मानपुर ग्राम विकास के लिए ग्रहण बने सरपंच

लुटता रहा खजाना, सोये रहे जनपद के जिम्मेदार
करोड़ों का ग्राम पंचायत मानपुर में हुआ बंदरबांट
जिला कार्यालय से हुई कार्यवाही
शहडोल। मेरा गांव मेरा देश की हकीकत जाननी है तो, जिले के मानपुर जनपद की मुख्यालय की ग्राम पंचायत में घूम आइए। आलम यह है कि पंचायती राज विभाग द्वारा रिलीज किए जा रहे, विकास बजट ने क्षेत्र के सांसद, विधायक ही नहीं मंत्रियों की भी आंखें खोल कर रख देगी, छोटे से लेकर बड़े विकास कार्यों के लिए प्रदेश सरकार ने जहां दिल खोलकर सरकारी खजाना खोल दिया, वहीं दूसरी ओर मानपुर के जिम्मेदारों ने पूरा बजट इस कदर निपटाया कि ग्राम के विकास के पहियों को ग्रहण लग गया। पूर्व के मुखिया ने जहां 30 लाख के आस-पास का गबन किया, वहीं दूसरी ओर वर्तमान सरपंच ने भी लाखों का गबन करना प्रमाणित हुआ, जहां पूर्व के सरपंच तुलसा विश्वकर्मा के खिलाफ न्यायालय विहित प्राधिकारी एवं मुख्य कार्यपालन अधिकरी ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया है, वहीं दूसरी ओर सरपंच शारदा प्रसाद गौतम को पद से पृथक तो, कर दिया गया, लेकिन वसूली की राशि कब तक वसूल की जायेगी, इसको कोई उल्लेख पत्र में नहीं किया गया।
यह किया शारदा गौतम ने
ग्राम पंचायत मानपुर में सरपंच पद पर पदस्थ रहने के दौरान शारदा प्रसाद गौतम ने 17 सीसी रोड स्वीकृत हुई थी, सीसी रोड निर्माण राजू खान के घर से सुधीर श्रीवास्तव के घर तक लागत 15 लाख रूपये, सीसी रोड निर्माण बिहारी प्रजापति के घर से राजू के घर तक लागत 11.90 लाख सीसीसी रोड निर्माण, बिहारी प्रजापति के घर से चौबा तालाब लागत 11.90 लाख, सीसी रोड निर्माण बरबसपुर से भोला राम के घर तक लागत 7.14 लाख, सीसी रोड निर्माण अरूण चतुर्वेदी के घर से गणेश गौतम के घर तक लागत 11.05 लाख सीसी रोड निर्माण कार्य बाईपास से बेलहा तालाब के पास लागत राशि 14.45 लाख ग्राम पंचायत मानपुर द्वारा मनरेगा एवं पंच परमेश्वर की राशि से कराया जाना पाया गया। उक्त कार्य में ग्राम पंचायत द्वारा मे. प्रकाश ट्रेक्टर्स ओनर्स, श्री राम ट्रेडर्स मानपुर, मे. संजय तिवारी, मे. गीतांजली इंटर प्राइजेज के नाम से भुगतान होना पाया गया।
उपसरपंच राजनारायण भट्ट के कारनामें
ग्राम पंचायत मानपुर में सरपंच पद पर पदस्थ रहते हुए मे. प्रकाश ट्रेडर्स ऑनर्स ग्राम सिंगुरी प्रो. प्रकाश गुप्ता के नाम से बिल क्रमांक 100 राशि 72 हजार, बिल क्रमांक 64 राशि 1 लाख 25 हजार, बिल क्रमांक 65 राशि 1 लाख 95 हजार, बिल क्रमांक 64 1 लाख 14 हजार, बिल क्रमांक 62 में 1 लाख, बिल क्रमांक 97 में 50 हजार, बिल क्रमांक 95 में 60 हजार कुल 7 लाख 16 हजार कई फर्मों में भुगतान किया गया। साथ ही उपसरपंच राजनारायण भट्ट की फर्म सिद्ध विनायक इंटर प्राइजेज मेन मार्केट मानपुर के भी खाते में कई भुगतान किये गये हैं।
राशि की होगी वसूली
