जिला चिकित्सालय में उपयोगी वस्तुएं भी कबाड़ी के हवाले

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शनिवार को कुशाभाऊ ठाकरे अस्पताल से शहडोल के नामचीन स्क्रैप कारोबारी अनुपयोगी स्क्रैप के साथ उपयोगी स्क्रैप भी वाहन में लोड करते नजर आये। स्क्रैप की बिक्री किस नियम से और किस दर पर की गई, इसके लिए प्रबंधन के लगभग जिम्मेदारों ने जानकारी देने से हाथ खड़े कर दिये

शहडोल। कुशाभाऊ ठाकरे अस्पताल परिसर के विभिन्न हिस्सों में पड़े अनुपयोगी सामानों की नीलामी स्क्रैप के नाम पर करने की खबर है, शनिवार को शहडोल के रहीम नामक स्क्रैप कारोबारी के कर्मचारी स्क्रैप के साथ जब उपयोगी वस्तुओं को भी ले जाते नजर आये तो, मामले ने तूल पकड़ा, रहीम के साथ ही जिला चिकित्सालय के स्टोर प्रभारी व अन्य कर्मचारियों ने भी नीलामी के लिए की गई प्रक्रिया के संदर्भ में जानकारी देने से किनारा कर लिया। दूसरी तरफ जिले के अन्य दर्जनों कारोबारियों ने इस मामले में प्रबंधन और कथित कारोबारी के बीच सांठ-गांठ कर चोरी छुपे मामला निपटाने के आरोप लगाये हैं।

बाजार मूल्य सहित वजन का खेल


अस्पताल प्रबंधन पर आरोप हैं कि तथाकथित रहीम नामक स्क्रैप कारोबारी को बाजार के प्रचलित मूल्य से कहीं कम पर स्क्रैप उठाने का काम दिया गया है, जबकि अन्य कारोबारी इससे कहीं अधिक दाम पर स्क्रैप खरीदने के लिए तैयार हो सकते थे, इतना ही नहीं अस्पताल परिसर के चारो तरफ फैले स्क्रैप के कुल वजन का आंकलन भी स्पष्ट नहीं है, यह भी खबर है कि कुल वजन में भी बड़ा खेल-खेलने की तैयारी है।
चोरी छुपे निपटाया लाखों का स्क्रैप
बीते कई वर्षाे से अस्पताल परिसर में दर्जनों स्थानों पर स्क्रैप के ढेर लगे हुए थे, जिन्हें निविदा आमंत्रण या बोली के माध्यम से बेचना तो आवश्यक था, लेकिन जिम्मेदारों ने यह पूरा खेल बंद दरवाजे के अंदर तय कर लिया और ऑफ रिकार्ड कुछ कोटेशन मंगवाकर काम रहीम नामक तथाकथित कबाड़ी को आवंटित कर दिया।
लाखों की उपयोगी सामग्री कौडिय़ों में
शनिवार को जब तथाकथित कबाड़ी के नुमाइंदे अस्पताल परिसर से स्क्रैप संग्रहित करते नजर आये तो, यह मामला चर्चा का विषय बन गया, परिसर के अंदर वर्षाे से रखी अनुपयोगी व कबाड़ हो रही सामग्री का स्क्रैप के रूप में संग्रहण करना तो समझ में आता है, लेकिन लाखों की उपयोगी सामग्री को गैस कटर आदि से काटकर स्क्रैप में तब्दील करना समझ से परे रहा।
जवाब देने से बचते रहे जिम्मेदार
कुशाभाऊ ठाकरे जिला अस्पताल आये दिन सुर्खियों में रहता है, मजे की बात यह रहती है कि जिम्मेदार हमेशा से ही अपनी जवाबदेही से किनारे होते नजर आते हैं, शनिवार को भी स्टोर प्रभारी धर्मेन्द्र नामदेव स्क्रैप मामले में पल्ला झाड़ते हुए कहा कि स्क्रैप के मामले में आप सिविल सर्जन से बात करें, वही बता पायेंगे, वहीं जिसने कबाड़ खरीदी की, उसने भी पूरे मामले में पल्ला झाड़ लिया गया। निविदा या बोली के संबंध में जिले के अन्य कबाडिय़ों को जानकारी न देने से पूरे मामले ने तूल पकड़ लिया। खबर है कि 5 वर्ष पूर्व जिला चिकित्सालय में स्क्रैप की नीलामी बोली के माध्यम से हुई थी, लेकिन जिम्मेदारों ने इस बार मामले को ऊपर ही ऊपर निपटाने के आरोप हैं।

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