रेलवे कालोनी में सूदखोरों का आतंक

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शिकायत न मिलने से पुलिस नहीं कर पा रही कार्यवाही

शहडोल। संभागीय मुख्यालय की रेलवे कालोनी में ब्याज का कारोबार खूब फल फूल रहा है। ऊंची दर पर चल रहे ब्याज के खेल में रेलवे के कर्मचारी सहित कई सफेदपोश शामिल है। रेलवे कालोनी में तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के अलावा दिन भर हाड़तोड़ मेहनत करने वाले मजदूरों को मजबूरी में घर परिवार का पेट पालने के लिए उधार में ब्याज पर पैसा लेना पड़ता है। पांच, दस और पंद्रह फीसद ब्याज पर पैसा देने वाले अपनी शर्तों पर ही मजदूरों को पैसा देने को तैयार होते हैं, लेकिन अमानत के तौर पर उनके पासबुक, चेक आदि रखकर ब्लैकमेल करने के साथ मूलधन से सौ गुना तक रकम वसूलते हैं।
जिंदगी भर का बनता कर्जदार
सूद कारोबार के नाम पर जिला मुख्यालय में मनमानी की जा रही है। नियम है कि मूल रकम पर सालाना 14 फीसदी ब्याज वसूला जाए, दीपक, टेढ़का और ठुठुआ जैसों से सूद पर रुपये देने वाले सालाना 120 फीसदी तक ब्याज वसूल रहे हैं, मूल तो मूल ब्याज चुकाना भारी। जाहिर है, जिसने एक बार इनसे कर्ज लिया वह जीवन भर चुकाता रहे, सूत्रों की माने तो रेलवे कर्मचारी दीपक, टेढ़का, ठुठुआ द्वारा रेलवे के तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को ब्याज के रूप में पैसा बांटा गया है, लेकिन कथित कर्मचारी के गुर्गाे के भय से इसकी शिकायत आज तक थाना नहीं पहुंच पाई है।
यह भी करते हैं अवैध कारोबारी
ब्याज कारोबारी दीपक रेलवे कर्मचारी होने के साथ ही रकम देने के एवज में लोगों से कीमती सामान गिरवी रखवा लेता हैं। रकम नहीं देने पर सामान जब्त कर लिया जाता है। रकम देने के पहले सूदखोर दीपक कोरे चेक स्टाम्प पर हस्ताक्षर करवा लेता हैं। बाद में किश्त मिलने में देरी या राशि मिलनी बंद हुई तो वे चेक में अपने हिसाब से रकम भरकर बैंक में जमा कर उसे बाउंस करवा लेते हैं। सूदखोरों की नजर जरूरतमंदों की प्रॉपर्टी पर होती है। जिनके पास कुछ संपत्ति है, उन्हें पहले उधार में रकम लेने के लिए मजबूर करते हैं। एवज में उनका घर, मकान खेत के कागजात रखकर इन्हें अपने नाम पर करवाने की फिराक में रहते हैं।
पुलिस थाने में करनी पड़ेगी शिकायत
कर्ज में डूबे लोग इस कदर सूदखोरों से डरे हुए हैं कि वे उनकी प्रताडऩा से तंग आकर भले ही जमीन जायदाद बेचकर कर्ज चुका देंगे या आत्महत्या करने जैसा कठोर कदम उठा लेंगे, लेकिन किसी की हिम्मत नहीं हो रही है कि ऐसे सूदखोरों के खिलाफ थानों में शिकायत कर सकें। सूदखोरों के अनैतिक दबाव से बचने के लिए लोगों को सामने आ कर पुलिस में शिकायत करनी होगी, तभी पुलिस कार्रवाई कर पाएगी।
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