में लगा हुआ है। अनूपपुर। जिले भर में टेन्ट मालिकों की मनमौजी और आलाधिकारियों के सुस्ती के कारण टेन्ट हाउसों में नाबालिकों से दिन-रात कार्य लिया जा रहा है। समाचार पत्र में बाल शोषण की खबर या मौखिक शिकायतों के बाद भी टेन्ट संचालकों के ऊपर कोई कार्यवाही नही होती है। मौजूदा हालात में जिले के दर्जन भर टेन्ट हाऊसों में कई बच्चें अपना बचपन दिन रात कार्य कर खो रहें है। जिन बच्चों के हाथों में पेंसिल व कलम होनी थी उन मासूमों के हाथों में टेन्ट संचालकों ने टेन्ट के पाईप और लोहे के हथौठे थमा दिया गया है। 

टेंट संचालक के हौसले बुलंद 

बीते दिनों बदरा स्थित न्यू टेन्ट हाऊस के द्वारा कोतमा में नगरपालिका के मंगलभवन में दो नाबालिग बच्चो के द्वारा कार्य कराया जा रहा था जिसकी सूचना फोन के माध्यम से मौखिक रूप थाने में दी गई थी। परन्तु शिकायत लिखित न होने के कारण टेन्ट संचालक के ऊपर कोई कार्यवाही नहीं की गई। जिससे टेन्ट संचालक के हौसले बुलन्द है और टेन्ट संचालक द्वारा नाबालिग बच्चों से दिन-रात कार्य करवाया जा रहा है। न्यू टेन्ट हाउस बदरा में कार्य करने वाले 14 वर्ष का गोलू और रामपाल यादव महज 12 वर्ष की उम्र में ही पेट के लिये कार्य करने को विवश है।  

पढाई छोड कर रहे कार्य

महज इतनी छोटी उम्र में बच्चे अपनें सपने सजाने का कार्य करते हैं। वहीं गोलू और रामपाल ने अपने सपनों को भूल दूसरो की शादियों में टेन्ट लगाने का कार्य करते हैं व अपने परिवार का भरण पोषण करते हंै। महज 12 साल की उम्र में ही अपने कंधों में परिवार का भार उठा लिया है। रामपाल और गोलू परिवार के गरीब होनें के कारण टेन्ट हाउस में टेन्ट लगानें तथा निकालने का कार्य कर रहें है। महज प्रतिदिन 200 की पूंजी पाने के लिये दिन भर अपना समय टेन्ट हाउस में देते है। 

यह कहता है कानून 

बाल श्रम निषेध व नियमनद्ध कानून 1986 के तहत  14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को 13 पेशा और 57 प्रक्रियाओं में  जिन्हें बच्चों के जीवन और स्वास्थ्य के लिए अहितकर माना गया है। इन पेशाओं और प्रक्रियाओं का उल्लेख कानून की अनुसूची में है। उसी अनुसूची के तहत नाबालिकों को व्यवसायिक संस्थानों में कार्य कराना कानून  में अपराध है। कोई भी व्यक्ति जो 14 साल से कम उम्र के बच्चे से काम करवाता है अथवा 14.18 वर्ष के बच्चे को किसी खतरनाक व्यवसाय या प्रक्रिया में काम देता हैए उसे 6 महीने से 2 साल तक की जेल की सजा हो सकती है और साथ ही 20,000, 50,000 रूपए तक का जुर्माना भी हो सकता है।

बाल अधिकारों का हनन 

बदरा के न्यू टेन्ट हाउस के साथ कोतमा, बिजुरी, निगवानी, अनूपपुर, जमुना, भालूूूमाडा, फुनगा सहित आस-पास के इलाको के दर्जन भर टेन्ट हाउसों में नाबालिगों को कार्य लगा कर बच्चों के अधिकारों का हनन किया जा रहा है। कोतमा में कई बडे टेन्ट हाउसों में बडे पैमानें में बाल अधिकारों का हनन हो रहा है। जिसको न तो जिला महिला बाल विकाश अधिकारी, महिला सशक्तिकरण और न ही कोतमा पुलिस के द्वारा कोई कार्यवाही की जा रही है। कोतमा के होटलो, ढाबा तथा टेन्ट हाउस में कई नाबालिगों से कार्य कराया जाता है जिस पर कार्यवाही कर बाल अधिकारों के हनन में अंकुश लगाने की जरूरत है। 

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