खैरात में दे दी गई सरकारी स्कूल की दुकाने
बाजार मूल्य से 10 गुना कम दर पर लिया जा रहा किराया
शासकीय उत्कृष्ट रघुराज क्रमांक-2 एवं शाला प्रबंधन समिति का मामला
(Anil Tiwari)
शहडोल। न्यू गांधी चौक संभागीय मुख्यालय की हार्ट सिटी मानी जाती है, जहां शासकीय उत्कृष्ट रघुराज विद्यालय के परिसर में निर्मित लगभग 40 दुकानों का किराया बाजार मूल्य से 10 गुना कम वसूला जा रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि शाला प्रबंधन समिति एवं विद्यालय प्रबंधन की मिली भगत से लाखों रूपये हर महीने का नुकसान शासन को हो रहा है। वर्तमान स्थिति में दुकानों का किराया 550 रूपये से लेकर अधिकतम 1200 रूपये निर्धारित किया गया है। जबकि बाजार मूल्य के अनुसार एक-एक दुकानों का किराया 10 हजार से लेकर 20 हजार रूपये मासिक होना चाहिए। इन्हीं दुकानों के सामने सड़क के दूसरी तरफ आज यदि कोई व्यापारी दुकान किराये पर लेता है तो, पगड़ी के अलावा 20 हजार रूपये से कम किराये पर दुकाने नहीं मिलती।
लाखों रूपये में बेंच देते हैं दुकानें
रघुराज स्कूल की उक्त दुकानें जिनके नाम से आवंटित हैं, उन्हें शाला प्रबंधन समिति की तरफ से खुली छूट है कि वे किसी भी व्यक्ति को दुकानें हस्तांतरित कर सकते हैं। इस नियम का लाभ उठाकर दुकानदार 20 लाख रूपये से लेकर 50 लाख रूपये तक में अपनी दुकानें दूसरे को बेच देता है। इसका साफ मतलब है कि शासन के खाते में जो राशि जानी चाहिए, वह राशि किरायेदार के खाते में चली जाती है।
यह कैसा नियम है
शाला विकास समिति की बैठक 25 अगस्त 2020 को कलेक्टर की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट में आयोजित की गई थी, इस बैठक में निर्णय लिया गया कि दुकानों के हस्तांतरण पर 70 हजार रूपये की राशि शाला विकास खण्ड में द्वितीय पक्षकार द्वारा जमा की जायेगी। इसके पहले यह राशि 40 हजार रूपये थी, इसका सीधा सा मतलब है कि शासन के खाते में मात्र 70 हजार रूपये आयेंगे, जबकि दुकानदार दुकान बेंचकर अथवा हस्तांतरित कर लाखों रूपये कमा सकता है। इस बैठक में कलेक्टर के अलावा शाला प्रबंधन समिति के पदेन अध्यक्ष एवं जिला पंचायत सीईओ पार्थ जायसवाल तथा शाला प्रबंधन समिति के सचिव एवं प्राचार्य पी.के. मिश्रा मुख्य रूप से उपस्थित रहे।
समिति में दुकानदारों को क्यों रखा गया
यहां पर बड़ा सवाल यह है कि शाला प्रबंधन समिति में पदेन अध्यक्ष एवं सचिव के अलावा और कौन है जो विद्यालय के विकास के लिए बात कर सके, 25 अगस्त की बैठक में शामिल शाला विकास के दुकानदारों के अलावा अन्य पदाधिकारियों का उल्लेख नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि दुकानदार ही किराया बढ़ाने या न बढ़ाने के संबंध में जो प्रस्ताव रखते हैं, उसे स्वीकार कर लिया जाता है, जबकि होना यह चाहिए कि नगर के गणमान्य व्यक्तियों को कमेटी में शामिल कर बाजार मूल्य के अनुसार किराया निर्धारित किया जाना चाहिए, ताकि विद्यालय का समुचित विकास हो सके और ज्यादा से ज्यादा राशि शासन के खाते में जा सके।
किराये से निकल रहा बिजली एवं टेलीफोन बिल
शाला प्रबंधन समिति द्वारा निर्धारित इतने कम किराये की राशि से विद्यालय का टेलीफोन एवं बिजली बिल का पैसा ही निकल पाता है, इसके अलावा छोटे-मोटे निर्माण कार्य ही हो पाते हैं। यदि बाजार मूल्य के हिसाब से दुकानदारों का किराया निर्धारित किया जाये, तो हर साल करोड़ों रूपये विद्यालय के विकास के काम आ सकता है या फिर शासन के खाते में यह राशि जमा की जा सकती है।
इनका कहना है…
कलेक्टर की अध्यक्षता में सर्व सम्मति से 25 अगस्त की बैठक में निर्णय लिया गया था। कोरोना की वजह से दुकानदारों को ज्यादा आर्थिक क्षति न हो, इस बात को दृष्टिगत रखते हुए किराया निर्धारित किया गया है।
पार्थ जायसवाल
मुख्य कार्यपालन अधिकारी
जिला पंचायत एवं पदेन अध्यक्ष शाला प्रबंधन समिति
रघुराज क्रमांक-2, शहडोल
****
पहले तो बहुत ही कम किराया था, इस बार शाला प्रबंधन समिति की बैठक में सामूहिक रूप से जो निर्णय लिया गया है, उसी के अनुसार किराया निर्धारित हुआ है।
पी.के. मिश्रा
प्राचार्य एवं पदेन सचिव
शाला प्रबंधन समिमि, रघुराज क्रमांक-2, शहडोल