माफियाओं का गौण खनिज पर कब्जा, ब्यौहारी क्षेत्र में बढ़ा त्रासमान

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 मानना पड़ेगा…..प्रशासन की संवेदनशीलता भी पत्थर दिल

शहडोल। वैसे तो गौण खनिजों का अवैध उत्खनन पूरे जिले में पूरे शवाब पर है और रेत माफिया मनमाने दामों व्यापार भी कर रहा है लेकिन ब्यौहारी क्षेत्र की स्थिति सर्वाधिक त्रासद है। ब्यौहारी क्षेत्र आतंक के बूते चलने वाली गौण खनिजों की एक ऐसी अवैध मण्डी बन चुका है जहां माफिया व्यापारी बन कर बैठा है और उसके गुर्गे चारो तरफ बंदूके ताने बैठे हैं। यहां हमलों और मौतों का सिलसिला चल रहा है लेकिन इसके बावजूद प्रशासन कायरों की तरह चुप्पी साधे बैठा है। पूरे ब्यौहारी व देवलौंद के आसपास सोन नदी के किनारे स्थित क्षेत्रों में माफिया का दबदबा चल रहा है। दिन रात भारी मशीनों से सोन नदी की रेत निकाली जा रही है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। जबकि प्रशासन को सघन अभियान चलाकर माफिया की कमर तोड़ देनी चाहिए।
यह हुई जानलेवा घटनाएं
ब्यौहारी के गोपालपुर ग्राम में गत माह खड्डा हल्का पटवारी प्रसन्न सिंह की ट्रैक्टर से कुचल कर हत्या कर दी गई। राजस्व अमला रात के समय उत्खनन एरिया में पेट्रोलिंग कर रहा था। उसी दौरान उसकी हत्या हुई। इस घटना से पूर्व एक अन्य स्थल में ब्यौहारी के पूर्व तहसीलदार चिरामन ङ्क्षसह पर हमला किया गया था जिसमें उन्हे चोटें आईं थीं और उनका वाहन क्षतिग्रस्त हेा गया था। इसके बाद एक एसएएफ के जवान पर हमला किया गया था। लेकिन विशेष एहतियाती कार्रवाई की बजाय सामान्य कार्रवाई के साथ अध्याय समाप्त कर दिया गया।
मुरुम खदान बंद नहीं हुई
गौण खनिज मुरुम की वैधानिक खदान पूरे जिले में कहीं भी संचालित नहीं हैं। लेकिन ब्यौहारी क्षेत्र के कई अंचलों में इसका अवैध उत्खनन चल रहा है। इसी अवैध उत्खनन के कारण ग्राम झरौंसी में एक अवैध खदान चल रही है। कुछ माह पूर्व यह खदान ऊपर से धसक गई थी जिसमें दब कर दो श्रमिकों की स्थल पर ही मौत हो गई थी। बताते हैं कि यहां से मुरुम निकाल कर निर्माणाधीन रीवा टेटका रोड की पटरी भराई कराई जा रही थी। घटना के बाद श्रमिकों का शव निकलवाकर पुलिस प्रक्रिया के बाद परिजनों को सौंप दिया गया था। इसके बाद कार्रवाई शांत सी हो गई।
और कितने हादसों का इंतजार है?
सवाल यह है कि ब्यौहारी क्षेत्र में पनपती गौण खनिजों की यह अवैध मण्डी लोगों को निगल रही है, उनकी जान से खेल रही है लेकिन इसके बावजूद प्रशासन की नीद नहीं टूट रही है। क्या इतनी सारी दर्दनाक घटनाएं कार्रवाई के लिए पर्याप्त नहीं हैं? अगर नहीं तो फिर प्रशासन और कितनों की आहुतियां लेना चाहता है और कितनों के रक्त से धरती को लाल करना चाहता है। यह हाल उस प्रशासन का है जिसे संवेदनशील प्रशासन के नाम से जाना जाता है। उसकी संवेदनशीलता भी बड़ी पत्थरदिल है यह कहना गलत नहीं होगा। आज नहीं तो कल ब्यौहारी में कठोर पुलिस कार्रवाई करानी पड़ेगी, नहीं तो माफिया की गोलियां इसी तरह सनसनाती ही रहेंगी।

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