चोरी के कोयले से धधक रहे ईंट भट्ठे
बंद खदानों में ठेकेदार बाहरी मजदूरों से निकलवा रहा कोयला
बगैर अनुमति चल रहा कोयलांचल में ईंट कारोबार
शहडोल। जिले के कोयलांचल क्षेत्र पुरानी अमराडंडी के पीछे, धनपुरी कब्रिस्तान के पीछे, गाड़ाघाट, जंगल दफाई, बुढार, खैरहा आदि कई क्षेत्रों में इस समय चोरी के कोयले से बहुत बड़े पैमाने पर ईंट बनाने का व्यापार जोरों पर फल-फूल रहा है, जो थाना क्षेत्र अमलाई, धनपुरी, बुढार , खैरहा क्षेत्रों में सबसे ज्यादा ईट बनाने का व्यवसाय चल रहा है । धनपुरी और अमलाई ओसीएम, दामिनी, खैरहा माइंस आदि कई जगहों में खुली या बंद खदानों के साथ ही मालगाड़ी बैगन से कोयला निकालकर भारी मात्रा में जगह-जगह ईट भट्ठा लगाये गये हैं, कोयला माफियाओं द्वारा कोयला दिया जा रहा है और प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा है।
बाहर से लाये जा रहे मजदूर
बंद पड़ी खदाने चाहे अंडरग्राउंड माइंस हो या बंद हो चुके ओपन कास्ट माइंस , इन जगहों पर ठेकेदारों द्वारा बाहर से मजदूर लाकर रुपयों के लालच में बंद खदानों में उतारा जा रहा है, ईंट ठेकेदार द्वारा बड़े पैमाने पर कोयले का खेल-खेला जाता है, जिससे असमय मजदूर काल के गाल में समां जाते हैं, कुछ समय पहले पिछले साल ही धनपुरी की माइंस भसक जाने से एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई थी, जिस के परिजन आज तक दर-दर की ठोकर खाते भटक रहे हैं, क्षेत्र के सभी थानों में बाहर से लाए गए मजदूरों की बाकायदा नाम और पता नोट होने चाहिए, जिससे भविष्य में कोई भी घटना घटती है या कोई बड़ी परेशानी होती है तो उनकी मदद की जा सके।
ईंट के धंधे में बने हैं व्यापारी
शासन-प्रशासन द्वारा कुम्हार, प्रजापति जातियों के लोगों को ईट बनाने के लिए आदेश पारित कर राहत प्रदान की गई थी, जिससे कुम्हार जाति के लोग घड़ा, ईट या दिये बना कर अपना जीवन यापन कर सकते हैं, जिसमें कुछ अंश मिट्टी की खुदाई कर अपना व्यापार के लिए उपयोग कर सकते हैं, लेकिन इन दिनों चोरी के कोयले से ईट बनाने का व्यापार क्षेत्र में सामान्य जाति या अन्य जाति के लोग कर रहे हैं, जिससे अवैध मिट्टी की खुदाई के साथ-साथ कोयले की चोरी के रूप में भारी मात्रा में व्यापारिक नीतियां बनाकर बड़े लोग काम कर रहे हैं, इनके द्वारा सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करके जेसीबी लगाकर मिट्टी की खुदाई करते हैं, जिससे इनके द्वारा सैकड़ों फीट गहरा मिट्टी की चोरी करते हुए वन विभाग के साथ-साथ गौण खनिज अधिनियम को भी तार-तार करते हैं।
चोरी की रेत का उपयोग
वन विभाग की जमीन बिना परमिशन के ईट बनाने वाले लोग खनिज विभाग के सभी नियमों का धज्जियां तो उड़ा ही रहा हैं। वन भूमि के नालों से रेत की चोरी करके ईट निर्माण में उपयोग किया जा रहा है, खनिज विभाग अगर जांच करें तो, सैकड़ों टन कोयला भट्ठों में मिल सकता है। इसके अलावा रेत के ढेर भी ईंट भट्ठों में देखे जा सकते हैं। इसके साथ ही बिना नाम-पता के सैकड़ों की संख्या में बाहरी मजदूर ईंट भट्ठों में मिल सकते हैं, श्रम विभाग द्वारा ठेकेदारों पर कार्यवाही न करने के कारण ईंट भट्ठा संचालकों के हौसले बुलंद है।
रॉयल्टी का नुकसान
क्षेत्र में लगभग सैकड़ों ईट के भट्टे धधक रहे हैं, जिससे प्रशासन को रॉयल्टी का नुकसान हो रहा है, चोरी का कोयला, रेत और साथ ही साथ मिट्टी का अवैध खनन किया जा रहा है, कोयलांचल से ईंट पूरे संभाग में सप्लाई की जा रही है, अगर जिला प्रशासन ध्यान दे तो हो रही करोड़ों की रॉयल्टी की राशि मिल सकती है, कोरोनावायरस के कारण ट्रेनों की आवाजाही बंद है फिर भी संभाग के तीनों जिलों में बाहरी राज्यों से मजदूर लाये गये हैं। कार्यवाही न होने से ठेकेदारों का मनोबल बढ़ा हुआ है।