मादा तेंदुए का क्षत-विक्षत मिला शव

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वन विभाग की कार्यप्रणाली पर फिर उठे सवाल

(सतीश तिवारी+91 94243 33370)
ब्यौहारी। उत्तर वनमण्डल के गोदावल रेंज के पोंडी बीट के जंगल में जलदा नाला के पास कक्ष क्रमांक-आर 244 में सोमवार की सुबह पेट्रोलिंग में गई वन विभाग की टीम को 05 से 06 वर्षीय मादा तेंदुए का क्षत-विपक्ष शव मिला। सूचना आलाधिकारियों तक पहुंची, जिसके बाद हड़कम्प का माहौल भी अधिकारियों में देखने को मिला। शव 05 से 06 दिन पुराना बताया गया है, वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक बारिश होने के चलते तेंदुए का शव क्षत-विक्षत हो गया है, तेंदुए के सारे अंग सुरक्षित हैं, इसलिये शिकार की आशंका जाहिर नहीं की जा रही है। शहडोल और जयसिंहनगर के चिकित्सकों के द्वारा तेंदुए का पीएम कराकर अंतिम संस्कार करते हुए बिसरा जांच के लिये लैब भेजा गया है, रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के कारणों का खुलासा हो सकेगा।
प्राकृतिक मौत का शिकार
चिकित्सकों के दल और अधिकारियों की मानें तो 05 से 06 वर्षीय मादा तेंदुए की प्राकृतिक मौत हुई है, क्योंकि उसके सारे अंग सुरक्षित मिले हैं। बीच में हुई बारिश के चलते शव क्षत-विक्षत हो गया और दुर्गंध देने लगा था, इतना ही नहीं जंगल और पहाड़ से लगे क्षेत्र में शव होने के चलते वन विभाग की टीम को सूचना देर से लगी। पीएम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के कारणों का खुलासा हो पायेगा।

अधिकारियों की लापरवाही
ऐसा नहीं है कि ब्योहारी और उसके आसपास के क्षेत्र में पहली बार ऐसा हुआ है, इसके पहले ही एक बाघिन का शिकार सहित कई तेंदुए और अन्य वन्य प्राणी भी असमय मौत की नींद सो चुके हैं, भारी भरकम फौज वाले वन विभाग के निचले स्तर के अधिकारी और कर्मचारियों से लेकर बड़े अधिकारियों की लापरवाही भी एक बार फिर सामने आई है। ग्रामीणों के मुताबिक नियमित रूप से गश्त न करना, यहां पर तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों की आदत में शुमार हो चुका है, जिसके चलते वन्य प्राणी असमय मौत और शिकारियों के जाल में फंस जाते हैं, तो कही वर्चस्व की लड़ाई में दम तोड़ देते हैं।
शिकारियों व तस्करों को छूट
ब्योहारी वन परिक्षेत्र से रेत सहित अन्य खनिजों का परिवहन होता है, जिसमें उत्तरप्रदेश सहित प्रदेश के रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली सहित अन्य स्थानों से बाहरी लोग प्रवेश करते हैं, जो कि हथियारों से लैंस रहते हैं और इनके द्वारा शिकार और तस्करी की वारदातों को भी अंजाम दिया जाता है। ब्योहारी क्षेत्र तस्करों का पसंदीदा क्षेत्र बनता जा रहा है। वन क्षेत्रों में पडऩे वाले नाकों पर सघनता से जांच भी नहीं की जाती।
अमले की खुली छूट
ग्रामीणों की मानें तो स्थानीय अमले ने शिकारियों को खुली छूट दे रखी है, वह जंगल चौकी सहित अन्य स्थानो ंपर शिकारियों के साथ महफिलों में भी शामिल होते हैं, लेकिन आलाधिकारी कभी इस ओर ध्यान नहीं देते, ग्रामीणों के अनुसार पोंडी, हिड़वाह, धनेडा, पथरंहटा बीट में अक्सर ऐसा देखने को मिलता है।
इनका कहना है
तेंदुए की प्राकृतिक मौत हुई है, शिकार की कोई संभावना नहीं है, क्योंकि सारे अंग सुरक्षित मिले हैं, पीएम कराकर अंतिम संस्कार कर दिया गया, रिपोर्ट आने पर ही मौत के कारणों का पता चल सकेगा। बाहर से आने वाले वाहनों की सघनता से जांच की जायेगी।
श्रीमती जया पाण्डेय
एसडीओ, ब्यौहारी
उत्तर वन मंडल, शहडोल

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