चंदनिया-कोटमा में अंकुर-कालू नचवा रहे बावनपरी
(Shubham Tiwari)
शहडोल। शहर के आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों में काफी लंबे समय से जुआ का कारोबार बेखौफ संचालित हो रहा है। अधिकारियों को इसकी जानकारी होने के बावजूद किसी प्रकार की मुहिम नहीं चलाई जा रही है। इस कारण क्षेत्र में खुलेआम यह कारोबार खूब फलफूल रहा है।
कानून व्यवस्था इस तरह बिगड़ी है कि आपराधिक गतिविधियों में लिप्त लोगों को पुलिस का जरा भी भय नहीं है। संभागीय मुख्यालय से सटे कोटमा एवं चंदनिया में अंकुर-कालू ने जुएं की फड़ लगा रखी है, पहले तो कभी कभार एक-दो छोटे प्रकरण बनाकर खानापूर्ति कर दी जाती थी, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में दीपावली के त्यौहार के चलते वर्तमान में नाल वसूलने वालों को खुली छूट देकर रखी गई है, चर्चा है कि इस पूरे खेल का हिस्सा खाकी तक पहुंच रहा और इसे खादी का संरक्षण भी मिला हुआ है।
कप्तान ने घुनघुटी चौकी की ओर से आंख बंद कर रखी है, वहीं संभागीय मुख्यालय का कोटमा ग्राम में अवैध कारोबार से कई परिवार बर्बाद हो रहे हैं और बर्बादी की कगार पर है। स्थिति यह है कि घुनघुटी और कोटमा के लिए अंकुर और कालू नासूर बने हुए हैं। उमरिया जिला होने के चलते चंदनिया अंतर्गत खेल जा रहे जुएं पर शहडोल पुलिस पहुंच नहीं सकती और उमरिया के लिए अंतिम छोर होने के चलते यहां कप्तान की टीम कभी दबिश नहीं डाल पाती, कथित व्यक्तियों को चौकी और पाली थाना से खुली छूट मिली है।
जुएं के अवैध कारोबार को पुलिसिया संरक्षण का आरोप लग रहा है, जुआं के फड़ों में खाकी वर्दीधारियों के भी दांव लगाने से पुलिस महकमें की आम जनमानस में जमकर फजीहत हो रही है, दीपावली के चलते सुबह से फड़ सज रही है, फड़ों पर जुआरियों का जमावड़ा लग रहा है, ऐसे में लोगों का कहना है कि पुलिस संरक्षण के कारण इनका संचालन हो रहा है।