कोर एरिया में नियमों की अनदेखी: डॉ. सहाय की कार्यशैली पर सवाल

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बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन

उमरिया।
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व (बीटीआर) के कोर एरिया और वफर जोन में नियमों को ताक पर रखकर किए जा रहे निर्माण कार्यों ने विवाद खड़ा कर दिया है। इको सेंसिटिव जोन और वफर जोन के गेट नंबर-4 के अंदर पूर्व क्षेत्र संचालक द्वारा दी गई अस्थाई निर्माण अनुमति की आड़ में स्थाई रिसॉर्ट का निर्माण किया जा रहा है। इसकी सूचना वन परीक्षेत्र अधिकारी धमोखर रविशंकर श्रीवास्तव और बीटीआर के प्रमुख डॉ. अनुपम सहाय सहित सभी जिम्मेदार अधिकारियों को दी गई है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

सबसे चिंताजनक बात यह है कि रिसॉर्ट का निर्माण मगधी जोन के कोर एरिया के गोहड़ी गेट की सीमा से महज एक किलोमीटर की दूरी पर किया जा रहा है। वहीं, परासी गेट से गोहड़ी गेट तक जाने वाले मार्ग को भी बंद कर दिया गया है। इस पर राज्य सरकार और वन विभाग ने लाखों रुपये खर्च किए थे।

कोर एरिया के नियमों की अनदेखी
बीटीआर के प्रमुख डॉ. सहाय पर आरोप है कि उन्होंने नियमों को नजरअंदाज कर रिटायर्ड आईएएस अधिकारियों के लिए कोर एरिया के सख्त नियमों को दरकिनार कर दिया। उन्होंने कोर एरिया में फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी के नए निर्देश जारी किए, जो मध्य प्रदेश के किसी अन्य टाइगर रिजर्व में लागू नहीं हैं।

कोर एरिया में पहले से लागू वन्यजीव सुरक्षा उपाय, जैसे वाहनों में विंडस्क्रीन और दरवाजे लगाने के निर्देश, को दरकिनार कर दिया गया। इस निर्णय से पर्यटकों में नाराजगी फैल गई है। कई पर्यटकों ने मध्य प्रदेश वन विभाग और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) को पत्र लिखकर इस पर रोक लगाने और डॉ. सहाय के खिलाफ उचित कार्रवाई की मांग की है।

घायल बाघ की अनदेखी
एक अन्य घटना में, फॉरेस्ट चौकी से महज 200 मीटर की दूरी पर एक बाघ दो दिनों तक घायल अवस्था में तड़पता रहा। सूचना के बावजूद बीटीआर के अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचे। बताया जा रहा है कि उस दौरान डॉ. सहाय पूंजीपतियों के साथ नाइट पार्टी में व्यस्त थे। बाद में घायल बाघ की फोटोग्राफी करवाई गई, जो वन्यजीव संरक्षण अधिनियम और नियमों का खुला उल्लंघन है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना
सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोर एरिया में निर्माण और अन्य गतिविधियों पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं, लेकिन बांधवगढ़ में इन आदेशों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। पर्यावरणविदों और स्थानीय लोगों ने NTCA से तत्काल हस्तक्षेप और जंगल की व्यवस्था सुधारने की मांग की है।

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में वन्यजीव संरक्षण के नियमों की अनदेखी और अधिकारियों की मनमानी ने वन्यजीवों के भविष्य पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि जल्द ही उचित कार्रवाई नहीं की गई, तो यह क्षेत्र वन्यजीव संरक्षण के उद्देश्य से दूर होता नजर आएगा।

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