अमानक रेत से ठेकेदार बना रहा है छात्रावास की बिल्डिंग

एसडीएम ने की कार्यवाही, 15 ट्राली अवैध रेत ठेकेदार ने बताया
25 ट्राली
सड़कों के निर्माण करने वाले ठेकेदारों के पास भी रॉयल्टी नहीं
(कमलेश यादव)
उमरिया। सूबे के मुखिया शिवराज सिंह कितना भी दावा व कार्यवाही भू-माफिया, खनन माफिया, रेत माफिया व सरकारी भवनों की गुणवत्ता विहीन कार्य के खिलाफ करने का दावा व निर्देश जवाबदार अधिकारियों के लिए क्यों न कर ले, किंतु सूबे के मुखिया का यह निर्देश दावा जिले के जवाबदार अधिकारियों के नियंत्रण में खोखला नजर आ रहा है, मानपुर तहसील के अंतर्गत ग्राम ताला में कस्तूरबा बाई छात्रावास के अंदर छात्रों के रहने के लिए आरईएस विभाग द्वारा नया भवन निर्माण का टेंडर दिया गया, जिसका कार्य धन्नू विश्वकर्मा नामक ठेकेदार द्वारा लगभग 2 वर्षों से कराया जा रहा है, जिसमें राजस्व व वन क्षेत्र के नालो से मिट्टी वाली रेत को उठवा कर निर्माण कार्य में खुलेआम उपयोग किया जा रहा था, एसडीएम मानपुर सिद्धार्थ पटेल के निर्देशानुसार राजस्व निरीक्षक ताला मनोज तिवारी व पटवारी हल्का ताला बसंत सेन जांच टीम के रूप में मौके पर पहुंचकर रेत की रॉयल्टी के अभिलेख के संबंध में जानकारी चाही, जिस पर ठेकेदार के द्वारा बताया गया कि रायल्टी है किंतु मौके पर कागजात नहीं है।
चोर को ही सौंपी चौकीदारी
आरईएस ऑफिस में जमा कर दिया हूं, जहां से ठेका लिया हूं, जिस पर राजस्व निरीक्षक मनोज तिवारी ताला हल्का पटवारी बसंत सेन ग्राम पंचायत सचिव अनिल पांडे व ग्रामीणजन और मीडिया के उपस्थिति में 15 ट्राली रेत की जब्ती बनाई गई और ठेकेदार द्वारा 25 ट्राली रेत मौके पर मौजूद होना बता गया, जिसका जिक्र राजस्व विभाग द्वारा कार्यवाही पंचनामा में भी अंकित किया गया, उक्त रेत की सुपुर्दगी मौके पर उपस्थित ठेकेदार धन्नू विश्वकर्मा को सौंपी गई है, किंतु उक्त रेत से रोक के बावजूद भी आज कार्य निर्माण प्रारंभ है। मजे की बात तो यह है कि जिसे ठेकेदार से अवैध रेत जब्त की गई, उसी को उसकी चौकीदारी सौंप दी गई।
कार्यवाही की नहीं है हिम्मत
सरकार द्वारा जो भी टेंडर घोषित किया जाता है, टेंडर में सभी कर, सभी सामग्री का पैसा शासन द्वारा भुगतान किया जाता है, किंतु ठेकेदारों के द्वारा राजस्व व वन क्षेत्र से मिट्टी युक्त रेत उठाकर बिल्डिंग में उपयोग किया जाता है, महत्वपूर्ण विषय यह है कि उपरोक्त कार्य लगभग 2 वर्षों से निर्माणाधीन है और शासन की निगाह में सब कुछ है, किंतु जिले का प्रशासनिक अमला साल भर से कार्यवाही करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है।
लगभग निर्माण में चोरी की रेत
अवैध रेत खनन को लेकर की गई कार्रवाई इस बात का सबूत है कि जंगल की भूमि को खोखला करने का काम बदस्तूर जारी है। इस खेल में बड़ा मामला यह है कि सरकारी निर्माण कार्य करने वाले ठेकेदार खनन में सबसे आगे हैं। आमजन को महंगी रेत खरीदना पड़ रहा है तो, सरकार को भी राजस्व का नुकसान हो रहा है। जब सरकारी निर्माण में ही अवैध रेत का उपयोग हो रहा है तो फिर कैसे अवैध खनन पर रोक लग सकती है। मजे की बात तो यह है कि जिले में होने वाले लगभग पंचायत सहित अन्य शासकीय निर्माण हुए खनिज के उपयोग की रॉयल्टी अगर ठेकेदार सहित जिम्मेदारों से मांगी जाये तो, लगभग निर्माण कार्य में लगी रेत चोरी की ही साबित होगी, लेकिन खनिज के जिम्मेदारों ने इस ओर से आंखे मूंद रखी हैं।