हाई कोर्ट ने की विजय की अग्रिम जमानत याचिका खारिज @ पुलिस के हाथ पड़े छोटे..!!

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हाई कोर्ट ने की विजय की अग्रिम जमानत याचिका खारिज @ पुलिस के हाथ पड़े छोटे..!!

शहडोल। फर्जी अंकसूची लगाकर कोल इंडिया के SECL अंतर्गत सोहागपुर एरिया में नौकरी और बाद में प्रमोशन पाने वाले विजय गौतम के द्वारा माननीय उच्च न्यायालय में दायर की गई अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई है।
वही बिना जमानत लिए ही धोखाधड़ी जैसे प्रमाणित गंभीर आरोपो से घिरे गौतम के आज भी अंचल में खुलेआम घूम रहे हैं , पुलिस न तो उनकी गिरफ्तारी के लिए कोई प्रयास करती नजर आ रही है और न ही उसे गिरफ्तार करने के लिए छापेमारी और सूचना के लिए इनाम आदि की घोषणा के संदर्भ में विचार करती नजर आ रही है।

गौरतलब है कि अमलाई थाने सहित पुलिस अधीक्षक वह भोपाल मुख्यालय तक शिकायतकर्ता विजय गौतम के द्वारा किए गए गड़बड़झाले के खिलाफ शिकायतें की थी, इस मामले में पुलिस ने अमलाई से भोपाल माध्यमिक शिक्षा मंडल तक पुलिस को थाने से भेज कर अंक सूचियों का सत्यापन कराया था, जिसके बाद यह प्रमाणित हुआ था कि, विजय गौतम ने अंक सूचियों में कूट रचना कर उसे सोहागपुर एरिया में लगाकर उसका बेजा लाभ लिया है, प्रमोशन सहित नौकरी पाने तक के लिए विजय गौतम ने अपने रसूख और पैसों का उपयोग कर धोखाधड़ी के कार्य किए थे, इस मामले में पुलिस कई महीनों तक विजय गौतम के साथ मैनेजमेंट कर लुका-छुपी का खेल आम लोगों को दिखाती रही, यही नहीं इस मामले में पुलिस अधीक्षक कार्यालय और पुलिस महानिदेशक कार्यालय तक में शिकायतें लंबित पड़ी रही और पुलिस अधिकारी आज और कल का बहाना बनाते रहे और गिरफ्तारी करने से बचते रहे।
यह पहला मौका नहीं है जब माननीय उच्च न्यायालय ने इस मामले में हस्तक्षेप किया हो, पूर्व में भी शिकायतकर्ता की याचिका पर सुनवाई करने के बाद माननीय उच्च न्यायालय ने जब गौतम के खिलाफ आपराधिक मामला कायम न करने का कारण शहडोल पुलिस से पूछा था, उसके बाद ही पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर थाने में अपराध कायम किया गया था, एक बार फिर पुलिस कटघरे में खड़ी नजर आ रही है, अब जब गौतम पर आपराधिक मामला कायम हो गया है, लेकिन अभी तक उसे गिरफ्तार न किया जाना खुद को ही की कार्यशैली को संदेह के दायरे में ला रही है ।

जानिए क्या है विजय गौतम का पूरा मामला

निलंबन की जगह कर दिया डिमोशन

http://halehulchal.com/निलंबन-की-जगह-कर-दिया-डिमो/

यह कहा माननीय न्यायालय ने अपने आदेश में

आवेदक के लिए श्री संकल्प कोचर। श्री राजेश तिवारी, सरकार अभिभाषक। उत्तरदाताओं / राज्य के लिए। केस डायरी की सहायता से सुना। यह आवेदक विजय कुमार गौतम द्वारा दायर पहली जमानत अर्जी है सीआरपीसी की धारा 438 के तहत। अग्रिम जमानत के अनुदान के लिए, कौन अपराध क्रमांक .348 / 2019 के संबंध में अपनी गिरफ्तारी की पुष्टि करता है अनुलेख अमलाई, जिला। धारा के तहत दंडनीय अपराध के लिए शहडोल (म.प्र।) IPC का 420, 467, 468 और 471। अभियोजन मामले के अनुसार, आवेदक, जो पहले के रूप में तैनात था अमलाई ओसीएम, सोहागपुर में फोरमैन प्रभारी ने फोर्ज मार्क शीट तैयार की उनकी हायर सेकंडरी स्कूल सर्टिफिकेट परीक्षा, 1983 और इसे प्रस्तुत किया संबंधित प्राधिकरण से पहले और उस निशान के आधार पर पदोन्नति मिली चादर। आवेदक के लिए परामर्श सीखा कि आवेदक निर्दोष है और अपराध में झूठा फंसाया गया है। शिकायतकर्ता ने झूठा मुकदमा दर्ज कराया आवेदक के खिलाफ शिकायत। शिकायत पर पहले, एक जांच थी स्टेशन हाउस अधिकारी द्वारा आयोजित और पाया गया कि आवेदक नहीं था किसी भी जाली प्रमाण पत्र को दर्ज करें। इसके बाद, पुलिस ने के खिलाफ एक झूठा मामला दर्ज किया आवेदक। आवेदक जांच और परीक्षण में सहयोग करने के लिए तैयार है। में गिरफ्तारी की घटना, उसकी प्रतिष्ठा बर्बाद हो जाएगी। इन परिस्थितियों में, आवेदक अग्रिम जमानत के लिए प्रार्थना करता है। राज्य के वकील ने प्रार्थना का विरोध किया और उसे प्रस्तुत किया आवेदक को जोड़ने के लिए रिकॉर्ड पर पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध हैं अपराध। उसका एक आपराधिक अतीत है, इसलिए उसे अग्रिम पर रिहा नहीं किया जाना चाहिए जमानत। यह रिकॉर्ड से प्रकट होता है कि दक्षिण-पूर्वी कोयला क्षेत्र के अधिकारी सीमित जांच के बाद पाया गया कि आवेदक ने जाली निशान प्रस्तुत किया था हायर सेकेंडरी स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन की शीट, 1983 और दी गई इसके आधार पर पदोन्नति। इसलिए, तथ्यों और परिस्थितियों की ओर देखना इस मामले में, यह अदालत आवेदक को अग्रिम जमानत देने के लिए इच्छुक नहीं है। इसलिए, आवेदन खारिज कर दिया है। म/- 2 एमसीआरसी -464

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