शिक्षा, स्वास्थ्य सहित अन्य योजनाओं से वंचित है आदिवासी परिवार
Ajay Namdev- 7610528622
घास-फूस की झोपडी बना 25 आदिवासी परिवार कर रहे निवास
अनूपपुर। जनपद पंचायत अनूपपुर अंतर्गत ग्राम पंचायत हरद में बीते 15 वर्षो से पन्नी की झोपडी बनाकर निवास करने वाले 25 आदिवासी परिवारो को शासन की किसी भी योजना का लाभ नही मिल पा रहा है। इतना ही नही इन आदिवासी परिवारो के पास मूलभूत सुविधा बिजली, मकान एवं पानी तक की व्यवस्था नही है। जिसके कारण आदिवासी परिवारो के लगभग 55 बच्चे भी शिक्षा से वंचित है। परिजनो ने बताया कि वे कई बार अपने बच्चो को आंगनबाडी केन्द्र एवं शासकीय प्राथमिक विद्यालय में बच्चो को प्रवेश दिलाने गए। लेकिन विद्यालय के शिक्षक द्वारा बच्चो का जन्मप्रमाण पत्र न होने के कारण उनका नाम स्कूल में नही लिखा गया है। जहां बीते १५ वर्षो से निवास करने वाले आदिवासी परिवार का नाम मतदाता सूची में भी दर्ज नही हो सका।
घासफूस की झोपडी में कर रहे जीवनयापन
ग्राम पंचायत हरद अंतर्गत रेलवे स्टेशन के पास शासकीय भूमि में जहां बीते 15 वर्षो से घासफूस की झोपडी बनाकर लगभग 25 आदिवासी परिवार निवासरत् है। जिन पर अब तक शासन-प्रशासन की नजर नही पड़ सकी। जिसके कारण उन्हे शासन की किसी भी योजनाओं व सुविधाओं का लाभ नही मिल सका है। आदिवासी परिवार के मुखिया अजाज जोगी ने बताया कि वे 15 वर्ष पूर्व राजस्थान से आकर यहां कागज व प्लास्टिक के फूल व अन्य सामग्री बनाकर अपना जीवकोपार्जन करते रहे और यहीं बस गए। वहीं अशिक्षा व अज्ञानता के कारण जहां आदिवासी परिवार लगातार ग्राम पंचायत के चक्कर काट राशनकार्ड, आधार कार्ड एवं अन्य दस्तावेजो बनवाए गए। बावजूद इसके बच्चो के जन्मतिथि एवं समग्र आईडी नही बन पाने के कारण उनको कोई लाभ नही मिल सका।
शिक्षा व स्वास्थ्य से वंचित परिवार
एक ओर जहां 25 आदिवासी परिवार का परिवार समग्र आईडी पंचायत सचिव द्वारा नही बनाए जाने के कारण उन परिवारो के लगभग 30 से 35 बच्चे शिक्षा से वंचित है, वहीं कई बच्चो का नाम आंगनबाडी में दर्ज नही किया गया। जो कई विभागो के किए गए सर्वे में इन परिवारो को सम्मिलित नही किए जाने पर भी प्रश्र चिन्ह खड़े हो रहे है। वहीं स्कूल चले हम अभियान को मूंह चिढ़ा रहा है। वहीं परिजनो द्वारा स्वयं अपने बच्चो को शिक्षा दिलाने के लिए जागरूक है। लेकिन प्रशासन की लापरवाही के कारण बच्चो का नाम स्कूलो एवं आंगनबाडी केन्द्रो में दर्ज नही किया जा रहा है। वहीं परिवार के लोगो ने बताया कि हमारे उन्हे स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ भी नही मिल पा रहा है। जहां पिछले वर्ष टीवी से व्यक्ति की जान जा चुकी है वहीं दूसरा टीवी की बीमारी से ग्रसित है।
गरीब परिवारो का बना दिया गया एपीएल राशन कार्ड
एक ओर जहां गरीबी रेखा से नीचे यापन कर रहे आदिवासी परिवारो को पात्र होने के बावजूद पंचायत द्वारा अपात्र कर दिया गया है। जबकि ये परिवार बिजली, पानी एवं मकान व से अछूते है। जो शासकीय भूमि पर कागज, पन्नी एवं घास-फूंस की झोपडी बनाकर निवास करने को मजबूर है। वहीं इन परिवारो के पास जीवकोपार्जन के लिए भी कागज व प्लास्टिक के फूल व अन्य सामग्री बेचकर जीवनयापन करना पड़ रहा है। जहां पंचायत सचिव इन आदिवासी परिवारो को अपने पंचायत का होने से ही इंकार कर रहा है। जिसके कारण इन परिवारो को शासन की किसी भी योजनाओं का लाभ नही मिल पा रहा है।