भ्रष्टाचार का जिन्न पूर्व में ही बाहर आ सकता था, लेकिन जिले में बैठे अधिकारियों को गुमराह करते हुए जनपद में जिम्मेदारों ने भ्रष्टाचार को प्रश्रय दिया। ग्राम पंचायत मानपुर द्वारा श्री राम ट्रेडर्स को 2 लाख 2500 रूपये सहित कई बिल श्री राम ट्रेडर्स के माध्यम से कई बिल पंचायत में लगाये गये। इसके अलावा ए.एम. इंटरप्राइजेज एण्ड राईस मिल फर्म के पर भी ग्राम पंचायत बिल लगाये गये, सरपंच द्वारा उक्त खरीदी में म.प्र. भंडार क्रय नियम एवं सेवा उपार्जन नियम 2015 का पालन करते हुए नियम विरूद्ध खरीदी की गई है, जिस पर क्रय की समस्त राशि वसूली योग्य है।
गुणवत्ताविहीन बने शौचालय
ग्राम पंचायत के सरपंच के खिलाफ जिला पंचायत से आये पत्र में स्पष्ट उल्लेख है कि उनके द्वारा 562 हितग्राही के शौचालय निर्माण में से कुल 68 शौचालयों का भौतिम सत्यापन जांच दल द्वारा किया गया, जिसमें 16 शौचालय टूट-फूट पाई गई, जिसमें 01 हितग्राही नागेन्द्र चौधरी के शौचालय के ऊपर पेड़ गिरने से क्षतिग्रस्त पाया गया, शेष 15 शौचालयों में दरवाजे टूटे पाये गये। सरपंच द्वारा गुणवत्ताविहीन शौचालयों का निर्माण कराया गया जो वसूली योग्य है।
पद से विदाई, होगी गिरफ्तारी
ग्राम पंचायतों का कार्यकाल समाप्त होने पर ग्राम पंचायत के कार्यकलापों केे सुचारू संचालन की दृष्टि से वैकल्पिक व्यवस्था स्वरूप ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन होने तक कार्यालयीन आदेश द्वारा शारदा प्रसाद गौतम प्रधान ग्राम पंचायत मानपुर को प्रशासकीय समिति के रूप में प्रधान के पद पर नियुक्त किया गया था, जिसे संचालक पंचायत राज संचालनालय म.प्र. भोपाल के पत्र द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए शारदा प्रसाद गौतम प्रधान, ग्राम पंचायत मानपुर को प्रशासकीय समिति के प्रधान पद से पृथक किया जाता है। वहीं पूर्व सरपंच तुलसा विश्वकर्मा व तात्कालीन सचिव संतोष दुबे को गिरफ्तार कर न्यायालय विहित प्राधिकारी एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी कार्यालय में हाजिर करना था।
यह भी हैं दोषी
करोड़ों के भ्रष्टाचार के मामले में कलेक्टर द्वारा सरपंच एवं उपसरपंच के विरूद्ध की गई कार्यवाही तो स्वागत योग्य हैं, परन्तु इतने बड़े भ्रष्टाचार में संबंधित इंजीनियर, समन्वयक एवं अन्य जिम्मेदार अधिकारियों को क्यों छोड़ दिया गया। इनके बिना विकास कार्य होते नहीं है और इनके हस्ताक्षर व निरीक्षण के बिना किसी भी निर्माण कार्य का भुगतान नहीं किया जाता है, ऐसी स्थिति में इन पर भी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। लोगों का कहना है कि ग्राम पंचायत में निर्माण कार्य की गुणवत्ता सहित स्वीकृत कार्याे के देख-रेख की जिम्मेदारी भी प्रशासन द्वारा तय की गई है, लेकिन समय रहते देख-रेख व शिकायतों पर ध्यान न देने की वजह से शासकीय राशि की होली खेली गई।